फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) डिप्टी सीएमओ पद के घमंड में चूर डॉ. राजेश श्योकंद ने मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचे पोस्ट ग्रेजुएट टीचर जय प्रकाश यादव से अभद्र व्यवहार कर अमानवीयता की हद पार कर दीं। जय प्रकाश की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने सीएमओ कार्यालय के गेट की फोटो खींच ली। उस समय चाय आने के इंतजार में साथी डॉ. रामभगत केे साथ गप्पें हांक रहे डॉ. राजेश श्योकंद को अभ्यर्थी की यह हरकत इतनी नागवार गुजरी की उन्होंने उसका कॅरियर बिगाडऩे और मेडिकल के लिए रोहतक भेजने की तक की धमकी दे डाली। डर से कांपता जय प्रकाश माफी मांगता रहा और साहब का पारा हाई होता चला गया। आखिर में उसे परेशान कर सबक सिखाने के बाद ही सर्टिफिकेट जारी किया गया।
बृहस्पतिवार सात मार्च को मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचे पीजी टीचर अभ्यर्थिर्यों को फार्म भरवाने और जांच करवाने के बाद प्रमाणपत्र लेने के लिए शनिवार को बुलाया गया। शनिवार को इन लोगों को यह कहते हुए लौटा दिया गया कि आज केवल गु्रप डी के अभ्यर्थियों के ही प्रमाणपत्र बनकर बटेंगे, सोमवार को आना। कई अभ्यर्थियों ने प्रमाणपत्र दिलाने की मिन्नतें की तो क्लर्क गोपाल ने कहते हुए कि सीएमओ छुट्टी पर हैं वही हस्ताक्षर करेंगे, सबको लौटने को मजबूर कर दिया।
सोमवार को एक दर्जन केे करीब अभ्यर्थी सुबह नौ बजे ही प्रमाणपत्र लेने पहुंच गए। क्लर्क गोपाल पौने ग्यारह बजे पहुंचा और दलालों द्वारा लाए गए फार्म पर ध्यान देने लगा। पीजी टीचरों ने गोपाल से बताया कि डीईओ कार्यालय में कमेटी बैठी हुई है कृपया जल्द प्रमाणपत्र जारी करवा दें, लेकिन उन सबको बाहर बैठ कर इंतजार करने को कहा गया। इस दौरान गोपाल के साथी कर्मचारी ने कई अन्य सुविधा शुल्क चुकाने वाले लोगों के मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा कर और उन पर डिप्टी सीएमओ, सीएमओ के हस्ताक्षर करवा कर उन्हें सौंप दिए।
बिना सुविधा शुल्क वाले पीजी टीचरों को इंतजार कराया गया। आखिर करीब डेढ़ बजे गोपाल ने सबके प्रमाणपत्र लिए और सबको बुलाकर हस्ताक्षर कराने सीएमओ कार्यालय चल दिया। सबको उम्मीद थी कि दस मिनट में प्रमाणपत्र मिल जाएगा तो आज ही डीईओ कार्यालय पहुंच कर कमेटी के सामने पेश होकर ज्वाइनिंग ले लेंगे। सीएमओ कार्यालय के बाहर डिप्टी सीएमओ राजेश श्योकंद और डॉ. राम भगत गप्पें लड़ा रहे थे, दरअसल ये दोनों यहां आराम करते हुए चाय की चुस्कियां लेने पहुंचे थे। चाय का इंतजार कर ही रहे थे कि गोपाल व अभ्यर्थी पहुंच गए। इनमें से एक पीजी टीचर अभ्यर्थी जय प्रकाश यादव पुत्र नत्थू सिंह निवासी गांव चीरसी तहसील तिगांव भी था।
उत्साहित जय प्रकाश ने मोबाइल निकाल कर सीएमओ कार्यालय के बाहर लगी नेमप्लेेट की फोटो क्लिक कर ली। उसे ऐसा करते देख डॉ. रामभगत ने कहा कि ए वीडियो क्यों बना रहे हो? सकपकाए जय प्रकाश ने सफाई दी कि सर वीडियो नहीं बना रहा था केवल यादगार के लिए एक फोटो खींची है। उसकी सफाई पर डिप्टी सीएमओ डॉ. राजेश श्योकंद हत्थे से उखड़ गए। कडक़ कर हडक़ाते हुए बोले डिलीट कर नहीं तो तेरा मेडिकल सर्टिफिकेट मैं बनाता हूं। घबराए जय प्रकाश ने कहा कि डिलीट कर दिया। क्या है तेरा नाम, फोटो खींचेगा इधर ला