दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे: मंत्री गूजर के लाभार्थ कुछ भी उजाड़ा जा सकता हैे

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे: मंत्री गूजर के लाभार्थ  कुछ भी उजाड़ा जा सकता हैे
April 15 17:09 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे निर्माण में निवर्तमान केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर और उनके लगुए भगुओं के महले दोमहलों पर आंच न आए, इसके लिए एचटी लाइन के बिजली के टावर हटाने से लेकर करीब छह हज़ार पेड़ काट कर ग्रीन बेल्ट उजाडऩे, नियम-कायदों का पालन कर स्थापित किए गए पेट्रोल पंप हटाने तक सब काम किए जा रहे हैं। सत्ताधारियों के दबाव में आए दिन बदलाव करने के कारण ही प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हो पा रहा और दाम भी बढ़ गए, इसकी वसूली तो जनता से टोल टैक्स के दाम बढ़ाकर कर ही ली जाएगी।

देश के बड़े अंग्रेजी अखबारों में शामिल दि ट्रिब्यून के 27 मार्च के अंक में स्थानीय रिपोर्टर बिजेंद्र अहलावत ने जनता को सूचित किया था कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट सेक्टर 31 और सेक्टर 17 स्थित पेट्रोल पंप के नहीं हटाए जाने के कारण समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने फरवरी 2023 को हूडा अधिकारियों को पत्र लिख कर इस समस्या का समाधान कराने को कहा था। पंप मालिकों के विरोध के कारण एक साल बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। एनएचएआई अधिकारियों ने हूडा को एक बार फिर रिमाइंडर भेज कर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है, समस्या समाप्त होते ही प्रोजेक्ट जल्द पूरा कर लिया जाएगा। दि ट्रिब्यून ने एक्सप्रेस वे की सुनहरी छवि तो दिखा दी लेकिन प्रोजेक्ट में देरी होने की सच्चाई पाठकों को नहीं बताई। दरअसल, यह प्रोजेक्ट सही समय पर पूरा भी होता और देरी के कारण लागत भी न बढ़ती यदि इसमेंं केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर को लाभ पहुंचाने के लिए बदलाव नहीं किए जाते।

प्रोजेक्ट के जानकार कहते हैं कि एक्सप्रेस वे पहले मदनपुर खादर से गुडग़ांव-आगरा नहर के समानांतर ही सीधा जाना था। ये एक्सप्रेसवे पल्ला क्षेत्र में नहर विभाग की जमीन से होकर गुजरता, लेकिन यहां पर बड़ी मात्रा में अवैध कब्जे और निर्माण किए गए थे। प्रोजेक्ट के मार्ग में आ रहे इन सैंकड़ों अवैध मकानों को हटाया जाना था। अधिकतर ये अवैध निर्माण और कब्जे कृष्णपाल गूजर के सजातीय भूमाफिया ने किए कराए थे। अपने अवैध निर्माण-कब्जे बचाने के लिए उन्होंने गूजर को मोटा चढ़ावा चढ़ाया और चुनाव में वोट दिलाने का प्रलोभन दिया।

इसका नतीजा हुआ कि सेक्टर 37 मे पल्ला के पास एक्सप्रेसवे का अलाइनमेंट बदल कर नहर पार करते हुए बाईपास रोड कर दिया गया। अवैध कब्जे और निर्माण को बचाने की गाज मास्टर प्लान के तहत वैध रूप से बसाए-बनाए गए सेक्टर, ग्रीन बेल्ट, पेट्रोल पंप, बिजली के टावर व अन्य विधिवत विकसित स्थानों पर गिरी। बिजली की ट्रांसमिशन लाइनें शिफ्ट करने में करीब पचास करोड़ रुपये खर्च किए गए लेकिन आज तक पूरी तरह से सारे टावर व खंभे नहीं हटाए जा सके हैं। शहर की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखकर बनाए गए मास्टर प्लान के आधार पर की गई बिजली आपूर्ति व्यवस्था को पूरी तरह हटा कर नई जगह शिफ्ट करना काफी मुश्किल साबित हो रहा है, संभवत: यही कारण है कि अभी भी करीब आठ एचटी टावर हटाए नहीं जा सके हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अजय बहल के अनुसार बाईपास रोड से 5700 पेड़ काट डाले गए, इससे पंद्रह किलोमीटर से अधिक दूरी तक ग्रीन बेल्ट समाप्त हो गई। दशकों पुराने इन पेड़ों को काट कर जेबें गर्म कर ली गईं। हूडा की दशकों पुरानी नर्सरी और रोजगार्डन भी इस प्रोजेक्ट की भेंट चढ़ा दिए गए। पहले तो रोज गार्डन उजाड़ा गया, अब दोबारा तैयार करने पर पचासों लाख रुपये फिर खर्च किए जा रहे हैं। यूं भी सेक्टरों के इतने निकट से और वह भी ग्रीन बेल्ट को खत्म करते हुए हाईवे निकालना कोई अक्लमंदी की बात तो है नहीं, इससे सेक्टरों में बसे लोगों पर ध्वनि व वायु प्रदूषण का भारी दुष्प्रभाव पडऩा तय है।

इस सरकार ने टोल टैक्स को कमाई का एक अच्छा खासा उपक्रम बना लिया है और उसी के लिए एक के बाद एक सडक़ मार्ग बनाने की अंधी दौड़ में जुटी हुई है इसके लिए रेल परिचालन को लगातार घटाया जा रहा है और जो रेलें चल भी रही हैं उनमें यात्री डिब्बों की संख्या घटाई जा रही है, इसके परिणाम स्वरूप हजार पंद्रह सौ किलोमीटर तक की सडक़ यात्रा लोग बसों द्वारा करने को मजबूर हैं, जिस पर महंगा आयातित तेल तो खर्च होता ही है साथ में प्रदूषण बढ़ता है।

बाईपास रोड पर दशकों पहले स्थापित किए गए पेट्रोल पंप पूरी तरह से वैध हैं, इन्हें हटाने का तो दबाव बनाया जा रहा है लेकिन जमे जमाए व्यापार के उजडऩे से पंप मालिकों को होने वाले नुकसान की भरपाई कैसे होगी इसके बारे में अधिकारी मौन हैं। इन सब परेशानियों के पीछे राजनेता से भूमाफिया बने केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गूजर की खुदगर्जी है। यदि पल्ला से अलाइनमेंट बदलने के बाद भी एक्सप्रेस वे वहां से नहर के समानांतर बनाया जाता तो न ग्रीन बेल्ट उजाडऩी पड़ती, न बिजली लाइनें शिफ्ट करनी पड़तीं, न ही पेट्रोल पंप हटाने की बात आती लेकिन ऐसा करने में गूजर और उसके गुर्गों का बड़ा नुकसान हो रहा था, उनके बड़े बड़े शोरूम व अन्य निर्माण टूटते, जो गूजर को मंजूर न था।

गूजर ने सत्ता की हनक के बल पर अरबों रुपये कीमत की जमीन बचाते हुए विकास का ठीकरा सेक्टरों में रहने वाली आम जनता पर फोड़ दिया। एक्सप्रेसवे निकलने के कारण जमीन के कई गुना बढ़े दाम की मलाईै वो और उनके लगुए भगुए उड़ाएंगे। सत्तामद में चूर नेता और उनकी चरणवंदना में लगे अधिकारी अपनी आंखे बंद किए हुए हैं और सब मिलकर भ्रष्टाचार की बहती गंगा में हाथ धोने मे जुटे हुए हैं।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles