फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नई दिल्ली स्थित ईएसआई कारपोरेशन मुख्यालय में बैठे अनेकों कमिश्नरों में से एक होता है एमसीएमई (मेडिकल कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन)। बीते सप्ताह तक इस पद पर विराजमान थीं दीपिका गोविल नालायक नेतृत्व के जिनके बारे में काफी विस्तार से मज़दूर मोर्चा इस वर्ष के 11 से 17 अंक में लिखा गया था। अब उन्हें हटा कर उनके स्थान पर डॉ. असित मलिक को नियुक्त किया गया है जो कि गोविल के विपरीत एक विशेषज्ञ चिकित्सक हैं। विशेषज्ञ होने के नाते इन्होंने अस्पतालों में बीस वर्ष से अधिक समय तक मरीजों के इलाज का अनुभव प्राप्त किया है।
इस कमिश्नर का मुख्य काम कॉरपोरेशन के तमाम मेडिकल कॉलेजों की आवश्यकताओं को समझ कर उनकी जरूरतों को पूरा कराना होता है। ज़ाहिर है किसी भी मेडिकल कॉलेज की आवश्यकताओं को वही समझ सकता है जिसने कभी मेडिकल कॉलेज में रहकर काम काज को न केवल देखा हो बल्कि अच्छी तरह से किया भी हो। इस नज़रिए से देखा जाए तो इस पद पर वही व्यक्ति नियुक्त होना चाहिए जिसमें उक्त योग्यता हो। दीपिका गोविल ने कभी किसी मेडिकल कॉलेज तो क्या किसी बड़े अस्पताल में विशेषज्ञ सेवाएं भी देने का अनुभव प्राप्त नहीं किया था इसलिए वे मेडिकल कॉलेजों की कार्यशैली एवं आवश्यकताओं को समझने में असमर्थ थीं। मेडिकल कॉलेज फैकल्टी के लोग उन्हें बार-बार समझाने का प्रयास तो करते थे लेकिन वे कुछ समझ नहीं पाती थीं, शायद उनका अहम उन्हें किसी अन्य द्वारा समझाए जाने की स्वीकृति नहीं देता था।
डॉ. असित मलिक बेशक फैकल्टी से न होकर केवल विशेषज्ञ एवं अस्पताल में इलाज करने का अनुभव रखते हैं, तो भी इस नाते उनसे अपेक्षा तो की ही जा सकती है कि वे अपने तमाम मेडिकल कॉलेजों की समस्याओं एवं आवश्यकताओं को समझाए जाने पर समझने का प्रयास तो करेंगे ही। माना यही जाता है कि जब कोई अधिकारी किसी बात को अच्छे से समझ लेता है तो वह उसका समाधान भी करता ही है, बाकी समय बताएगा कि डॉ. मलिक कितने समझदार साबित होते हैं। मुख्यालय के भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉ. असित मलिक को अभी तक ओखला के ईएसआई मेडिकल कॉलेज से रिलीव नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि दीपिका गोविल कुर्सी से चिपके रहने के लिए भरसक जुगाड़बाज़ी करने में जुटी है। लगता है मेडिकल कॉलेजों का जो सत्यानाश करने में कसर रह गई है उसे पूरा करके ही जाना चाहती हैं।