फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) 112 सरकारी एंबुलेंस चालकों द्वारा रेफरल मरीजों को सफदरजंग अस्पताल पहुंचाने के बदले नर्सिंग होम पहुंचा कर कमीशनखोरी करने के काले कारनामों पर पर्दा डालने की नीयत से नोडल अधिकारी डॉ. एमपी सिंह ने मीडिया में झूठी जांच रिपोर्ट प्रकाशित करा दी। पीडि़त मोनू के अनुसार उसे जांच के लिए गठित कमेटी के सामने बुलाया गया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई ही नहीं हुई है, जांच रिपोर्ट तो दूर की बात।
गुडग़ांव निवासी मोनू कुमार ने 23 जनवरी 2023 को गर्भवती पत्नी खुशबू को बीके अस्पताल में भर्ती कराया था। शिशु की जन्म के कुछ देर बाद मृत्यु हो गई थी, खुशबू भर्ती थी। 24 जनवरी को तबीयत बिगडऩे पर रात करीब दो बजे उसे सफदरजंग रेफर कर दिया गया था। 112 एंबुलेंस चालक कन्हैया और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) कृपाराम ने सफदरजंग तक ले जाने मे खुशबू की जान जाने का डर दिखा कर पास के ही प्रयाग हॉस्पटिल में एडमिट कराने का दबाव बनाया। चालकों ने प्रयाग हॉस्पिटल से तीन अन्य लोगों को भी बुला लिया। पत्नी की जान बचाने के दबाव में मोनू ने हां कर दी।
हॉस्पिटल में चालक कन्हैया ने ही खुशबू को एडमिट कराया था। यहां डॉ. अमित ने खुशबू की हालत बहुत खराब बताते हुए मोटे बिल बनाने शुरू कर दिए। बताते चलें कि डॉ. अमित बीईएमएस सर्टिफिकेट धारक है और उसके इस सर्टिफिकेट की वैधता 27 अक्तूबर 2018 को समाप्त हो चुकी है। किसी भी अस्पताल में आईसीयू वार्ड में एमबीबीएस या उससे ऊंची डिग्री वाला डॉक्टर ही के काम करने का मानक है। डॉ. अमित की धूर्तता देख कर वहां मौजूद एक तीमारदार ने बताया कि ये लोग मरीज की जान जाने तक सिर्फ पैसा खींचते हैं, मरीज के बचाने की कोई गारंटी नहीं रहती।
इस पर मोनू ने खुशबू को सफदरजंग ले जाने के लिए डिस्चार्ज करने को कहा। आरोप है कि डॉ. अमित ने मरीज की जान जाने का डर दिखा कर भर्ती रखने को कहा लेकिन मोनू अड़ गया। इस पर डॉ. अमित ने 112 एंबुलेंस चालक कन्हैया को फोन कर बता दिया कि उसका लाया मरीज जा रहा है। कमीशन मरता देख कन्हैया ने मोनू को पहले तो भर्ती रखने के लिए वरगलाया, नहीं मानने पर धमकियां भी दीं। मोनू जबरन पत्नी को डिस्चार्ज करा कर सफदरजंग ले गया, वहां सामान्य इलाज से एक दो दिन में वह पूर्ण स्वस्थ हो गई। एंबुलेंस चालक की शिकायत मोनू ने की थी।
112 एंबुलेंस के नोडल अधिकारी डॉ. एमपी सिंह ने चालक और ईएमटी को बचाने की नीयत से मीडिया में झूठी खबर दे दी कि जांच में मोनू की शिकायत झूठी पाई गई। क्योंकि चालक ने मोनू के कहने पर ही उसकी पत्नी को निजी अस्पताल पहुुंचाया था और मात्र दो किलोमीटर दूर जाने के 14 रुपयों का भुगतान भी किया था, इसलिए चालक का कोई दोष नहीं है।
इधर मोनू का कहना है कि उसकी शिकायत पर पीएमओ द्वारा जांच कमेटी का गठन किया गया। उसे अपना पक्ष रखने के लिए जांच कमेटी के सामने 12 मार्च को उपस्थित होने को कहा गया था। आधा घंटा देर से पहुंचने के कारण अब सुनवाई 19 मार्च तय की गई है। उसका आरोप है कि डॉ. एमपी सिंह ने झूठी जांच रिपोर्ट बना कर मीडिया को गलत जानकारी दी। समझा जा सकता है कि निजी अस्पतालों में मरीज को पहुंचाने पर बिल का जो बीस से तीस प्रतिशत कमीशन एंबुलेंस चालक झटकते हैं उसका हिस्सा ऊपर तक पहुंचाते हैं इसके बदले उन्हें हर जांच में साफ बरी करने का अभयदान मिला होता है, जैसा कि मोनू के केस में नजर आ रहा है।
मामला इस कदर उछलने और प्रकाश में आने के बावजूद पीएमओ व सीएमओ द्वारा कोई दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय जांच-जांच का खेल खेला जा रहा है। इतना ही नहीं जिला प्रशासन एवं सरकार चलाने वाले राजनेता भी केवल तमाशाई की भूमिका निभा रहे हैं। इसका स्पष्ट अर्थ यही है कि उक्त सभी लोग मोनू जैसे लोगों को लूटने और ठगने के खेल में शामिल हैं।