चोरी के झूठे इल्जाम पर मज़दूर को पुलिस ने किया टॉर्चर ‘थोडा टॉर्चर तो करणा ई पड़ै’, ‘अरे मैं गल्त बोलग्या’

चोरी के झूठे इल्जाम पर मज़दूर को पुलिस ने किया टॉर्चर ‘थोडा टॉर्चर तो करणा ई पड़ै’, ‘अरे मैं गल्त बोलग्या’
October 30 08:59 2022

फरीदाबाद (म.मो.) 21 अक्तूबर को 10 बजे, आज़ाद नगर बस्ती निवासी मज़दूर, उमेश को मुजेसर पुलिस थाने के दारोगा, सुरेंदर सिंह ने ‘पूछताछ’ के लिए एक बार फिर बुलाया. पिछली तीन ‘पूछताछों’ के तजुर्बे के आधार पर, उमेश डर से कांप रहे थे. उनकी ऑंखें आंसुओं से भरी हुई थीं. साथ में उनकी मम्मी, छोटी बहन, दीदी, जीजा और बस्ती के बीसियों मज़दूर थे, और साथ में थे ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा, फरीदाबाद’ के कार्यकर्ता. थाने के कमरा नंबर 13 की और बढ़ते हुए उमेश के दिल में ‘पूछताछ’ की दहशत बढती जा रही थी. गन्दी गालियाँ, थप्पड़, घूंसे, कमर में कोहनी की चीख निकालने वाली मार, एएसआई सुरेंदर सिंह की ‘पूछताछ’ उमेश कैसे भूल सकते थे. ‘थोडा टॉर्चर तो करणा ई पड़ै’, कम से कम 10 लोगों की उपस्थिति में, सुरेंदर सिंह का ये क़बूलनामा, वाक़ई डराने वाला, लेकिन पुलिस स्टेशन में होने वाली ‘पूछताछ’ की असलियत उजागर करने वाला था. असावधानी में बोले गए, सच्चे बोल-वचन का परिणाम ग़लत भी हो सकता है, ये सोचकर, सुरेंदर सिंह ने फिर फऱमाया, ‘अरे मैं गल्त बोलग्या’. ये है पुलिस की पूछताछ की असलियत. इस तरह आरोपी अपराध ‘कबूलते’ हैं पुलिस थानों में.

औद्योगिक पलट न 385, सेक्टर 24, में दीपा इंटरप्राइजेज नाम के कारख़ाने में उमेश चौहान और उनकी मां, लालती जी कई सालों से काम करते थे. ख़ुद मालिक के ही अनुसार, उमेश, फैक्ट्री में बहुत जि़म्मेदारी से अपना काम करते रहे हैं. दो साल पहले फैक्ट्री के सुरक्षा अधिकारी और उमेश के बीच कुछ कहा-सुनी हुई, जिसकी शिकायत, मालिक ने उसी फैक्ट्री में काम कर रहीं उनकी मम्मी से की. उमेश अपने काम में बहुत निपुण हैं और जि़म्मेदारी से काम करते हैं. उनकी माताजी जानती थीं कि उन्हें कहीं भी काम मिल जाएगा. इसलिए उन्होंने उस झंझट को ख़त्म करने के लिए, उमेश से कहा कि तुम यहाँ से नोकरी छोड़ दो, दूसरी जगह काम देख लो. उमेश को पास की ही कंपनी, एस्कॉर्ट्स-क्युबोटो में नोकरी मिल गई. 10 अक्तूबर को जब लालती जी, अपनी ड्यूटी के लिए दीपा इंटरप्राइजेज पहुँचीं तो देखा कई लोग मालिक के दफ़्तर में जमा हैं. वे भी पहुँचीं तो पता चला कि रविवार, 9 अक्तूबर की रात चोरों ने, बाहरी दीवार फांदकर, दफ्तर की खिडक़ी पूरी तरह उखाडक़र, मेज की दराज़ तोडक़र, उसमें रखे 2,90,000 रुपये चोरी कर लिए. मालिक ने बताया, ये पैसे उन्होंने अपने मज़दूरों को दीवाली बोनस देने के लिए बैंक से निकालकर रखे थे.

