चुनाव नजदीक आते ही फिर पीटा जाने लगा एफएनजी का ढोल

चुनाव नजदीक आते ही फिर पीटा जाने लगा एफएनजी का ढोल
June 23 14:04 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) लोकसभा चुनाव में प्रदेश की पांच सीटें गंवाने के बाद भाजपाइयों को विधानसभा चुनाव भी हाथ से जाता नजर आने लगा है। भाजपा जनप्रतिनिधियों से लेकर नेताओं ने दस साल तक सत्ता की मलाई खाने और पद का उपयोग जनहित की बजाय स्वयं और अपने पूंजीपति मित्रों, ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने में किया। लोकसभा चुनाव में राम मंदिर के नाम पर दस लाख वोटों से जीतने का दावा करने वाले कृष्णपाल गूजर दस लाख तो दूर पिछले चुनाव से भी बहुत कम वोट हासिल कर पाए। अब विधानसभा चुनाव करीब है तो जनता को वरगलाने के लिए भाजपाई विकास के घिसे-पिटे और कोरी कल्पना साबित होने वाले मुद्दों को फिर उछालने के लिए गोदी मीडिया का सहारा ले रहे हैं। करीब डेढ़ साल बाद एक बार फिर फरीदाबाद नोएडा गाजियाबाद (एफएनजी) का झुनझुना मीडिया के द्वारा बजवाया जा रहा है।

संघ से झूठ और मक्कारी के गुर सीख कर निकले पूर्व सीएम खट्टर ने दो साल पहले यानी मार्च 2022 में जनता को एफएनजी का झुनझुना थमाया था। तब खट्टर ने जोर शोर से ऐलान किया था कि एफएनजी बनने से फरीदाबाद से नोएडा या गाजियाबाद जाने के लिए दिल्ली से नहीं गुजरना पड़ेगा। रास्ता करीब आधा हो जाएगा यानी ईंधन और समय दोनों की बचत होगी। तब से यह घोषणा आज तक सिर्फ घोषणा ही है क्योंकि आज तक इस परियोजना की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) ही नहीं बनी है। हां बीते दो साल में केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गूजर, पूर्व सीएम खट्टर से लेकर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा, सीमा त्रिखा सहित भाजपा नेता जब तब इसका ढिंढोरा पीटने से बाज नहीं आ रहे लेकिन किसी ने कभी ये नहीं बताया कि यह योजना कब शुरू होगी और कब एफएनजी बनकर तैयार हो जाएगा।

आज भी इस प्रोजेक्ट मेें फरीदाबाद को नोएडा से जोडऩे में न तो सरकार के स्तर से और न ही प्रशासनिक स्तर से कोई प्रगति हुई है, बावजूद इसके गोदी मीडिया अचानक इसका ढिंढोरा पीटने में जुट गया है, नेता और अधिकारियों को झूठ के लिए वाहवाही छपवाने से कोई गुरेज नहीं है तो वो भी दो साल पुराना झूठ ऐसे दोहरा रहे हैं कि जैसे कि एफएनजी प्रोजेक्ट बस शुरू ही होने वाला है।

मुश्किल से चुनाव जीते कृष्णपाल गूजर और विधानसभा चुनाव करीब आते ही मूलचंद शर्मा एफएनजी का राग अलापने लगे हैं। मूलचंद शर्मा ने रविवार को कहा कि एफएनजी हरियाणा सरकार की प्राथमिकता में है, इसके निर्माण कार्य की प्रक्रिया जल्द शुरू कर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। यानी मंत्री मूलचंद शर्मा ने खुद ही बता दिया कि जिस एफएनजी का ढिंढोरा बीते दो साल से पीटा जा रहा है उसके रास्ते के लिए अभी तक जमीन का अधिग्रहण ही नहीं हुआ है। बताया तो ये भी जा रहा है कि जहां से एफएनजी गुजरना है वहां घोषणा के बाद से अवैध कॉलोनियां बस गई हैं, इन कॉलोनियों के कारण एफएनजी का रूट बदलना पड़ेगा।

दरअसल करना धरना कुछ नहीं है सिर्फ हवाई बातें हैं। जब कॉलोनियां अवैध हैं और सरकारी जमीन पर बसाई गई हैँ तो उन्हें हटाया जा सकता है, लेकिन उन्हें कैसे हटाएंगे वो तो लीडर से डीलर बने गूजर या उनके गुर्गों ने बसाई है। तो बताया जा रहा है कि कॉलोनी बस जाने के कारण रूट बदलना पड़ेगा। वैसे ये बात भी झूठ ही है क्योंकि अभी तक इस प्रोजेक्ट की डीपीआर तक नहीं बनाई गई है। हरियाणा लोक निर्माण विभाग भवन एवं सडक़ के कार्यकारी अभियंता प्रदीप सिंह संधू ने बताया कि एफएनजी के लिए अक्तूबर तक डीपीआर बनाने को कहा गया है इसके लिए नोएडा की एक निजी कंपनी को 26 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। हालांकि उन्होंने कंपनी का नाम नहीं बताया लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि यह कंपनी भी संघी याशी कंसल्टेंसी, या भाजपा को इलेक्टोरल बांड के जरिए सात करोड़ चंदा देने वाली रंजीत बिल्डकॉन या ईकोग्रीन कंपनी की तरह ही कोई फर्जी कंपनी होगी, उसे भी मालूम है कि प्रोजेक्ट का झुनझुना बजाया जा रहा है तो 26 लाख रुपये की बंदरबांट कर खेल खत्म हो जाएगा।

