चौथी मंजिल का खेल : पहले नेताओं ने कमाया, अब रिश्वतखोर अधिकारियों की बारी

चौथी मंजिल का खेल : पहले नेताओं ने कमाया, अब रिश्वतखोर अधिकारियों की बारी
June 02 07:02 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) पूर्व सीएम खट्टर द्वारा अपने चहेते बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए थोड़े समय के लिए लागू कर वापस ली गई स्टिल्ट प्लस चार मंजिल निर्माण की पॉलिसी अब प्रशासनिक अधिकारियों की कमाई का जरिया बन गई है। आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के दौरान महानिदेशक नगर एवं आयोजना टीएल सत्यप्रकाश ने 23 फरवरी 2023 के बाद बनाए गए ऐसे निर्माण में चौथी मंजिल गिराने का आदेश जारी किया है। यह आदेश किस हद तक लागू होगा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्टिल्ट प्लस चार फ्लोर की पॉलिसी के संबंध में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र राव की अध्यक्षता वाली एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट सरकार के पास विचाराधीन है। हालांकि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार कमेटी की रिपोर्ट में कुछ शर्तों के साथ इस योजना को मंजूरी देने की सिफारिश की गई है। ऐसे में चौथी मंजिल ढहाए जाने का आदेश भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों की कमाई का साधन ही साबित होने वाली है।

बिल्डर-पूंजीपतियों के हाथ की कठपुतली कहे जाने वाले पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने आवासीय प्लाटों में स्टिल्ट प्लस चार मंजिल बनाए जाने की अनुमति दे दी थी। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार चुनावों में भाजपा प्रत्याशियों के लिए फंड और वोट की व्यवस्था करने वाले बिल्डर-भूमाफिया भाजपा सरकार बनने के बाद से ही बिल्डिंग बायलॉज को ताक पर रख कर अवैध और अतिरिक्त निर्माण करना शुरू कर चुके थे। संदर्भवश, सुधी पाठकों को बताते चलें कि छह अगस्त 2022 को नगर निगम ने शहर के तीस से अधिक ऐसे भवन चिह्नित किए थे जिनमें अवैध रूप से चौथी मंजिल, अतिरिक्त निर्माण, या एफएआर का उल्लंघन किया गया था।

तत्कालीन निगम आयुक्त ने इन बिल्डिंगों को सील करने का फरमान भी सुनाया था, लेकिन इन्हें सील नहीं किया जा सका था। ऐसे ही एक अवैध निर्माण 3 ई 44 को सील किया गया लेकिन मंत्री और विधायक के करीबी बिल्डर ने सील्ड भवन में ही निर्माण कार्य पूरा करा डाला, भवन सील ही रहा और खरीदारों को कब्जा भी दे दिया गया। इस आवासीय प्लॉट में स्टिल्ट पार्किंग की जगह कॉमर्शियल दुकानें खोल दी गई हैं और एफएआर का उल्लंघन किया गया है, सत्ता की हनक में नक्शा भी नहीं पास कराया गया। इसी तरह 3 डी 52 बीपी, 3डी 39 बीपी, 3 डी 46, 3 डी 51 बीपी, 3 ई 13 बीपी, 2 जे 84 आदि हैं, नियमों और बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां उड़ा कर बनाए गए ये सारे भवन आज भी चल रहे हैं।

बताया जाता है कि पूरे प्रदेश में इस तरह नियम कानून ताक पर रख कर बनाए गए चार मंजिला भवनों के बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए ही खट्टर ने पॉलिसी की घोषणा की थी। जाहिर है कि घोषणा कराने के लिए बिल्डरों ने मोटा चढ़ावा चढ़ाया होगा। सत्ता पक्ष के चहेते बिल्डर भूमाफिया के भवनों को लाभ मिलते ही खट्टर ने 23 फरवरी 2023 को यह आदेश वापस ले लिया, हालांकि इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए उन्होंने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र राव की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार कमेटी ने कई शर्तों के साथ सेक्टरों में स्टिल्ट प्लस चार मंजिला निर्माण की सिफारिश की है। जिन सेक्टरों में सडक़ें 12 मीटर चौड़ी हों और जहां बुनियादी ढांचा बढ़ाने की गुंजाइश हो, वहां अनुमति दी जा सकती है।

कमेटी की इस तरह की सिफारिशों के बावजूद महानिदेशक नगर एवं आयोजना विभाग टीएल सत्य प्रकाश ने बुधवार को आदेश जारी कर दिया कि 23 फरवरी 2023 के बाद के चार मंजिला निर्माण को ढहाया जाएगा, इन बिल्डिंगों के लिए ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करने का अनुमोदन करने वाले आर्किटेक्ट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। प्रशासनिक मामलों के जानकारों का मानना है कि यह आदेश भ्रष्ट अधिकारियों की कमाई का जरिया साबित होगा। पूरे प्रदेश मेें चार-पांच मंजिला आवासीय भवन तो बहुत पहले से बनते आ रहे हैं आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से लेकर नगर निगम व प्रशासन में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की मुट्ठी गर्म करने के बाद ही इनका निर्माण होता है, ऐसे में ये अफसर नमक हलाली का परिचय देते हुए इन अवैध निर्माणों की अनदेखी करते हैं। अब क्योंकि आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है इसका डर दिखा कर अधिकारी फरवरी 23 के बाद बने इस तरह के भवनों के मालिकों व खरीदारों से वसूली करेंगे, होना जाना कुछ नहीं है।

दरअसल, खट्टर की यह योजना विशुद्ध लूट कमाई के लिए बनाई गई थी। बिल्डर भी हाथ रंगे, अधिकारी और सरकार भी पीछे न रहे। हूडा के सेक्टरों में ढाई मंजिला मकान बनाने की इजाजत हुआ करती थी, खट्टर जी ने इसे बढ़ा कर पांच मंजिला कर दिया। पहले, अतिरिक्त मंजिलें बनाने के लिए किसी भी व्यक्ति को अपने छत की ऊपर की जगह भी खरीदनी पड़ती थी ऐसा नहीं था कि जो मर्जी बना ले।

प्लॉट बेचकर पैसे कमाने के बजाय खट्टर ने हवा बेच कर पैसा कमाने का नायाब तरीका खोज निकाला था। सरकार, अधिकारी व बिल्डरों ने तो मोटा मुनाफा कूट लिया लेकिन समस्या वहां रहने वाले निवासियों के लिए हो गई। क्योंकि सडक़, सीवर, पेयजल व बिजली की व्यवस्था जितनी आबादी के लिए की गई थी अब उसे यकायक बढ़ा का दोगुणा कर दिया गया। समझा जा सकता है कि वहां के निवासियों की आने वाले समय में क्या दुर्दशा होगी।

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Mazdoor Morcha
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