ध्वनि प्रदूषण, लड़कियों से छेड़छाड़ व अवैध पार्किंग से परेशान है पब्लिक

ध्वनि प्रदूषण, लड़कियों से छेड़छाड़ व अवैध पार्किंग से परेशान है पब्लिक
March 26 16:03 2023

रीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) जनता की समस्याएंं सुनने के लिये एनआईटी जोन के डीसीपी नरेन्द्र कादियान जनता से मिलने के लिये सडक़ों पर घूमते नज़र आये तो सेंट्रल जोन के डीसीपी मुकेश मलहोत्रा ने पब्लिक को ही अपने दफ्तर बुला लिया। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार पब्लिक ने कानून और व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति के बारे में कोई शिकायत न देकर पूरी तरह से मुकेश मलहोत्रा को संतुष्ट कर दिया। इन लोगों ने केवल ध्वनि प्रदूषण यानी रात देर तक डीजे बजाने, स्कूल-कॉलेजों के बाहर लड़कियों से छेडख़ानी व चलने के लिये बनी सडक़ों पर पार्किंग से होने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया। मलहोत्रा जी ने तुरन्त सम्बन्धित थाना अध्यक्षों को उचित निर्देश देकर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली।

विदित है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर कानून हमेशा से ही सख्त रहा है। कानून के मुताबिक उच्च ध्वनि का इस्तेमाल करने की इजाजत लेने के लिये एसडीएम को आवेदन देना पड़ता है। कोई भी आवेदन आने पर एसडीएम उसे सम्बन्धित थानेदार के पास भेजता है। वहां से अनापत्ति मिलने पर उच्च ध्वनि के इस्तेमाल की स्वीकृति दी जाती है वह भी चंद घंटों के लिये और एक निश्चित ऊंची आवाज तक। नियमानुसार आवेदनपत्र पर 10 रुपये की टिकट भी लगाई जाती थी। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को पुलिस तुरंत पकड़ लिया करती थी और उपकरण को जब्त कर लिया जाता था।

परन्तु आज न तो एसडीएम को कोई शोर सुनाई देता है और पुलिस को तो सुनना ही क्या है, उन्हें तो और ही काम बहुत है। इतना ही नहीं यदि कोई नागरिक अपने घर के पास होने वाले शोर की शिकायत पुलिस को करता है तो पुलिस शोर करने वाले को पकडऩे की अपेक्षा शिकायत करने वाले का नाम व पता बता आती है। जाहिर है शोर करने वाला शिकायतकर्ता पर जा चढ़ता है। इस तरह पैदा हो सकने वाली दुश्मनी से बचने के लिये कोई शिकायत करना पसंद नहीं करता। पुलिस से पूछो तो कह देंगे कि उन्हें तो कोई शिकायत ही नहीं मिली, शोर उन्हें सुनाई नहीं देता।

स्कूल, कॉलेज व राह चलती लड़कियों को लफंटरों द्वारा छेडऩे, फब्तियां कसने आदि के मामले लगातार हो रहे हैं। इतना ही नहीं अब तो ऐसे किस्से भी सामने आने लगे हैं जब शोहदे लड़कियों को शादी के लिये जबरन उनके घर में घुस कर प्रस्ताव देने लगे हैं। इनकार करने पर लडक़ी पर तेजाब डालने व हत्या तक करने के मामले भी पूर्व में आये हैं। इसके पीछे मूल कारण पुलिस की वह ढिलाई है जिसके
चलते शोहदों को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। पुलिस के अपेक्षित दुव्र्यवहार से डरते हुए अधिकांश मामलों में लडक़ी पक्ष पुलिस में जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता।

दरअसल अधिकांश मामले शुरू में इतने छोटे-छोटे होते हैं उनको लेकर पुलिस में जाना बनता भी नहीं है। इन मामलों की संख्या इतनी अधिक होती है कि एक-एक के पीछे पुलिस भाग भी नहीं सकती। हां, यदि पुलिस की नीयत सही हो तो किसी मनचले की हिम्मत हो नहीं सकती कि वह किसी आती-जाती लडक़ी को छेड़ सके। इसके लिये सम्भावित स्थलों पर पुलिस जिप्सियां खड़ी करने के बजाय सिविल ड्रेस में महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा सकता है। इसके द्वारा शोहदों को आसानी से पकड़ कर सबक सिखाया जा सकता है।

चलने के लिये बनी शहर भर की चौड़ी-चौड़ी सडक़ें, अवैध पार्किंग के चलते इतनी संकरी हो गई है कि हर जगह जाम ही जाम नजर आता है। अवैध पार्किंग के अलावा दुकानदारों द्वारा भी अपने सामान को सडक़ पर फैलाने से भी जाम की स्थिति बनती है। छोटेे वाहनों के अलावा बड़े ट्रक एवं ट्राले भी सडक़ घेर कर खड़ा होना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं, भले ही इस अधिकार के लिये उन्हें पुलिस को शुुकराना देना पड़ता हो। सडक़ों पर इस तरह की अवैध पार्किंग को हटाने के लिये ट्रैफिक पुलिस अधिकारी लगातार मीटिंगों का सिलसिला चलाये रहते हैं। रणनीतियां बनती रहती हैं। कभी क्रेन खरीदने की बात करते हैं तो कभी सडक़ों पर रंग-बिरंगी पट्टियां खींचते रहते हैं। कारगुजारी के नाम पर किये गये चालानों की संख्या व वसूले गये जुर्माने की मात्रा बताते रहते हैं।

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Mazdoor Morcha
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