शुक्रवार 14 अक्तूबर को मालिक ने लालती जी को अपने दफ़्तर में बुलाया. उनके सामने एक व्यक्ति सादी ड्रेस में बैठा हुआ था. उसने लालती जी से पूछा, उमेश कौन है? उन्होंने बताया, उमेश उनका बेटा है, क्या हुआ? तब उस व्यक्ति ने बताया कि मालिक ने मज़दूरों को दीपावली पर बोनस देने के लिए रु 2,90,000 अपनी तिज़ोरी में रखे थे, वे चोरी हो गए हैं. आप उमेश को बुला सकती हैं? ‘क्यों नहीं’, मालती जी ने जवाब दिया. ‘ठीक है शाम को मुजेसर थाने भेज देना.’ तब मालती जी को मालूम पड़ा कि उससे पूछताछ कर रहे व्यक्ति मुजेसर थाने के दारोगा जी सुरेंदर सिंह हैं. उन्होंने उसी वक़्त उमेश को फोन लगाया और उमेश शाम को अपनी ड्यूटी ख़त्म कर सीधे पुलिस थाने में हाजिऱ हुए. सुरेन्द्र सिंह ने उन्हें थप्पड़ मारे, गालियाँ दीं और पूछा, बता तेरे साथ और कौन -कौन थे इस चोरी में?

उमेश ने कहा कि उन्हें दीपा इंटरप्राइजेज में नोकरी छोड़े दो साल हो गए. कौन सी चोरी, उन्हें कुछ भी नहीं मालूम. रात को उमेश को कहा गया, ‘अब तू घर जा, सुबह फिर आना.’ अगले दिन वे अपनी माताजी के साथ फिर थाने गए. सुरेन्द्र सिंह ने लालती जी को घर भेज दिया. बाद में फिर उमेश की पिटाई की गई. उन्हें थप्पड़ों और कोहनी से मारा. फिर एक बार बुलाया और इसी तरह पिटाई की. पिटाई के साथ ही उन्हें दिन भर थाने में बिठाकर रखा जाता जिससे वे अपनी ड्यूटी न जा पाएं. 21 ता को उन्हें जब फिर से थाने बुलाया गया तो उन्होंने क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा से संपर्क किया.

21 अक्तूबर को आज़ाद नगर बस्ती के लगभग 20 मज़दूर जिनमें उमेश की मां लालती जी और उनकी बहनें भी शामिल थीं, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा के नेताओं के साथ मुजेसर थाने पहुंचे और इस मामले की छान-बीन कर रहे ए एस आई सुरेन्द्र सिंह से मिले. फरीदाबाद से प्रकाशित प्रतिष्ठित ‘मज़दूर मोर्चा’ के पत्रकार शेखर दास भी कुछ ही समय बाद मुजेसर थाना पहुंचे और पीडि़त उमेश व उनके परिवार से पूरी घटना की असलियत जानी तथा एएसआई सुरेंदर सिंह से भी बात की. सवाल जो फरीदाबाद के मज़दूर पूछ रहे हैं और जो मुजेसर थाना पुलिस को पूछने चाहिए थे.

1) मालिक के अनुसार, 2,90,000 रुपये की चोरी, फैक्ट्री की दीवार लांघकर, दफ्तर की खिडक़ी तोडक़र, मेज की दराज़ का ताला तोडक़र, 9 अक्तूबर, रविवार की रात हुई. ये पैसा उसने मज़दूरों को दीवाली बोनस का भुगतान करने के लिए बैंक से निकाला था. क्या वह कंपनी अपने 100 से भी ज्यादा मज़दूरोंको भुगतान नक़द करती है? इस तथ्य को मज़दूरों और कंपनी के खाते से जांचा जा सकता है. यदि हाँ, तो ये कृत्य नियम विरुद्ध है. सरकारी निर्देश हैं कि मज़दूरों को भुगतान हमेशा उनके खाते में ट्रान्सफर अथवा चेक द्वारा ही किया जाना चाहिए. मालिक के विरुद्ध कानून संवत कार्यवाही की जाए.