डीपीआर देने का समय भी अक्तूबर चुना गया है यानी तब तक विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो चुकी होगी और नेता इसके नाम पर वोट मांग रहे होंगे, चुनाव खत्म होने के बाद एफएनजी को एक बार फिर अगले चुनाव तक ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

एफएनजी प्रोजेक्ट के फर्जी होने का एक और बड़ा साक्ष्य यह है कि यमुना पर जो 650 मीटर लंबा पुल बनाया जाना है उसके लिए अभी तक न तो जगह निर्धारित हुई है और न ही लागत का आकलन किया गया है, और तो और अभी यूपी सरकार ने यह भी तय नहीं किया है कि इस पुल को नोएडा में किस सडक़ से जोड़ा जाएगा, बताया जा रहा है कि यूपी सरकार इस पुल तक नई सडक़ बनाए जाने पर भी विचार कर रही है, यानी सब कुछ ‘विचार’ और ‘होगा’ में ही है जिसका स्पष्ट अर्थ है कि होना जाना कुछ नहीं लेकिन गोदी मीडिया प्रचार-प्रसार कर रही है जैसे बस कुछ ही दिन में पुल बन जाएगा और फरीदाबाद से नोएडा जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर खत्म हो जाएगा।

झूठ का पुलिंदा साबित हो रही मोदी-सैनी की सरकार यदि सच में इस प्रोजेक्ट के प्रति गंभीर होती तो दो साल में यह पूर्ण भी हो चुका होता। घोषणा के बावजूद खट्टर सैनी सरकार ने दो साल में एफएनजी बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया।

यूपी में भी डबल इंजन सरकार होने के कारण प्रोजेक्ट में कोई बाधा भी नहीं आनी थी लेकिन जब सिर्फ घोषणा से ही चुनाव जीता जा सकता है तो काम कराने की क्या जरूरत। रही बात आम जनता की तो इस प्रोजेक्ट की जितनी लागत होगी फरीदाबाद से नोएडा, गाजियाबाद जाने के लिए दिल्ली का चक्कर लगाने वाले वाहनों ने उससे कहीं अधिक कीमत का ईंधन जला दिया होगा, प्रोजेक्ट समय पर पूरा होने पर इसे बचाया जा सकता था। उनके समय और ईंधन की कीमत का आकलन किया जाए तो हर महीने पुल की लागत के बराबर खर्च हो रहा है, और प्रदूषण भी बढ़ रहा है।

एफएनजी प्रोजेक्ट तो पूरी तरह से कागजों में ही है, दस साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कृष्णपाल गूजर ने मंझावली पुल का शिलान्यास किया था तब भी बहुत बड़े बड़े दावे किए गए थे, कि दो साल में पुल तैयार हो जाएगा और फरीदाबाद से नोएडा का परी चौक करीब 17 किलोमीटर करीब हो जाएगा। गडकरी ने तो ये भी दावा किया था कि पुल की ऊंचाई 27 मीटर इसलिए रखी जा रही है कि भविष्य में यमुना नदी में जलपोत भी चलाए जाएंगे। दस साल बीत गए न तो मंझावली पुल तैयार हो सका है और न ही यमुना में जलपोत नजर आए। रही बात मंझावली प्रोजेक्ट की तो इसकी कनेक्टिविटी के लिए जरूरी जमीन का अधिग्रहण भी नहीं हो सका है। जमीन अधिग्रहण न करने का कोई कारण नहीं है, कारण नीयत का न होना है।

एफएनजी में तो अभी पुल की जगह भी निर्धारित नहीं है तो कनेक्टिविटी के लिए जमीन अधिग्रहण की बात का सवाल ही पैदा नहीं होता। बेहतर होता कि गोदी मीडिया नेताओं की चाटुकारिता में जनता को झूठे सपने दिखाने के बजाय, इन प्रोजेक्टों के लिए नेताओं और सरकार से सवाल करती और जनता के पक्ष में उनकी जवाबदेही तय करती तो शायद ये प्रोजेक्ट जल्द पूरे हो जाते।

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Mazdoor Morcha
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