पहले सेक्टर आठ के धक्के खाओ, तब मेडिकल कॉलेज में इलाज पाओ फरीदाबाद (म.मो.) ईएसआई कॉर्पोरेशन को अपने खून-पसीने से सींचने वाले मज़दूरों का सरकार कोई भला कर पाये या न परन्तु उनकी ऐसी-तैसी करने का कोई मौका, सरकारी अफसर छोडऩे वाले हैं नहीं।
इस शहर में एक अस्पताल सेक्टर आठ में व दूसरा एनएच तीन में का$फी अरसे से चले आ रहे हैं। शहर भर में कुल 15 डिस्पेंसरियों में से, मज़दूरों की सुविधा अनुसार कुछ को सेक्टर आठ से व कुछ को एनएच तीन के अस्पताल से जोड़ा गया था। राष्ट्रीय राजमार्ग से एनआईटी की ओर वाले क्षेत्र की डिस्पेंसरियों को एनएच तीन से व शेष को सेक्टर आठ वाले अस्पताल से जोड़ कर रखा गया था। इसी फार्मूले के अनुसार मेडिकल कॉलेज बनने के बाद भी ये इसी अस्पताल से जुड़ी रहीं।
विदित है कि सामान्यतया मरीज पहले डिस्पेंसरी में जायेगा, जरूरत समझी जाने पर उसे अस्पताल रेफर किया जायेगा और अधिक जरूरत समझी जाने पर उसे किसी बड़े अस्पताल को रेफर किया जायेगा। इस व्यवस्था से सेक्टर आठ के कुछ डॉक्टरों को अपनी चौधर में कुछ कमी महसूस होने लगी तो उन्होंने पंचकूला स्थित ईएसआई हेल्थ-केयर को पत्र लिख कर मांग की कि एनएच तीन अस्पताल से जुड़ी तमाम डिस्पेंसरियां सीधे तौर पर मरीजों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल को रेफर न करें। वे पहले सेक्टर आठ को रेफर करें, फिर यदि जरूरत समझी जायेगी तो उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर किया जायेगा।
सर्वविदित है कि रेफर करने वाली डिस्पेंसरियों में तो सरकार ने छोड़ा ही कुछ नहीं और सेक्टर आठ के अस्पताल में भी कुछ करने-धरने को है नहीं। नये फरमान के मुताबिक, जिन डिस्पेंसरियों से मरीज़ सीधे रेफर होकर मेडिकल कॉलेज जाते थे वे अब पहले सेक्टर आठ धक्के खाने जायेंगे और वहां के चक्कर लगाने के बाद रेफर होकर मेडिकल कॉलेज आयेंगे। जन विरोधी सोच रखने वाले इन अफसरों ने यह सोचने की जरा भी जहमत नहीं उठाई कि इससे मज़दूरों को कितनी कठिनाई आने-जाने में होगी, कितना किराया भाड़ा रिक्शाओं में लगेगा और कितनी दिहाडिय़ां टूटेंगी? अभी तक यह फरमान लागू नहीं हुआ है बल्कि अभी तक दफ्तर की फाइल में ही रखा है। जिस दिन यह फरमान मज़दूरों में प्रसारित होगा उस दिन इसकी भारी प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी। जो मज़दूर जैसे-तैसे शान्तिपूर्ण अपनी गुजर-बसर करते आ रहे हैं, वह हरियाणा सरकार के अफसरो को रास नहीं आ रहा। वे मज़दूरों को भडक़ा कर जरूर कोई न कोई हंगामा बोने की राह पर हैं।