मज़दूर मोर्चा ब्यूरो स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी सेवाओं से पल्ला झाड़ चुकी भाजपाई सरकार इन दोनों क्षेत्रों में विकास का ढोल पीट कर अपनी पीठ थपथपाने से कतई बाज नहीं आ रही है। जनता को बहकाने के लिये छाती ठोक कर झूठ बोलने में इन्हें कतई कोई शर्म नहीं आती। झूठा प्रोपेगेंडा करने में तमाम मीडिया इनकी सेवा में हाजिर रहता है।
अखबारों में सुर्खियां बटोरने के लिये हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर बता रहे हैं कि उन्होंने अपने नौ वर्ष के शासन काल में 77 कॉलेज खोले हैं जिनमें से 31 केवल महिलाओं के लिये हैं। खट्टर भैया यह नहीं बताते कि इन तमाम कॉलेजों की धरातल पर वास्तविक स्थिति क्या है? किसी भी कॉलेज में जरूरत का एक चौथाई स्टाफ भी नहीं हैं। एक-एक प्रिंसिपल दो-दो तीन-तीन कॉलेजों को सम्भालने का उत्तरदायी बना रखा है। इन कॉलेजों की इमारत, प्रयोगशालाएं व लायब्रेरी आदि की तो बात ही छोड़ दीजिए।
लड़कियों के लिये मुफ्त शिक्षा का दावा करने वाली खट्टर सरकार यह नहीं बताती कि 50 रुपये की ट्यूशन फीस माफ करने के बावजूद 150-200 रुपये किस बात के वसूले जाते हैं? जी हां, कहने को तो फीस माफ है लेकिन इस या उस फंड के नाम पर छात्राओं से वसूली की जाती है।
खट्टर जी फरमाते हैं कि उन्होंने 472 स्कूलों को 10 वीं से 12 वीं तक का कर दिया है ताकि छात्र व छात्राओं को घर से दूर न जाना पड़े। स्कूल का केवल फट्टा बदल देने से कोई स्कूल अपग्रेड नहीं हो जाता, इसके लिये आवश्यक स्टाफ तथा अनेकों प्रकार का साजो सामान भी स्कूल में लगाना होता है। इन तथाकथित अपग्रेड स्कूलों में कोई सुविधा न होने के चलते इनमें छात्रों की संख्या न के बराबर होती रहती है।
बुढ़ैना और बड़ौली में अपग्रेडेड स्कूल है लेकिन यहां जब कोई पढ़ाने वाला ही नहीं है तो फिर पढऩे कौन आयेगा। गांव नवादा, तिगांव में तो शिक्षक न होने से गुस्साए ग्रामीणों ने स्कूल पर ताला जडक़र अपना विरोध भी जताया। यह हालात सिर्फ इन दो स्कूलों ही नहीं बल्कि प्रदेश के अधिकतर विद्यालयों का है।
खट्टर का शिक्षा विभाग अब उन टैबलेटों का ऑडिट कराने की बात कर रहा है जो उसने बीते वर्षों में छात्रों को बांटे थे। सरकारी की बेईमानी व निकम्मापन देखिए कि पढ़ाने के लिये शिक्षक तो भर्ती किये नहीं क्योंकि उन्हें वेतन देना पड़ता है, इसके बदले छात्रों को टैबलेट बांट दिये। तर्क यह दिया गया कि टैबलेट से छात्र स्वयं पढ़ लेंगे। बताया जाता है कि गुडग़ांव में 38,500, जबकि फरीदाबाद में 30,000 बांटे गये थे इसी तरह तमाम जि़लों में इन्हें बांटा गया था। छात्रों ने तो इन से क्या पढ़ाई करनी थी लेकिन सरकार व उसके चोर अफसरों ने इस धंधे में अच्छी-खासी लूट कमाई कर डाली। इतना ही नहीं अब उन टैबलेटों की खोज-खबर का एक नया अभियान चलाने पर भी शिक्षा विभाग का अच्छा-खासा बजट ठिकाने लगा दिया जायेगा।