फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) ईएसआई कॉ रपोरेशन मुख्यालय द्वारा सहयोग करना तो दूर तमाम तरह की बाधाएं खड़ी करने के बावजूद यहां के विशेषज्ञ डॉक्टरों के कदम आगे बढऩे से रुक नहीं पा रहे।
औद्योगिक दुर्घटना के कारण आंखों की रौशनी खो चुके एक मज़दूर का सफल कॉर्निया ट्रांसप्लांट करकेउन्हें बीते 9 अगस्त को नई आंख लगा दी गई और जल्द ही दूसरे मरीजों को भी लगाने की तैयारी है। इस सफल प्रत्यारोपण के चलते इन मज़दूरों के जीवन में छाया अंधेरा दूर हो गया है। अब वे पहले की तरह किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन-यापन एवं काम-काज कर सकेंगे।
कारखानों में काम करते समय इस तरह की दुर्घटनाएंं हो जाना एक आम बात है। इसके लिये वे कारखानेदार तो दोषी हैं ही जो अपने कर्मकारों को औद्योगिक चश्मे प्रदान नहीं करते, कर्मकार भी कम दोषी नहीं हैं जो अपनी आंखों की सुरक्षा के लिये उचित उपाय एवं सावधानी नहीं बरतते। दूसरी ओर मज़दूरों के वेतन से नियमित वसूली करने वाला ईएसआई कॉरर्पोरेशन भी ऐसे दुर्घटनाग्रस्त मज़दूरों के इलाज की ओर कोई ध्यान देने की जरूरत नहीं समझता रहा है।
कॉर्पोरेशन ऐसे मज़दूरों को कुछ पेंशन एवं मुआवज़ा देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करता रहा है, जबकि आंखों की रौशनी के बदले कोई भी मुआवजा पर्याप्त नहीं हो सकता। आंखों के इस काम के लिये बीते करीब डेढ़ साल से आई बैंक स्थापित करने का प्रयास हो रहा था। इसमें सबसे बड़ी विशेष सराहनीय भूमिका प्रोफेसर (डॉ.) शशि वशिष्ठ की रही है। खुद कैंसर की मरीज़ होते हुए भी उन्होंने इस प्रोजेक्ट को अपनी सेवानिवृत्ति (31 अगस्त) से पहले-पहले सिरे चढ़ा दिया। फिलहाल इस शल्य चिकित्सा के लिये आवश्यकतानुसार डॉॅक्टर डॉ. विनय अरोड़ा को बुलाया जाता है। यानी कि इस काम के लिये किसी स्थायी विशेषज्ञ डॉक्टर को नौकरी पर नहीं रखा गया है।