फरीदाबाद (म.मो.) बीते शुक्रवार यानी 22 जुलाई को सायं करीब 6 बजे ‘मज़दूर मोर्चा’ सम्पादक को किसी सज्जन ने फोन पर सूचित किया कि पर्वतिया कॉलोनी में एक मुसलमान ने हिन्दू का गला काटकर हत्या कर दी है। इसे लेकर बीके चौक पर जाम लगा हुआ है। अखबार के लिये यह एक सनसनी खेज खबर हो सकती थी, परन्तु ‘मोर्चा’ ने इसे छापने की बजाय पूरे मामले की तस्दीक करना जरूरी समझा।
पूछताछ करने पर पता चला कि उक्त मुसलमान के पड़ोस में एक हिन्दू परिवार रहता था। मुसलमान पड़ोसी के अपनी पड़ोसन से अवैध सम्बन्ध अत्यधिक विकसित हो गये थे। इन सम्बन्धों के बीच में अड़चन पैदा करने वाले पति को बीच से हटाने का निर्णय दोनों ने मिलकर लिया। प्रेमिका के बेटे द्वारा पुलिस को दिये गये बयान में कहा गया है कि उसकी मां ने उसके पिता के पैरों को पकड़ रखा था ओर पड़ोसी प्रेमी ने उसका गला काट दिया।
हत्या करने के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिये हत्यारे ने अपने परिजनों को बुलाया तो जरूर लेकिन उन्होंने गलत काम में उसकी मदद करने की बजाय पुलिस को सूचित कर दिया। मौके पर पहुंच कर पुलिस ने हत्यारे को हिरासत में ले लिया तथा शव को पोस्टमार्टम के लिये बीके अस्पताल में भिजवा दिया।
दंगा भडक़ाने के ऐसे ‘बढिय़ा’ मौके को भला बिट्टू बजरंगी जैसे हुड़दंगी कैसे हाथ से जाने दे सकते थे। तुर्त-फुर्त 20-30 लुंगाड़े थाना सारण पहुंच गये और एसएचओ सुभाष बागड़ी से हत्यारे को उनके हवाले करने की मांग की। जाहिर है कि ये लोग उसे लेकर कुछ भी हिंसक वारदात करने का इरादा लेकर आये थे। लेकिन एसएचओ ने पूरी सख्ती से पेश आते हुए उन्हें बताया कि हत्यारे को सीआईए में भेज दिया गया है, साथ में यह भी कहा कि यदि उसके थाने में होता तो भी उन्हें न देता।
अपना सा मुंह लेकर थाने से निकले ये हुड़दंगी करीब 11 बजे बीके चौक पहुंच गये। वहां पर इन लोगों ने जाम लगाकर मुसलमानों के खिलाफ खूब जमकर ज़हर उगला। हिन्दूओं को उकसाने और भडक़ाने के लिये यहां तक भी कहा कि यदि वे संगठित होकर मुसलमानों के खिलाफ नहीं खड़े होंगे तो वे और भी हत्यायें कर देंगे। लेकिन एक भी आदमी उनके बहकावे में आकर नहीं भडक़ा। जाहिर है कि जागरूक जनता समझती है कि अपराधी तो अपराधी ही होता है वह हिन्दू हो या मुस्लिम। किसी भी अपराधी से निपटने के लिये देश का कानून सक्षम है।
काफी देर चिखने-चिल्लाने के बाद भी जब उन्हें कोई सफलता हाथ न लगी तो वे वहीं सडक़ घेर कर बैठ गये। पुलिस ने काफी देर तक तो उन्हें प्यार से समझा कर सडक़ खाली करानी चाही। लेकिन लातों के भूत बातों से नहीं मानते। अंत में पुलिस ने जब लाठियां घुमाई तो तमाम हुड़दंगी रफा-दफा हो गये।