दिल की बात ये है कि ये दिल की बात हैयह तस्वीर दमिश्क (सीरीया) में 1899 में ली गई थी। बौने जैसा दिखने वाले शख्स का नाम समीर है। समीर ईसाई था और चल नहीं सकता। जिस शख़्स ने उसे अपनी पीठ पर जिसे बैठा रखा है उसका नाम मुहम्मद है। वह मुसलमान है और वह नाबीना (अंधा) था।
समीर, मोहम्मद को यह बताता था कि उसे कहाँ जाना है, और समीर शहर की सडक़ों पर घूमने के लिए अपने दोस्त की पीठ का उपयोग करता था। वे दोनों अनाथ थे और एक ही कमरे में रहते थे। समीर एक हकावती (कहानी सुनाने वाला) था, उसके पास कहानियों का खज़ाना था वह दमिश्क के एक कैफे में लोगो को मनोरंजन के लिये कहानियां सुना कर अपनी गुजऱ बसर करता था।
मोहम्मद उसी कैफे के सामने केक बेचता था उसे अपने दोस्त की कहानियाँ सुनना बहुत पसंद था। एक दिन, जब मोहम्मद अपने कमरे में गया, तो अपने अज़ीज़ दोस्त को मृत पाया। मोहम्मद अपने दोस्त की मौत से टूट गया और वह अपने दोस्त के लिए लगातार कई दिनों तक रोता रहा। किसी ने उससे पूछा कि अलग अलग धर्मों के होने के बावजूद वो इतने अच्छे से कैसे घुल-मिल गए, तब मोहम्मद ने अपने हाथ से अपने दिल की ओर इशारा करते हुए केवल यही कहा- “हम दो जिस्म एक जान थे।” -साइबर नजर