डीईओ कार्यालय : निजी स्कूलों से कमाई का मुद्दा निदेशालय में गरमाया

डीईओ कार्यालय : निजी स्कूलों से कमाई का मुद्दा निदेशालय में गरमाया
June 02 07:11 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) निजी स्कूलों से मोटी लूट कमाई करने और बंदरबांट का मामला शिक्षा निदेशालय में भी गरमा गरम मुद्दा बन चुका है। बताया जा रहा है कि बीते दिनों डिप्टी डायरेक्टर शकुंतला डीईओ कार्यालय का निरीक्षण करने आईं थीं। निजी स्कूलों के सागर से कीमती मोती बटोर कर हड़पने के आरोपी एक डिप्टी सुपरिंटेंडेंट को अपने साथ निदेशालय ले गईं। वहां पांच दिन धोक मारने के बाद डिप्टी सुपरिंटेंडेंट मोती सागर चुनाव में ड्यूटी लगी होने का बहाना बनाकर किसी तरह बच कर आया है।

दरअसल निदेशालय में यह खलबली उस आरटीआई के कारण मची है जो किसी स्टेशनरी डिस्ट्रीब्यूटर मुंजाल के नाम से लगाई गई है। इस आरटीआई में पूर्व डीईओ आशा दहिया के कार्यकाल में निजी स्कूलों को मान्यता दिए जाने, यूडाइस कोड दिलाने, महिला शिक्षकों को चाइल्ड केयर लीव दिलाने आदि के बारे में काफी विस्तृत जानकारी मांगी गई थी। यह बहुत स्पष्ट है कि कोई भी निजी या सरकारी स्कूल मान्यता की शर्तें पूरी नहीं करता, यानी स्कूल प्रबंधन मोटा चढ़ावा चढ़ा कर मान्यता खरीदते हैं। मान्यता हर साल रिन्यू भी करवानी पड़ती है जिसके भी अच्छे रेट होते हैं। इस तरह यूडाइस कोड आवंटन में भी लाखों का खेल होता है क्योंकि बिना यूडाइस कोड के विद्यालय को सरकार से आने वाला अनुदान या अन्य शैक्षिक-आर्थिक योजना का लाभ नहीं मिल सकते। चाइल्ड केयर लीव और एसीपी का लाभ भी शिक्षकों को तब ही मिलता है जब तक वह इनसे मिलने वाले आर्थिक लाभ का एक मोटा हिस्सा विभाग के आला अधिकारियों को देते रहें।

भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार ऊपरी कमाई के लिए डीईओ के कुछ खास कर्मचारियों का गुट है। यह गुट निजी स्कूलों पर दबाव बनाने के लिए उन के खिलाफ आरटीआई भी डलवाता है और फिर आरटीआई वापस कराने, समझौता कराने के नाम पर मोटी लेन देन करता है। यह खेल करने वाला कर्मचारी अतिरिक्त कमाई के सागर से खुद भी मोती बटोरता है और अधिकारियों को भी पहुंचाता है। चर्चा है कि सेवानिवृत्त होने से पहले आशा दहिया ने इन सभी मदों से होने वाली कमाई का बहुत मोटा हिस्सा खुद रखा और सागर के चंद मोती कुछ मातहतों में बांटे थे। मोती नहीं मिलने से नाराज एक तेज और वीर कर्मचारी ने मुंजाल के नाम से आरटीआई डलवाई थी। आरटीआई में जो तकनीकी जानकारियां मांगी गईं थी उससे साफ हो गया था कि विभाग के ही किसी व्यक्ति ने ये आरटीआई लगवाई है। लूट कमाई के मोती नहीं मिलने से कर्मचारियों में चर्चा है कि सरदार ले गया मलाई, प्यादों के हाथ फूटी कौड़ी भी नहीं आई।

बताया जा रहा है कि आरटीआई लगने की जानकारी हुई तो निदेशालय में बैठे अधिकारियों के भी कान खड़े हो गए। डिप्टी डायरेक्टर शकुंतला बीते दिनों डीईओ कार्यालय पहुंच गईं, उनके आने को नाम तो निरीक्षण का दिया गया लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार वह यह पता करने आई थीं कि लूट कमाई से प्राप्त किया गया धन कहां कहां बंटा और उनका हिस्सा कहां गया। दरअसल सारी कमाई तो पूर्व डीईओ लेकर यूएस निकल गईं, अब इन कर्मचारियों से ही कुछ वसूली हो सकती है। बताया जा रहा है कि कुछ भी नहीं मिलने से नाराज डिप्टी डायरेक्टर डिप्टी सुपरिंटेंडेट मोती सागर को अपने साथ निदेशालय ले गईं। वहां पांच दिन तक रोक कर उस पर निलंबन का भी डर दिखाया गया। उप निदेशक को उसने आरटीआई लगवाने वाले कर्मचारी का नाम बताया और यह भी बताया कि पूर्व डीईओ ने इस कर्मचारी को हिस्सा पत्ती नहीं दी थी। बताया जा रहा है कि डिप्टी डायरेक्टर के आदेश पर डीईओ कार्यालय में कार्यरत तेजवीर नाम के कर्मचारी का पटल बदल दिया गया है। आने वाले दिनों में कार्यालय में और भी उलट फेर देखने को मिल सकता है ऐसी विभाग में चर्चा है।

विधायक सीमा त्रिखा के शिक्षामंत्री बनने के बाद पूर्व डीईओ आशा दहिया ने उनसे भेंट की थी, जाहिर है कि उन्होंने सीमा त्रिखा को जिले की शिक्षा व्यवस्था, स्कूलों की जानकारी दी होगी। माना जा सकता है कि हाल ही में शिक्षामंत्री बनीं सीमा को पूरे प्रदेश की जानकारी न हो लेकिन दस साल से विधायक रहते हुए उन्हें फरीदाबाद की जानकारी तो है ही। उनके कार्यकाल में डीईओ कार्यालय में लूट कमाई चल रही हो और उन्हें इसकी जानकारी न हो ये मुमकिन नहीं है, माना जा सकता है कि डीईओ कार्यालय मे व्याप्त भ्रष्टाचार और लूट कमाई के खेल को उनका मूक समर्थन प्राप्त है। अब देखना ये है कि मौजूदा मामले में वे क्या करतब दिखाती हैं।

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Mazdoor Morcha
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