केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर का योगदान : टोल टैक्स बढ़ा, स्वास्थ्य सेवाओं का सत्यानाश

केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर का योगदान : टोल  टैक्स बढ़ा, स्वास्थ्य सेवाओं का सत्यानाश
April 15 17:06 2024

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीयमंत्री कृष्णपाल गूजर को उस जनता की मूर्खता पर हंसने का पूरा हक है जिसने उसे भारी-बहुमत के साथ अपना प्रतिनिधि बनाकर संसद में भेजा था।

सन् 2014 व 2019 के चुनाव के समय उन्होंने कोई ऐसा क्षेत्र छोड़ा नहीं था जिसमें सुधार के वायदे उन्होंने न किये हों। दिल्ली बदरपुर बॉर्डर पर लगे टोल-टैक्स को उन्होंने जजिया कर बताते हुए, सत्तारूढ़ होते ही हटाने का वायदा किया था। टोल हटाना तो दूर, उसमें समय-समय पर लगातार वृद्धि होती जा रही है। शायद यह वृद्धि भी गूजर की भाजपा सरकार को कम लगी जो गदपुरी पर पूरी तरह से अवैध एक और टोल नाका बैठा दिया।

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में उनकी डबल इंजन वाली सरकार ने कोई सुधार एवं वृद्धि तो क्या करनी थी, रही-सही सेवाओं का और भी सत्यानाश कर दिया। जि़ले का सबसे बड़ा सरकारी बीके अस्पताल, जो पहले भी 200 बिस्तरों का ही था आज भी उतने का ही है; बल्कि बिस्तरों की संख्या घट गई है क्योंकि अस्पताल के कुछ भाग को पीपीपी मोड में हृदय सम्बन्धी रोग उपचार के लिये ठेकेदार को बेच दिया है। इसी तरह दूसरे तल पर डायलिसिस करने का ठेका एक अन्य निजी कम्पनी को दे दिया। जाहिर है कि इससे बिस्तरों के लिये उपलब्ध स्थान तो घटा ही है। विदित है कि इस अस्पताल की मौजूदा बिल्डिंग का उद्घाटन सन 1998 में हुआ था। उपलब्ध जानकारी के अनुसार प्रस्तावित बिल्डिंग का यह केवल पांचवां भाग ही है। अर्थात मौजूदा बिल्डिंग जैसे चार खंड और बनने थे। बिल्डिंग का बनना तो गया भाड़ में, जो कुछ है वह भी स्टॉ$फ एवं संसाधनों की कमी व भ्रष्टाचार के चलते जनता की मुसीबत का कारण बना हुआ है।

सन 2020 में यूरोप के एक छोटे से देश डेनमार्क से मिले ढाई करोड़ रुपये व टाटा समूह की सहायता से 105 बिस्तरों का एक विशेष कोरोना वार्ड बनाया गया था। भीख में मिले पैसों से वार्ड तो बन गया लेकिन आज तक उसका कोई इस्तेमाल नहीं हो सका है क्योंकि वहां तैनात करने के लिये कोई स्टॉफ  नहीं है। स्टॉफ इसलिये नहीं है कि वेतन पर होने वाले खर्च को गीता समारोह तथा अन्य सरकारी अय्याशियों पर खर्च करना जरूरी है। इतना ही नहीं गूजर के अपने गांव मेवला महाराजपुर में करोड़ों रुपये का तीन मंजिला अस्पताल तो बना दिया लेकिन वहां इलाज के नाम पर निल बटा सन्नाटा ही चल रहा है।

वहां के लिये तैनात हुई प्रभावशाली लेडी डॉक्टर सरला गुप्ता दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में हाजरी लगाकर मौज मार रही है। क्योंकि उनके पति जज बताये जाते हैं। इसके अलावा हरियाणा के तत्कालीन श्रम मंत्री स्वर्गीय पंडित शिवचरण लाल शर्मा ने सेक्टर 55 में एक तीन-मंजिला अस्पताल का निर्माण करवाया था जिसमें आज भी न तो पर्याप्त स्टाफ हैं और न ही आवश्यक साजो-सामान। इस बिल्डिंग में कभी कोई दफ्तर खोल दिया जाता है तो कभी कोई। एक बार तो इसे कौशल विकास विश्वविद्यालय ही बनाने का प्रयास किया था। कुल मिलाकर करोड़ों के खर्च से बनी बिल्डिंग बर्बादी की ओर बढ़ रही है।

तिगांव में भी एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर का दर्जा बढ़ाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाया गया था। इसके लिये करोड़ों की बिल्डिंग तो बना दी गई लेकिन जनता को वहां से कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा क्योंकि वहां न तो पर्याप्त स्टॉफ है और न ही आवश्यक साजो-सामान। इसी तरह फरीदाबाद से होडल तक दर्जनों प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के ढांचे तो खड़े कर दिये गये हैं लेकिन इलाज के लिये जनता को बल्लबगढ व फरीदाबाद के सिविल अस्पतालों के धक्के खाने पड़ते हैं जहां से इन्हें रेफर कर दिया जाता है। यही है मंत्री कृष्णपाल गूजर का, क्षेत्र की जनता को दिया गया योगदान। वर्ष 2004-2005 में बल्लबगढ़ के सेक्टर तीन व फरीदाबाद के सेक्टर 30 में हेल्थ मिशन के तहत दो जच्चा-बच्चा सेन्टर खोले गये थे। शानदार इमारत तथा डॉक्टरों व स्टाफ के निवास भी बना दिये गये थे लेकिन पर्याप्त स्टॉफ  एवं आवश्यक साजो-सामान के अभाव में ये सब निर्रथक हो कर रह गये हैं। अब इन इमारतों में कहीं ड्रग इंस्पेक्टर का दफ्तर चल रहा है तो कहीं किसी और का दफ्तर। जनता से वोट मांगने निकले कृष्णपाल इन सब सवालों के बारे में क्या कहना चाहेंगे?

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Mazdoor Morcha
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