फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भ्रष्टाचार के गढ़ नगर निगम की स्थापना शाखा (ईओ ब्रांच) का अधीक्षक गिर्राज सिंह खुद को संयुक्त आयुक्त और निगमायुक्त से ऊपर मानता है। यही कारण है कि वह कर्मचारी को नियमित करने की संयुक्त आयुक्त की जांच रिपोर्ट की सिफारिश लागू नहीं कर रहा। बिना मोटा सुविधा शुल्क लिए कोई काम नहीं करने वाली ईओ शाखा का अधीक्षक गिर्राज सिंह बीस-बीस साल से काम कर रहे कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची में फेरबदल कर आला अधिकारियों को गुमराह कर रहा है। दरअसल, वरिष्ठता तय करने के एवज में कर्मचारी को मिलने वाले एरियर की रकम पर उसकी नजर है, बिना हिस्सा-पत्ती के कर्मचारियों की फाइल सरकने ही नहीं देता, भले ही निगमायुक्त या स्थानीय शहरी निकाय मुख्यालय चंडीगढ़ का आदेश ही क्यों न हो।
गिर्राज सिंह की मनमानी का शिकार नलकूप ऑपरेटर राजेंद्र सिंह भी हैं। राजेंद्र सिंह नगर निगम में वर्ष 1992 में दैनिक वेतन पर नलकूप ऑपरेटर पद पर तैनात हुए थे। वर्ष 1996 में पॉलिसी आई कि तीन साल तक दैनिक वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित किया जाए। उस समय ईओ ब्रांच में कर्मचारियों को नियमित करने का खेल शुरू हुआ। तत्कालीन सहायक विशेष कुमार वर्मा ने तमाम कनिष्ठ कर्मचारियों को फर्जी तरीके से वरिष्ठ दिखा कर उन्हें पदोन्नति दिला दी थी। बाद में जांच में विशेष कुमार वर्मा की करतूतों का खुलासा हुआ और सरकार ने उसके खिलाफ रूल सात में चार्जशीट भी जारी की थी।
विशेष कुमार की करतूत का शिकार उस समय तीन साल नौकरी पूरी कर चुके राजेंद्र सिंह सहित कई अन्य कर्मचारी हुए थे। इन सबने निगमायुक्त से लेकर स्थानीय शहरी निकाय मुख्यालय चंडीगढ़ तक शिकायत की थी। जिन कर्मचारियों को 1996 में नियमित हो जाना चाहिए था उन्हें 2014 में नियमित किया गया। राजेंद्र सिंह ने इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए 1996 से नियमित किए जाने की मांग करते हुए निगमायुक्त सहित चंडीगढ़ मुख्यालय को आवेदन दिया था।
उनके आवेदन पर प्रशासनिक अधिकारी नगर निगम फरीदाबान ने वित्तीय नियंत्रक से सत्यापित रिकॉर्ड तलब किया था। रिकॉर्ड में राजेंद्र सिंह ने 1992 से काम करने और 1996 में तीन साल से अधिक समय तक काम करने की पुष्टि की गई। ऑडिट रिपोर्ट भी राजेंद्र सिंह के दावों की पुष्टि करती थी। इस आधार पर चंडीगढ़ मुख्यालय ने 4 जुलाई 2023 को निगमायुक्त को पत्र लिख कर राजेंद्र सिंह को 1996 से नियमित करने और अभी तक इस मामले को लटकाए रखने वाले अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब करने का आदेश जारी किया। बावजूद इसके गिर्राज सिंह ने इस मामले को करीब चार महीने और लटकाए रखा।
जनवरी 2024 में निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास और अतिरिक्त आयुक्त गौरव अंतिल ने राजेंद्र सिंह के आवेदन को स्वीकृत करते हुए आयुक्त एवं सचिव शहरी स्थानीय निकाय को पत्र लिखा। चर्चा है कि गिर्राज ने यह पत्र गायब करते हुए दूसरा पत्र तैयार कर आयुक्त एवं सचिव की जगह निदेशक स्थानीय शहरी निकाय को फाइल भेज दिया ताकि केस फिर लटक जाए।
गिर्राज की करतूतों से परेशान राजेंद्र सिंह ने नवंबर 2023 और फिर फरवरी 2024 के खिलाफ निगमायुक्त को पत्र लिख कर उनके मामले की जांच वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी से करवाने की मांग की, इस पर उसकी जांच संयुक्त आयुक्त से कराने का आदेश दिया। चर्चा है कि गिर्राज सिंह संयुक्त आयुक्त को गलत जानकारी देकर जांच प्रभावित कराने में जुटा है। गिर्राज सिंह कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न कर सके इसलिए पीडि़त कर्मचारी ने मामले की जांच निगम के बाहर के किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की निगरानी में जांच कमेटी गठित कराने की मांग की है।
निगम के भ्रष्ट अधिकारी विकास कार्येां के धन की तो बंदरबांट कर ही रहे हैँ अब अपने ही कर्मचारियों को भी लूटने में गुरेज नहीं कर रहे। राजेंद्र सिंह जैसे न जाने कितने ही कर्मचारी अपनी वरिष्ठता के आधार पर मिलने वाली सुविधाओं के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन गिर्राज सिंह जैसे भ्रष्ट और खाऊ कमाऊ अधिकारी के कारण धक्के खाने को मजबूर हैं।