2) अगर मज़दूरों को भुगतान करना था जैसा, मालिक दावा कर रहे हैं, तो कौन इतना मुर्ख मालिक होगा कि रोकड़ा रविवार से पहले बैंक से निकाल कर रखेगा, जिससे रविवार को चोरी हो सके!! बैंक से रक़म छुट्टी के दिन से पहले निकालने की क्या वज़ह थी.

3) कंपनी में सी सी टी वी कैमरे कब से बंद पड़े थे? क्यों बंद पड़े थे? क्या उसी वक़्त से बंद पड़े जब पैसा मेज की दराज़ में रखे गए!! क्या इसके लिए मालिक को जि़म्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए?

4) सुरक्षा गार्ड चोरी के वक़्त सोया हुआ था. चोरों ने फैक्ट्री की दीवार लांघी, दफतर की खिडक़ी तोड़ी, दराज़ का ताला तोडा और वो नहीं जागा. फिर भी मालिक को उससे कोई शिकायत नहीं!! पुलिस ने भी उससे, उमेश जैसी पूछताछ करनी ज़रूरी नहीं समझी. कुछ मज़दूर फैक्ट्री में ही सोते हैं, उनसे भी कोई पूछताछ नहीं, मालिक को भी उन पर कोई शक नहीं!! ये दरियादिली है या कुछ और?

5) उमेश 2 साल पहले इस कंपनी से काम छोड़ चुके हैं. मालिक कहता है कि उमेश को ही सब मालूम था कि पैसा कहाँ रखा जाता है. ‘उसे हमने कहाँ से कहाँ पहुँचाया!!’ पिछले 2 साल में, क्या पैसा कहाँ रखा जाता है, ये किसी को मालूम नहीं था!! क्या दो सालों में पैसे का कोई लेन-देन नहीं हुआ? किसी और से, कोई भी पूछताछ करने की ज़रूरत मालिक या पुलिस को क्यों नहीं हुई? क्या मालिक द्वारा इस कार्यवाही और उनके कथन में ये दर्द नहीं झलक रहा कि उमेश, जो एक जि़म्मेदार मज़दूर थे, सारा काम संभालते थे, 5 साल की नोकरी में उन्होंने अपने दामन पर कोई दाग नहीं लगने दिया; उनकी कंपनी क्यों छोड़ गए? क्यों ना उन्हें सबक़ सिखाया जाए? मज़दूरों को दीवाली बोनस ना देने का बहाना भी मिल जाएगा.
क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा ने, मज़दूरों को संबोधित करते हुए और ए एस आई सुरेंदर सिंह से बातचीत के दौरान कहा है कि उनका मक़सद अपराधी को बचाना बिलकुल नहीं है. अगर पुलिस के पास पुख्ता सबूत हैं तो वह उमेश के साथ जो कानूनी कार्यवाही बनती है, वह करे. उसमें कोई बाधा पहुँचाने का उनका कोई इरादा नहीं है. लेकिन, पुलिस, मालिक द्वारा की गई शिकायत की कॉपी ख़ुद आरोपी को भी देने से मना कर रही है, ये भी स्वीकार कर रही है कि उनके पास उमेश के विरुद्ध सबूत नहीं हैं, ये भी स्वीकार कर रही है कि उमेश के साथ मारपीट की गई और आगे भी की जाएगी, ‘थोडा टॉर्चर तो करणा ई पड़ै’!! ये अन्याय और दमन- उत्पीडऩ बिलकुल सहन नहीं किया जाएगा. पुलिस द्वारा उमेश के साथ की गई मार-पिटाई के विरुद्ध समूचे औद्योगिक क्षेत्र के मज़दूर आक्रोशित हैं.

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Mazdoor Morcha
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