फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नगर निगम केे एक्सईएन पद्मभूषण ने सेक्टर 56 स्थित प्रतापगढ़ में ट्रॉमल मशीन लगाने के नाम पर लाखों रुपये की हेरफेर कर डाली। साठ लाख कीमत वाली मशीन 86 लाख रुपये में खरीदी दिखाई गई और मौके पर पुरानी कबाड़ मशीन लगा दी गई। विवादित जमीन पर पुरानी कबाड़ ट्रॉमल मशीन लगाए जाने का विरोध हुआ तो निगम आयुक्त से लेकर आला अधिकारियों तक को इसकी जानकारी हो गई लेकिन मंत्री करप्शनपाल का वरद्हस्त होनेे के कारण मनबढ़ एक्सएईएन के खिलाफ कार्रवाई तो दूर ठेकेदार तक को नोटिस जारी करने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। बताया जा रहा है कि चुनाव खराब न हो इसके डर से अधिकारी मामले को दबाने में जुटे हैं।
एक्सईएन पद्मभूषण नगर निगम में एसे काम करने के लिए बदनाम है जो कोई अन्य एक्सईएन या अधिकारी नहीं करता। जाहिर है ऐसे जोखिम भरे काम में लूट कमाई और भ्रष्टाचार का खूब स्कोप होता है। डंपिंग यार्ड बनाने के लिए पहले तो प्रतापगढ़ में स्वास्थ्य विभाग और वन विभाग की विवादित जमीन हथिया ली, प्रतिबंधित वन भूम से से करीब पांच सौ पेड़ काट कर बंदरबांट कर डाली। अब ट्रॉमल मशीन में खेल किया गया। नगर निगम के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार मथुरा नगर निगम ने तीन सौ टन प्रतिदिन कचरा निस्तारण वाली ट्रॉमल मशीन साठ लाख रुपये में लगवाई हैं। इसमें मशीन का एक साल का संचालन और मरम्मत भी शामिल है। पद्मभूषण ने मंत्री कृष्णपाल गूजर की करीबी दक्ष कंस्ट्रक्शन कंपनी को 86 लाख रुपये का ठेका दिया। यानी 26 लाख रुपये का सीधा नुकसान या बंदरबांट।
जमीन विवादित होने के कारण माना जा रहा है कि एनजीटी डंपिंग यार्ड कहीं और शिफ्ट करने का आदेश दे दे। इस संभावना के मद्देनजर दक्ष कंस्ट्रक्शन कंपनी ने प्रशासन की आंख में धूल झोंकने के लिए पुरानी कबाड़ ट्रॉमल मशीन लगा दी। इसकी पूरी बॉडी में जंग लग चुका है, कन्वेयर बेल्ट पुरानी होने के कारण जगह जगह से टूट-फट चुकी है, कन्वेयर रोलर भी खराब पड़े हैं। मशीन की मोटरें भी पुरानी और खराब हालत में हैं। जानकारों के अनुसार कबाड़ में मशीन तोल के हिसाब से बिकती है, यदि कबाड़ से निकाल कर इसे दोबारा इस्तेमाल योग्य बनाया गया है तो भी इसकी कीमत पच्चीस लाख से ज्यादा नहीं होगी।
यानी जो मशीन मथुरा नगर निगम ने 60 लाख रुपये में नई खरीदी उसके लिए पद्मभूषण ने 86 लाख रुपये खर्च किए, इसके बावजूद माल केवल पच्चीस लाख रुपये का ही लगाया गया यानी करीब 61 लाख रुपये जितने में एक नई ट्रॉमल मशीन खरीदी जा सकती है, आपस में बंदरबांट कर लिया गया। चोरी और सीनाजोरी की तर्ज पर एक्सईएन पद्मभूषण का कहना है कि मेरा काम ट्रॉमल मशीन का टेंडर जारी करना था, मशीन नई लगाई जा रही है या पुरानी ये देखना मेरा काम नहीं है।
पद्मभूषण के जवाब से ही समझा जा सकता है कि वह आत्मविश्वास के साथ घोटाले इसलिए कर रहा है कि उसे सत्ता का संरक्षण प्राप्त है, और जब लूट कमाई का चुग्गा ऊपर तक पहुंचाया जाए तो फिर चीफ इंजीनियर या निगम आयुक्त क्यों सवाल करेंगे? दरअसल जिस तरह दो सौ करोड़ घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में चली गई है उससे भ्रष्ट अधिकारियों को लगने लगा है कि नेता-मंत्री के इशारे पर चाहे जो भी खेल करो कुछ होने वाला नहीं है, यही नेता-मंत्री जांच नहीं होने देंगे।
वैसे पद्मभूषण की योग्यता यह भी है कि वह इंजीनियरिंग की फर्जी डिग्री होने के बावजूद सत्ता का वरद्हस्त होने के कारण एक्सईएन जैसे महत्वपूर्ण पद तक पहुंचा है। विज्ञापन घोटाले के बाद स्वच्छता मिशन में शहर की सफाई के नाम पर भी करोड़ों रुपयों की बंदरबांट करने में इनकी मुख्य भूमिका बताई जाती है। भाजपा से निवर्तमान पार्षद मनोज नासवा इनके सगे भाई हैं, चर्चा है कि सत्तापक्ष के मंत्री नेताओं का वरद्हस्त होने के कारण दोनों भाई नगर निगम में अपना सिक्का चलाते हैं।