फरीदाबाद (म.मो.) देश भर में फैले किसान आन्दोलन द्वारा संघियों/भाजपाईयों का हिंदू बनाम मुस्लिम प्लेटफार्म ध्वस्त कर दिये जाने के बावजूद कुछ संघी हुड़दंगी हिन्दू-मुस्लिम विवाद खड़े करके दंगे भड़काने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।
इन हुड़दंगियों में आजकल जीत वशिष्ठ (फेसबुक पर घोषित नाम) अति सक्रिय भूमिका निभा रहा है। दिनांक 23 नवम्बर को तो इसने उस वक्त हद ही कर दी जब यह पंचायत भवन, जहां बल्लबगढ़ के डीसीपी, एसीपी, एसडीएम व तहसीलदार आदि तमाम अधिकारी बैठते हैं, परिसर में वर्षों पुरानी मज़ार को ढाने पहुंच गया। वहां के मौलवी पर तरह-तरह की दवाइयां, ऐसा-वैसा साहित्य बांटने व पाकिस्तान समर्थक होने का मनगढंत आरोप लगाते हुए, मजार को वहां से हटाने का फरमान जारी कर दिया। इतना ही नहीं उसी रात को वह मजार तोड़ भी दी गई और तथाकथित दवाइयां व ऐसा-वैसा साहित्य जला भी दिया। इसके साथ-साथ मौलवी पर लवजिहाद चलाने का आरोप भी मढ़ दिया।
इससे पहले भी नवरात्रों के दिनों में इसी जीत वशिष्ठ ने सोहना रोड पर, संजय कॉलोनी पुलिस चौकी के निकट कुछ मीट विक्रेताओं को जि़ला उपायुक्त के आदेशों का हवाला देकर उन्हें धमकाया व दुकानें बंद करा दी, जबकि ऐसा कोई आदेश नहीं था और यदि कोई आदेश हो भी तो वह कौन होता है उसको लागू करवाने वाला?
इसी तरह 19 तारीख को थाना मुजेसर के इलाके में ईस्ट इंडिया कंपनी चौक पर रेहड़ी लगाकार शाकाहारी बिरयानी बेचने वाले के विरुद्ध एक फर्जी वीडियो बना कर आरोप लगाया कि वह बर्तन धोने वाले पानी में पेशाब कर रहा है। इस बाबत जीत द्वारा शिकायत किये जाने पर मुजेसर पुलिस ने इसे झूठा पाया।
संतोष की बात यह है कि तमाम भड़काऊ कार्रवाईयां करने के बावजूद मुस्लिम भाई भड़कने को तैयार नहीं हैं। लगता है कि उन्हें संघियों की राजनीतिक रणनीति समझ आ चुकी है। वे कोई ऐसा कदम उठाने वाले नहीं दिखते जिससे हुड़दंगियों को कोई मौका मिल सके। उधर एक उच्च पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जीत वशिष्ठ पर उनकी पूरी निगाह है। वह यह सब सस्ती लोकप्रियता पाने के लिये फेसबुक पर ड्रामे खेल रहा है। अवसर मिलते ही उसे धार पर धर देंगे। उन्होंने यह भी बताया कि मोलवी ने वहां से मजार स्वयं हटा दी है।