मोबाइल, इसकी गैलरी खोल कर देखूंगा, बड़ा टीचर बनने चला है अभी बनाता हूं तुझे टीचर। डरते हुए जय प्रकाश ने अपना नाम बताया तो डॉ. राजेश ने गोपाल को उसका फार्म अलग करने का हुक्म सुनाते हुए कहा कि अब तो तेरा मेडिकल रोहतक से करवाऊंगा, अभी लिखता हूं तेरे कागजों पर। रोते हुए जय प्रकाश ने पैर पकड़ते हुए कहा कि सर बड़ी मुश्किल से बुढ़ापे में नौकरी लगी है क्षमा कर दीजिए सर, गलती हो गई। कुर्सी के दंभ में अकड़े जा रहे डॉ. राजेश ने उसे भगा दिया।
इसके बाद शुरू हुआ जय प्रकाश को प्रताडि़त करने का खेल। जो गोपाल सारे कागजात पूरे होने के बाद ही उन्हें सीएमओ के हस्ताक्षर करवाने लाया था उसने जय प्रकाश को बुलाकर बताया कि सीएमओ फरीदाबाद के नाम जो पत्र लिखा गया है वो गलत है तुम्हें तो सीएमओ चंडीगढ़ के नाम पत्र लिखना है और उसकी तीन प्रतियां लगानी होंगी।
सुधी पाठक समझ लें कि यह विशेष व्यवस्व्था सिर्फ जय प्रकाश के लिए ही की गई थी बाकी के सभी अभ्यर्थियों ने सीएमओ फरीदाबाद के नाम के ही पत्र भरे थे, क्योंकि मेडिकल जांच फरीदाबाद में ही हुई थी। परेशान जय प्रकाश ने किसी तरह तलाश कर आनन फानन वो तीन पत्र भरे, विनती गुहार कर क्लर्क से उन पर मोहर लगवाई और गोपाल को दिए। पांच-छह अभ्यर्थियों के बाद जय प्रकाश को सीएमओ के यहां बुलाया गया। वहां भी डिप्टी सीएमओ ने उसे खरी खोटी सुनाई। बोले तुम तो यू ट्यूबर बन जाओ, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन जाओ, टीचर बन कर क्या करोगे। रुआंसे जय प्रकाश ने फिर से माफी मांगते हुए कहा सर पैर पकड़वा लो मुझसे गलती हो गई। इस पर डिप्टी सीएमओ बोले कि टीचर में बंधा वेतन मिलता है जबकि यूट्यूबर तो लाखों रुपये प्रतिदिन कमाते हैं, जाओ और वीडियो बनाओ। काफी माफी मांगने के बाद उसके सर्टिफिकेट पर उन्होंने हस्ताक्षर किए। इस सबमें ढाई बज गया, अभ्यर्थी मेडिकल सर्टिफिकेट लेकर डीईओ कार्यालय पहुंचे लेकिन उन्हें बताया गया कि कमेटी उठ गई है, मंगलवार को आना। बहुत से अभ्यर्थी अपने परिजनों से साथ दूर दराज के जिलों से व यूपी से आए थे, उन्हें निराश होना पड़ा।
डिप्टी सीएमओ डॉ. राजेश श्योकंद को पता होना चाहिए कि सीएमओ कार्यालय सरकारी संपत्ति है न कि उनकी निजी। इसी तरह डिप्टी सीएमओ पद भी सार्वजनिक सेवा का पद है न कि निजी पद। सार्वजनिक पद और कार्यालय होने के कारण उसकी या डिप्टी सीएमओ की तस्वीर वीडियो बनाया जाना कोई गुनाह नहीं है।
संविधान के अनुच्छेड 19 के तहत प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी है और सरकारी पद पर रहते हुए उन्होंने जय प्रकाश के मौलिक अधिकार का हनन किया है। यदि उन्हें अपनी तस्वीर लिए जाने पर गुस्सा आया था तो उन्हें चाहिए कि पहले वो अपने पद से इस्तीफा दे दें सरकारी पद पर और ड्यूटी पर रहते हुए निजता का अधिकार लागू नहीं होता। दुर्भाग्य की बात है कि बीके अस्पताल में हो रही ये गुंडागर्दी स्थानीय विधायकों, सांसद और मंत्रियों को कतई नजऱ नहीं आती। पिछले दिनों स्थानीय विधायक सीमा त्रिखा से पूछे जाने पर उन्होंने अस्पताल की व्यवस्था का पूरा गुणगान किया था। जाहिर है कि जनता के साथ यह तमाम गुड़ागर्दी उनकी सहमति से ही हो रही है। कोई बड़ी बात नहीं अपने संरक्षण के बदले अस्पताल अधिकारियों से किसी न किसी रूप में नेता लोग वसूली भी करते होंगे।