फरीदाबाद (म.मो.) बीके अस्पताल में हो रहे भ्रष्टाचार और यहाँ के अधिकारी व अन्य स्टाफ द्वारा अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों के प्रति हो रही लापरवाही की पोल मजदूर मोर्चा खोलता आ रहा है। इसके बावजूद इन लोगों में सुई बराबर भी सुधार नहीं आया, अब तक तो इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को दलाल ही घेरा करते थे, लेकिन अब तो डॉक्टर भी इसी लाइन में खड़े नजर आ रहे हैं। ऐसा ही कुछ मामला देखने को मिला।
दिनांक 14 नवम्बर मंगलवार को राज मिस्त्री का काम करने वाले मोहम्मद रफ़ी अनखीर गांव पुलिस चौकी से बडख़ल कि ओर जाने वाली रोड की तरफ अपनी बाइक से जा रहे थे। अचानक रास्ते में आवारा सांड से टकराकर घायल हो गए। जैसे तैसे करके ये लोग करीब सुबह 11 बजे बीके अस्पताल के आपातकालीन विभाग में पहुंचे, वहां प ट्टी बाँध कर अग्रिम जांच के लिए रूम नंबर 19 में हड्डी विशेषज्ञ के पास भेज दिया।
वहां डाक्टर आरएस गौड़ ने उन्हें एमआरआई जांच के लिए अजरौंदा मोड़ स्थित फोकस लैब पर यह कहते हुए भेज दिया कि उनके यहाँ के एमआरआई की रिपोर्ट अच्छी नहीं आती। डाक्टर गौड़ ने मरीज को यह भी कहा की लैब वाले को मेरा नाम बता देना। लैब वाले ने चंगुल में आये शिकार से कहा की वैसे तो रेट 8000 का है लेकिन डॉक्टर की सिफारिश के चलते 4000 में हो जाएगा, हो भी गया।
जबकि यही काम बिना किसी सिफारिश के बीके में ही 2800 रूपए में होता है। रिपोर्ट लेकर रफ़ी के परिजन डाक्टर गौड़ के पास पहुचे तो डाक्टर ने रिपोर्ट तो ओके कर दी, लेकिन इलाज के लिए डाक्टर के साथ सौदेबाजी में जब मामला नहीं जमा तो परिजन मरीज को अन्यत्र किसी निजी अस्पताल में ले गए। समझा जा रहा है कि इस बीच परिजनों की भेंट किसी निजी अस्पताल के दलाल से हो गई थी जो उन्हें डाक्टर गौड़ से सस्ता पड़ रहा था।