फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) काम नहीं लेकिन काम का ढिंढोरा पीटने में माहिर नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव करीब आते ही घोषणावीर और उद्घाटनवीर प्रधानमंत्री बन गए हैं। सोमवार को उन्होंने देश भर के 550 रेलवे स्टेशनों के 41 हज़ार करोड़ रुपये से पुनर्विकास की घोषणा की। रेलवे से संबंधित कार्य होने के कारण यह घोषणा रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव भी कर सकते थे लेकिन एक सत्तात्मकता का प्रतीक बन चुकी भाजपा में अच्छे कार्य तो केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही नाम होते हैं।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र के बल्लभगढ़ और पलवल रेलवे स्टेशन, छह आरओबी और दो अंडरपास देने की भी घोषणा की। ज़ाहिर है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के मद्देनजऱ स्टेशनों का कायाकल्प करने का ढिंढोरा पीट कर जनता को गुमराह किया है, जबकि करना धरना कुछ नहीं है। स्टेशनों को एयरपोर्ट जैसा बनाने की घोषणा से यात्रियों का कोई भला नहीं होने वाला। यदि मोदी जी को जनता की सच में परवाह है तो उन्हें सबसे पहले कोरोना काल में बंद की गई लोकल ट्रेनों को दोबारा चालू कराकर स्थानीय यात्रियों को फायदा पहुुंचाना चाहिए। लोकल ट्रेनों को स्पेशल का नाम देकर जो किराया दो से तीन गुणा बढ़ाया गया था उसे वापस लेते तो आम जनता की जेब पर बोझ कम होता। जिस देश में 80 करोड़ लोग पेट भरने के लिए सरकारी खाद्यान्न के मोहताज हों उनके लिए एसी बोगियों में यात्रा करना नामुमकिन है, दोगलापन अपनाते हुए मोदी सरकार लंबी दूरी की अनेक ट्रेनों से जनरल बोगियां या तो समाप्त कर चुकी है या उनकी संख्या घटा कर एसी बोगियों में बढ़ोत्तरी की गई है, साधारण स्लीपर कोच भी घटा कर थर्ड एसी इकोनॉकी कोच बढ़ाए जा रहे हैं। सुविधा के नाम पर एक्सप्रेस ट्रेनों की गति थोड़ी बढ़ाकर उन्हें सुपरफास्ट एक्सप्रेस का नाम दिया गया, इसके एवज में सुपरफास्ट चार्ज भी बढ़ा दिया गया।
बताया जा रहा है कि न्यू टाउन और बल्लभगढ़ रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। सुधी पाठक जान लें कि अगस्त 2023 में प्रधानमंत्री ने ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन को भी एयरपोर्ट की तरह विकसित करने के लिए 262 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की थी। अब न्यू टाउन को 34.88 करोड़ रुपये और बल्लभगढ़ रेलवे स्टेशन को 48.95 रुपये खर्च कर उन्हें एयरपोर्ट बनाएंगे। 262 करोड़ के मुकाबले इतने कम बजट की घोषणा ही बता रही है कि इन दोनों स्टेशनों को एयरपोर्ट जैसा बनाने का झूठ ही जनता से बोला गया । रही बात ओल्ड फरीदाबाद स्टेशन की तो बताते चलें कि घोषणा से पहले भी इस स्टेशन को आधुनिक बनाने के लिए करीब सवा सौ करोड़ रुपये बर्बाद किए जा चुके थे। मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014-15 में इसकी घोषणा की थी, एक साल का यह प्रोजेक्ट जो 2021 में किसी तरह पूरा हो सका था।
मोदी ने कुछ रेलवे ओवर ब्रिज बनाने की भी घोषणा की थी इनमें से रसूलपुर रोड वाला ओवरब्रिज तो करीब आठ साल मेें बन कर तैयार हो सका। बामनीखेड़ा का ओवरब्रिज भी आठ साल से निर्माणाधीन चल रहा है, निर्लज्ज प्रशासन ने काम पूरा हुए बिना ही इस पर यातायात शुरू करवा दिया है। समझा जा सकता है कि बाकी ओवरब्रिज भी इसी तरह बनाए जाएंगे। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक मोदी ने ये 41 हज़ार करोड़ के विकास कार्यों की घोषणा अपने चहेते पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की नीयत से किए हैं। ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन के निर्माण की पहली घोषणा में करीब सवा सौ करोड़ रुपयों की बंदरबांट हुई और यात्रियों को स्टेशन पहुंचने वाले मार्ग तक को ठीक नहीं किया गया। एक साल का कार्य सात आठ साल में आधा अधूरा किया गया और पूर्ण दिखा कर फिर से 262 करोड़ की घोषणा कर दी गई। चुनावी मौसम में की गई यह घोषणाएं भी मोदी की अन्य अनेक घोषणाओं की तरह लटकम पटकम ही रहेंगी। हां, गोदी मीडिया और आईटी सेल द्वारा अपनी स्वामीभक्ति दिखाते हुए 550 स्टेशनों के एयरपोर्ट जैसा बन जाने का झूठा ख्वाब जनता को दिखाया जाएगा।