फरीदाबाद (म.मो.) ईएसआई कोर्पोरेशन के दिल्ली स्थित मुख्यालय में तैनात मेडिकल कमिश्नर दीपक शर्मा को यह अधिकार है कि वे कार्पोरेशन के डॉक्टरों को देश के किसी भी ईएसआई अस्पताल में नियुक्ति पर भेज सकते हैॅं। अपने इस अधिकार का प्रयोग वे मरीज़ों तथा डॉक्टरों की भलाई में न करके केवल अपनी अहंकार को संतुष्ट करने के लिये करते हैं। वे यह नहीं सोचते कि दक्षिण भारत का डॉक्टर उत्तर में व उत्तर भारत का डॉक्टर दक्षिण के मरीज़ों के साथ कैसे तारतम्य बना पायेगा?
इसके अलावा हजारों मील दूर जाकर बेहतर सेवायें दे पायेगा अथवा अपने क्षेत्र में रहकर? जाहिर है जो डॉक्टर दूर-दराज के अंजाने क्षेत्र में तैनाती पायेगा उसका ध्यान काम की अपेक्षा अपने घर की ओर ज्यादा रहेगा। वह हर तरह से छुट्टियां लेकर या काम से गैरहाजिर होकर भागने की फिराक में रहेगा। ऐसे में असली नुक्सान तो मरीज़ों को ही भुगतना पड़ेगा।
अभी हाल ही में ईएसआई के मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस पास करके जो डॉक्टर निकले हैं उनका कॉर्पोरेशन के साथ अनुबंध है कि वे एक साल तक उनके अस्पतालों में नौकरी करेंगे। इसी अनुबंध से बंधे ये युवा डॉक्टर दूर-दराज के इलाकों में नौकरी करने को मजबूर हैं। कहने की जरूरत नहीं कि मजबूरी में कोई काम करता है तो वह कैसा करता है। यों तो ऐसे डॉक्टरों की लिस्ट लंबी है लेकिन खोज-बीन करने पर ऐसे कुछ डॉक्टरों की उपलब्ध हुई सूची इस प्रकार है।
डॉ.ननीश कुमार ईएसआई मेडिकल कॉलेज कोलकाता से भेजे गये गुजरात के अंकलेश्वर, डॉ. सरीराज बंगलोर के मेडिकल कॉलेज से गुजरात के अंकलेश्वर, डॉ. नवीन कोलकाता से अंकलेश्वर, डॉ. सचिन फरीदाबाद से नरौदा गुजरात, डॉ. प्रतीक फरीदाबाद से आंगुल ओडीसा। डॉ. चन्द्रशेखर गुलबर्गा से बद्दी हिमाचल प्रदेश, डॉ. शिवा प्रिया बैंगलोर से लुधियाना, डॉ. भरथ कुमार चेन्नई से $फरीदाबाद, डॉ. सर्वेसरा नंद चेन्नई से फरीदाबाद, डॉ. पंकज फरीदाबाद से अंकलेश्वर।
स्पष्ट है कि जो युवा डॉ. हाल ही में प्रशिक्षित होकर निकले हैं और जिन्हें अभी काम सीखने व करने की ओर अधिक ध्यान देना चाहिये, इसकी अपेक्षा वे अपने तबादले अथवा मजबूरी के चलते टाईमपास करने के चक्कर में ज्यादा रहेंगे।