दूसरों को नसीहत खुद मियां फजीहत

दूसरों को नसीहत खुद मियां फजीहत
December 17 12:26 2021

अवैध निर्माण के लिए सील किये गये संतोष अस्पताल की सरकारी सील तोडऩे की खुशी में निगमायुक्त यशपाल भी शरीक हुये
फरीदाबाद (म.मो.) मुख्यमंत्री फ्लाईंग द्वारा जनवरी 2021 में निर्माण संबंधी अनियमितताओं के चलते सील किये गये संतोष अस्पताल एनएच तीन एफ 138/139 के खुले होने की घोषणा करने पांच दिसम्बर 2021 को खुद निगमायुक्त यशपाल यादव इस अस्पताल में पधारे। उनके पधारने को सार्वजनिक करने के लिये अस्पताल मालिक ने ऊपर दिया फोटो मीडिया द्वारा सार्वजनिक किया ताकि तमाम निगम कर्मचारियों व जनता को पता चल जाये कि इस अस्पताल पर ‘वैधता’ की मुहर लग चुकी है।

वैसे यह अस्पताल सील किये जाने के बावजूद कोरोना लहर में पूरे जोर-शोर से शहरवासियों को लूटने में जुटा रहा। उस दौरान यहां 75000 रुपये प्रति बिस्तर के हिसाब से मरीज़ों को लिटा कर केवल ऑक्सीजन दी जाती थी, डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ किन्हीं अन्य अस्पतालों से आते थे, वे भी मात्र दिखावे भर को। पांच-सात दिन रखने के बाद ये लोग अपने मरीज़ को गंभीर बता कर जहां-तहां रैफर कर देते थे। उस आपात स्थिति में यहां 70-80 मरीज़ हमेशा दाखिल रहते थे। इसका मतलब 60-70 लाख की आय रोजाना पक्की। इस बाबत शिकायत तत्कालीन उपायुक्त और आज के निगमायुक्त यशपाल यादव को की गयी थी जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी।

निगमायुक्त यशपाल यादव पूरे शहर में अवैध कब्जे एवं निर्माण हटाने की नसीहत के साथ-साथ अपनी प्रशासकीय शक्ति का प्रयोग भी कर रहे हैं। बीते दिनों शहर भर में कई दुकानों के सामने लगे टीन शेड तोड़ डाले, सामने पड़े सामान व रेहड़ी आदि को हटवाया। यह अच्छी बात है। इससे पैदल चलने वालों को फुटपाथ नसीब हो सकती है। बशर्ते कि कुछ दिन बाद ये अवैध कब्जे फिर से न हो जायें। वैसे नि:संदेह ये कब्जे बहुत जल्द होने वाले हैं। इसके अलावा रेहडिय़ा भी इसी तरह लगती रहेंगी जब तक उनके लिये बाकायदा कोई स्थान बतौर रेहड़ी मार्किट तय न कर दिया जाये।

महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि लोग प्रशासन के आदेश को मानते क्यों नहीं, बार-बार तोडफ़ोड़ करने के बावजूद लोग फिर से वहीं कब्जे क्यों कर लेते हैं? इसका एकमात्र कारण अधिकारियों में निष्ठा का नितांत अभाव तथा अपनी शक्तियों के प्रयोग से लूट कमाई करना है। अधिकारी चाहते हैं कि जो इनके चहेते हों उन्हें रिश्वत दी जाये या किसी की सिफारिश लगवा दें तो अवैध भी वैध हो जाता है।

इसका सर्वोत्तम उदाहरण नम्बर 3 में बना संतोष अस्पताल है। तीन रिहायशी मकानों को तोडक़र करीब 450 वर्ष गज में पूर्णतया अवैध रूप से बना यह अस्पताल, स्थानीय लोगों की शिकायत पर सीएम फलाईंग स्कवाड द्वारा जनवरी 2021 में सील कर दिया गया था। स्टिल पार्किग को भी इस्तेमाल में ले लेने के चलते इसे पांच मंजिला कहा जायेगा। इतना ही नहीं करीब 7 फुट तक इसकी सीढिय़ां सडक़ पर आई हुई हैं। उसके बाद इनका जनरेटर सेट व बड़ा ट्रांसफार्मर भी सडक़ घेरे हुए है। अस्पताल में आने वाले तमाम वाहनों को तो सडक़ पर पार्किग करने का जन्म सिद्ध अधिकार स्वयं मिल ही जाता है। जाहिर है प्रशासनिक सहयोग के चलते अस्पताल की इस दादागिरी से सडक़ पर आवागमन कठिन हो जाता है। जाम पर जाम लगते रहते, लेकिन किसे परवाह है इसकी, जनता भुगतती है तो भुगते।

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Mazdoor Morcha
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