गरीब छात्र-छात्राओं की मदद का जुनून हो तो ऐसा मोबाइल फोन बैंक : आनलाइन पढ़ाई पूरी कराने के लिए डीईईओ रितु चौधरी का मिशन…

गरीब छात्र-छात्राओं की मदद का जुनून हो तो ऐसा मोबाइल फोन बैंक : आनलाइन पढ़ाई पूरी कराने के लिए डीईईओ रितु चौधरी का मिशन…
November 15 17:03 2020

यूसुफ किरमानी

फरीदाबाद: अगर आपके दिल-दिमाग में समाज के लिए, देश के लिए, शहर के लिए, गरीबों के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो किसी भी तरह की अड़चन आपका रास्ता रोक नहीं सकती। फरीदाबाद में एक महिला अधिकारी तमाम आत्म प्रचार से दूर बड़ी खामोशी से इस काम को अंजाम देने में जुटी हुई हैं। उनकी पहल ने कई स्कूली बच्चों की जिन्दगियां बदल दी हैं। यह काम वो अब से नहीं बल्कि पिछले बीस साल से कर रही हैं। हम बात कर रहे हैं डिस्ट्रिक्ट एलीमेंट्री एजुकेशन आफिसर (डीईईओ) रितु चौधरी की, जिनकी वजह से कई बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर बनकर देश और समाज की सेवा कर रहे हैं। लेकिन इस समय उनके जिस काम की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है मोबाइल फोन बैंक।

क्या है मोबाइल फोन बैंक

कोविड19 जब फैला तो तमाम लोगों की नौकरियां चली गईं। इससे बच्चों की पढ़ाई लिखाई प्रभावित हुई। आनलाइन शिक्षा ने स्मार्ट फोन की जरूरत महसूस कराई। प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के पास तो स्मार्ट फोन पहले से ही मौजूद है लेकिन असली समस्या आई हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले किसान, मजदूरों, निम्न आय वर्ग और झुग्गी-झोंपड़ी के बच्चों के सामने। खासकर उन बच्चों के जिनके माता-पिता में किसी का साया उनके सिर से उठ चुका है, ऐसे बच्चों के सामने यह समस्या तो और भी गंभीर थी। रितू चौधरी उस समय गुडग़ांव में तैनात थीं और अब फरीदाबाद में हैं। लेकिन उनको आइडिया गुडग़ांव में आया कि क्यों न सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और एनजीओ की मदद से एक सेलफोन बैंक बनाकर ऐसे बच्चों को मोबाइल देकर उनकी आनलाइन पढ़ाई का बंदोबस्त किया जा सके। जुलाई में जब कोरोना अपने उच्चतम स्तर पर था तो उनका सेलफोन बैंक चालू हो चुका था। वो खुद और उनकी टीम के शिक्षक सरकारी स्कूलों में घूम, घूमकर ऐसे बच्चों को तलाश रहे थे और उन्हें मोबाइल फोन बांट रहे थे।
अगस्त में जब वह तबादला होकर फरीदाबाद आ गईं तो उन्होंने इस काम को और भी व्यवस्थित रूप दे दिया। उन्होंने बल्लभगढ़ और फरीदाबाद के 8 प्रिंसिपलों और लेक्चरर्स की एक कमेटी बनाई और उनसे 7वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक ऐसे गरीब प्रतिभाशाली बच्चों को सरकारी स्कूलों में तलाशने को कहा, जो पढ़ाई में होशियार हों, आर्थिक स्थिति अच्छी न हो, परिवार में माता-पिता न हों या इनमें से कोई एक न हो। बच्चियों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने को कहा गया। कमेटी से स्पष्ट शब्दों में कहा गया कि गरीब परिवारों की लड़कियों को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाए। यहां तक किसी घर में दो या उससे ज्यादा लड़कियां हों तो उन्हें जरूर शामिल किया जाए।

