फरीदाबाद (म.मो.) सुप्रीम कोर्ट के एक इशारे पर खोरी गांव के बीसियों हज़ार गरीब मज़दूरों को उजाडऩे में खट्टर सरकार को कानून व्यवस्था की कतई कोई दिक्कत नहीं आई क्योंकि इससे निपटने के लिये लाठी व बंदूकधारी पुलिस बल उनके पास था। इसी बल ने उन गरीबों को बेरहमी से उज़ाड़ दिया। लेकिन अब बमुश्किल 100 लोगों द्वारा बनाये गये अवैध फार्म हाउस, बेंक्वेटहॉल, होटल, मंदिर-आश्रम व स्कूल आदि को छूने में उन्हें ‘लोगों’ के भड़कने एवं कानून-व्यवस्था के बिगडऩे का खतरा नज़र आने लगा है।
लोगों के भड़कने एवं कानून-व्यवस्था के बिगडऩे की जो बात खट्टर सरकार आज कह रही है, उसी दिन क्यों नहीं कह दी जब सुप्रीम कोर्ट ने खोरी सहित तमाम वन भूमि को मुक्त कराने को कहा था; उस वक्त तो खट्टर ने बड़ी फुर्ती दिखाते हुए गरीब मेहनतकशों के आशियाने उजाड़ दिये। इतना ही नहीं कई महीनों तक सरकार सुप्रीम कोर्ट को, तरह-तरह के बहाने लगाकर झूठे शपथपत्र दे-देकर बेवकूफ बनाती रही। सुप्रीम कोर्ट जब भी शेष वन भूमि को मुक्त कराने की प्रगति की बात करती तो सरकार कहती कि वह सर्वे करा रही है, ड्रोन उड़ा रही है, अभी 4 फार्म हाउस तोड़ दिये अब की बार दो और तोड़ दिये। यानी तरह-तरह की बहानेबाज़ी करते हुए समय खींचा जाता रहा और अंत में कह दिया कि उसके बस का नहीं है सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना।
‘मज़दूर मोर्चा’ ने बहुत पहले ही लिख दिया था कि सरकार की नीयत बिल्कुल नहीं है अपने चहेतों, राजनेताओं, बड़े अफसरशाहों आदि के भव्य निर्माणों को उजाड़ कर वन भूमि खाली कराना। खोरी की गरीब बस्ती को उजाडऩे में जो फुर्ती दिखाई गयी थी, उसके पीछे असल कारण उस बेशकीमती ज़मीन को खाली कराना था। उस ‘गंदी’ बस्ती से वहां बने पंचतारा होटलों की शोभा बिगड़ रही थी। वह बस्ती मखमल में लगे टाट के पैबंद सरीखी थी।
दूसरे, यह भी लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट जो हर पेशी पर सरकार को हड़काती व धमकाती है, उससे इन बेशर्मों पर कतई कोई असर नहीं पडऩे वाला। इनसे यदि काम लेना है तो दो-चार जिम्मेवार अफसरों को अपनी शक्ति का थोड़ा जलवा दिखाये ताकि वे सुप्रीम कोर्ट को नख-दंत विहीन समझ कर इसका मजाक न उड़ाते रहें।