चंडीगढ़ (म.मो.) घोषणावीर मुख्यमंत्री खट्टर ने घोषित किया है कि राज्य के सांस्कृतिक मॉडल तथा आरोही विद्यालयों में रिक्त पदों को भरने के लिये दिवाली से पहले 1800 अध्यापकों की नियुक्ति कर देंगे। इन अध्यापकों का चयन सेंटा परीक्षा द्वारा आगामी कुछ दिनों में कर लिया जायेगा।
इस घोषणा से कोई गलतफहमी पाल कर खुश होने की जरूरत नहीं है। ये 1800 अध्यापक कोई नये सिरे से भर्ती होने वाले नहीं हैं। शिक्षा विभाग में पहले से ही मौजूद एवं कार्यरत अध्यापकों में से बेहतरीन को चुनकर मॉडल स्कूलों में तैनात कर दिया जायेगा। जाहिर है कि फिलहाल जिन स्कूलों में ये अध्यापक कार्यरत हैं वहां से इन्हें हटा लिया जायेगा। उनकी जगह भरने के लिये अध्यापकों को लाने का कोई प्रस्ताव खट्टर के पास नहीं है। यानी एक जगह से अध्यापक निकाले जायेंगे, और दूसरी जगह लगा दिये जायेंगे। सवाल पैदा होता है कि जिन स्कूलों से अध्यापक हटेंगे वहां के बच्चे क्या करेंगे? वे सडक़ों पर नहीं उतरेंगे तो क्या करेंगे?
दूसरी मजेदार बात यह है कि पहली अप्रैल से स्कूलों में पढाई का सत्र शुरू हो जाता है। दिवाली तक जहां अध्यापक नहीं होंगे वहां बीते छ: महीने तो बच्चों के बर्बाद हो ही चुके हैं। बाकी समय बतायेगा कि दिवाली के बाद भी कितने अध्यापक इन स्कूलों को मिल पायेंगे। इसके अलावा पूरे साल का कोर्स वे शेष बचे आधे साल में कैसे पूरा कर पायेंगे?