फरीदाबाद जिले में प्राइमरी, मिडिल और सीनियर सेकेंडरी मिलाकर 500 से ज्यादा स्कूल हैं। अभी तक 120 मोबाइल बांटे जा चुके हैं और दिवाली के बाद जिलास्तरीय कार्यक्रम में बड़ी तादाद में लडक़े-लड़कियों को मोबाइल बांटे जायेंगे। इस संवाददाता ने ऐसे बीस बच्चों की लिस्ट लेकर उनका खुद भी सत्यापन किया। इसमें 16 लड़कियां थीं और 4 लडक़े थे। ये तमाम बच्चे एनआईटी 3, 21 डी, सराय ख्वाजा, भाकरी, तिगांव, तिलपत, बदरपुर, बल्लभगढ़, नंगला जोगियान, सेक्टर 8, 9, सेक्टर 55, 56, 57 आदि इलाकों में रहते हैं। इनमें ज्यादातर बच्चों के मां या पिता की मौत हो चुकी है।
आगे और क्या इरादा है
डीईईओ रितु चौधरी अब एक ‘कर्मा बैंक’ (्यड्डह्म्द्वड्ड क्चड्डठ्ठद्म) बनाने जा रही हैं, जिसके जरिए गरीब परिवार के जरूरतमंद बच्चों को स्टेशनरी, किताबें, रबड़, पेंसिल, बैग आदि देकर उनकी पढ़ाई का सिलसिला जारी रखने की कोशिश की जाएगी। कोरोना की वजह से बहुत सारे घरों में लोगों के पास आय के साधन नहीं हैं या कम हो गये हैं। अभिभावक स्टेशनरी तक खरीदने की स्थिति में नहीं हैं। इसी के मद्देनजर वह कर्मा बैंक बनाने जा रही हैं। इसमें शिक्षकों, एनजीओ और समाजसेवियों की मदद ली जाएगी। जो लड़कियां पैसे के अभाव में पढ़ाई छोड़ रही हैं या इस बारे में सोच रही हैं, उनकी मदद सबसे पहले की जाएगी। रितु चौधरी कहती हैं कि लडक़ों की पढ़ाई तो अभिभावक किसी भी तरह मैनेज करने की कोशिश करते हैं लेकिन लड़कियों की पढ़ाई ऐसे में नजरन्दाज हो जाती हैं। ऐसे परिवारों की बच्चियां 10वीं या 12वीं से आगे नहीं पढ़ पातीं। कर्मा बैंक उनकी मदद के लिए आगे आयेगा।
नया नहीं है ये जुनून
गरीब परिवारों के बच्चों की जिन्दगी बदलने का जुनून रितु चौधरी को उस समय से है, जब वह सराय ख्वाजा के सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल थीं। वहां उन्होंने अपने वेतन से और कुछ साथी लेक्चरर्स की मदद से गरीब होनहार बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए फीस के पैसे दिए। जिन बच्चों ने तकनीकी शिक्षा हासिल करनी चाही, उनकी मदद की गई। 14 नवंबर 2014 में बाल दिवस वाले दिन उन्होंने ‘बाल विकास अभियान’ शुरू किया। इसके लिए एक कोष स्थापित किया। जिसमें वह और कुछ शिक्षक अपने वेतन का 1 फीसदी पैसा नियमित देने लगे। कुछ शिक्षकों और जनता ने 50 और 100 रुपये भी इस कोष में दिये। इस अभियान के जरिये जब सरकारी स्कूलों के गरीब और जरूरतमंद बच्चों को मदद मिल रही थी तो कुछ लोगों को रितु चौधरी की यह पहल हजम नहीं हुई।
उन्होंने इस कार्यक्रम को रोकने के लिए हरियाणा सरकार से शिकायत कर दी। एक शख्स ने तो लोकायुक्त तक से शिकायत कर दी। हालांकि लोकायुक्त की जांच के दायरे में इस तरह की गतिविधि नहीं आती है। लेकिन जलनखोरों की दुनिया में कमी नहीं है। शिकायतों से परेशान होकर उन्होंने यह अभियान तो रोक दिया लेकिन फौरन बाद ही वह सेलफोन बैंक और कर्मा बैंक बनाने में जुट गईं। उन्होंने एक कारवां बनाया जो बढ़ता ही जा रहा है और जलनखोर घरों में दुबक कर बैठ गए हैं। देखना है कि आला सरकारी अफसर इस महिला अधिकारी को अपना मिशन कहां तक पूरा करने देते हैं। आमतौर पर भ्रष्ट अधिकारी और बेईमान नेताओं का
गठजोड़ रितु चौधरी जैसे कर्मठ अफसरों को टिकने नहीं देता और उनका तबादला कर देता है।
आप कैसे मदद कर सकते हैं
अगर आप भी सरकारी स्कूलों के गरीब और जरूरतमंद बच्चे-बच्चियों की मदद करना चाहते हैं तो सेक्टर 16, फरीदाबाद में डीईईओ दफ्तर में रितु चौधरी से संपर्क कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि आपको नया मोबाइल खरीदकर देना है। अगर आपके घर में थोड़ा पुराना मोबाइल ठीक हालत में है, तो भी आप डीईईओ या 8 सदस्यीय कमेटी को दे सकते हैं।
जिनके पास बहुत महंगे फोन हैं और उसके अलावा दो-तीन फोन रखते हैं, वो भी कम से कम एक फोन तो गरीब बच्चे की आनलाइन पढ़ाई के लिए दे सकते हैं। इसके अलावा समर्थवान लोग कर्मा बैंक के लिए स्टेशनरी, किताबें, रबड़, पेंसिल देकर सामाजिक जिम्मेदारी निभा सकते हैं। अगर आप आठ सदस्यीय कमेटी के पास मोबाइल फोन जमा कराना चाहते हैं तो सेक्टर 8 सीही के सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल जयप्रकाश, बल्लभगढ़ के घरौरा के सरकारी स्कूल में इंग्लिश लेक्चरर विनोद कुमार, बल्लभगढ़ के सरकारी स्कूल में शिक्षिका श्रीमती नीना अहलावत, सेक्टर 55 के सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल सतेंद्र कुमार सोरौत, फरीदपुर के सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल श्रीमती रंजना मेहता, एनआईटी 3 के सरकारी स्कूल में लेक्चरर राजेश, सेक्टर 21 डी के सरकारी स्कूल में लेक्चरर श्रीमती सरिता यादव और बदरपुर सैद गांव के सरकारी स्कूल में शिक्षक गजेंद्र से संपर्क कर सकते हैं। अगर कोई एनजीओ सरकारी स्कूल के बच्चों की मदद करना चाहता है तो वो भी डीईईओ रितु चौधरी से संपर्क कर सकता है।

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