डीटीपी एन्फोर्समेंट : कार्रवाई नहीं जांच का पाखंड किया जा रहा

डीटीपी एन्फोर्समेंट : कार्रवाई नहीं जांच का पाखंड किया जा रहा
January 08 15:56 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। जिस अवैध निर्माण और अतिरिक्त निर्माण को गिराने की कार्रवाई की जानी चाहिए डीटीपी एन्फोर्समेंट राजेंद्र शर्मा उसकी जांच कराने का पाखंड कर रहे हैं। ग्रीन फील्ड कॉलोनी में धड़ल्ले से कराए जा रहे अवैध निर्माण की जांच अब एक जूनियर इंजीनियर करेगा। उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। डीटीपी के ढीले ढाले रवैये से ही स्पष्ट है कि वह इन अवैध इमारतों में तोडफ़ोड़ करने के मूड में नहीं हैं। हां, जांच के नाम पर इन निर्माणकर्ताओं से अतिरिक्त सुविधा शुल्क वसूली करने का रास्ता खुल गया है।

अवैध निर्माण का हॉट स्पॉट बनी ग्रीन फील्ड कॉलोनी में शॉपिंग कॉप्लेक्स पर धड़ल्ले से अवैध निर्माण किया जा रहा है। अनेकों इमारतों में एफएआर का अतिक्रमण कर अतिरिक्त निर्माण कराया जा रहा है। अधिवक्ता बीपी समसतंब के अनुसार पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 2016 में कंपाउंडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था, यानी नॉन कंपाउंडेबल एरिया में अतिरिक्त निर्माण को शुल्क लेकर वैध घोषित नहीं किया जा सकता, इसे तोडऩा ही पड़ेगा। डीटीपी एन्फोर्समेंट को ग्रीन फील्ड मेें होने वाले सभी निर्माणों की जानकारी अच्छी तरह से है। मजदूर मोर्चा ने 23-29 दिसंबर 2023 अंक में इन अवैध निर्माणों की विस्तार से खबर प्रकाशित की थी। इस पर खुद की जवाबदेही से बचने के लिए डीटीपी एन्फोर्समेंट राजेंद्र शर्मा ने जांच कराने का पाखंड किया है। उनके अनुसार शहर में कहीं भी अवैध या अतिरिक्त निमार्ण नहीं होने दिया जाएगा। यदि इस तरह का कोई निर्माण किया जा रहा है तो उसे तुड़वाया जाएगा। ग्रीन फील्ड में शॉपिंग कांप्लेस पर चल रहे अवैध निर्माण और फ्लैटों में अतिरिक्त निर्माण की जांच करने का आदेश संबंधित जूनियर इंजीनियर को दिया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार जांच का आदेश जारी तो किया गया है लेकिन न तो जांच होगी और न कोई कार्रवाई होगी। जिन बिल्डरों ने मोटा सुविधा शुल्क चुकाया है उनका नमक खाने के बाद नमक हरामी नहीं की जाएगी भले ही नियम कानूनों को तोड़ मरोड़ कर इन बिल्डरों के हित में इस्तेमाल करना पड़े। कार्रवाई नहीं होने का दूसरा कारण यह भी है कि बिल्डरों से वसूला गया सुविधा शुल्क ऊपर के अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक में बंटता है। अब दिखावे के लिए जांच होगी और रिपोर्ट इतनी लचर या यूं कहें कि अवैध निर्माण करने वालों के हित में बनाई जाएगी कि तोडफ़ोड़ नहीं करनी पड़े। जांच रिपोर्ट में इतनी कमियां छोड़ दी जाएंगी कि यदि तोडफोड़ की कार्रवाई करनी पड़े तो बिल्डर न्यायालय से स्टे ले लें। न्यायालय मेें कमजोर पैरवी के जरिए इन बिल्डरों को लाभ पहुंचाया जाएगा। हां, यह जरूर है कि हर स्तर पर अलग अलग सुविधा शुल्क वसूल कर बंदरबांट की जाएगी।

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