मज़दूर मोर्चा ब्यूरो नगर एवं आयोजना एवं शहरी संपदा मंत्री जेपी दलाल ने मंगलवार को प्रदेश में स्टिल्ट प्लस चार मंजिल भवन बनाने की घोषणा कर दी। सत्ता एव धनलोलुप भाजपाई चुनाव से पहले वो सभी काम करने में जुटे हैं जिससे उनकी सत्ता तो बनी ही रहे लूट कमाई भी बढ़ती रहे। उनके निर्णयों से शहरों का पहले से ही लचर आधारभूत ढांचा चरमरा भले ही क्यों न जाए? पूर्व सीएम खट्टर ने भी डेढ़ साल पहले बिल्डर, माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए यही निर्णय लिया था लेकिन भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा था। अब विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार अपने पूंजीपति, बिल्डर, भूमाफिया फाइनेंसरों के लिए इसे दोबारा लागू कर रही है।
प्रदेश के नगर योजनाकारों ने स्टिल्ट पार्किंग के साथ दो मंजिला इमारत बनाने की सीमा निश्चित की थी। इन इमारतों और उनके रहने वाले परिवारों की जरूरत के अनुपात में ही सडक़ें, सीवर लाइन, पेयजल लाइनें व बिजली आपूर्ति व्यवस्था स्थापित की गई थीं। अधिकतर शहरों में सीवर- पेयजल लाइनें छह दशक पहले उस समय की आबादी के मद्देजनर डाली गईं थी। तब से अब तक आबादी तो कई गुना बढ़ चुकी है, सीवर लाइनें, पेयजल आपूर्ति व्यवस्था चरमराने की हालत में हैं। भाजपा सरकार ने बीते दस साल में इन आधारभूत सुविधाओं के विकास पर तो कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन स्टिल्ट प्लस चार मंजिल की पॉलिसी ले आए। समझने वाली बात तो यह है कि जो सीवर एवं पेयजल व्यवस्था ढाई मंजिला मकानों का बोझ सह नहीं पा रही वह पांच मंजिला मकानों में बसने वाली आबादी का बोझ कैसे उठा पायेगी?
दरअसल रिटायर होने के बाद सरकार के सलाहकार बने भ्रष्ट और निकम्मे अधिकारी बिल्डर लॉबी से सांठगांठ कर पिछले डेढ़ साल से स्टिल्ट प्लस चार मंजिल का राग अलाप रहे हैं। बिल्डरों की गोदी में बैठे सलाहकारों ने सरकार को सुझाया कि प्लॉट बेचकर पैसे कमाने के बजाय हवा बेचकर मोटी कमाई की जाए तो तो क्या हर्ज है, विदित है कि ऊपरी मंजिलें बनाने के भी सरकार मोटे पैसे सरकार तो लेती ही है विभागीय अफसर भी कसर नहीं छोड़ते। उनकी सलाह पर जेपी दलाल ने घोषणा कर दी। उन्होंने सलाहकारों से ये पूछने की भी जहमत नहीं उठाई कि जो सीवर लाइनें पहले से ही चोक पड़ी हैं वो अतिरिक्त बोझ कैसे झेलेंगी? पेयजल आपूर्ति व्यवस्था पहले ही अपर्याप्त है तो बढ़ी हुई आबादी की प्यास कैसे बुझेगी? पूछते भी क्यों उन्हें तो बिल्डर लॉबी से चुनाव में मिलने वाला मोटा फाइनेंस नजर आ रहा है।
जानकारों के अनुसार सरकार यह पॉलिसी आम आदमी के हित में नहीं लाई है बल्कि सत्ताधारियों और उनके रसूखदार साथियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह घोषणा की गई है। उनके अनुसार पूरे प्रदेश में भाजपा के संरक्षण में बिल्डरों और भूमाफिया ने खुल कर बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर ढाई की जगह पांच- छह मंजिल तक मकान बना कर, आवासीय प्लॉटों में आवास के साथ व्यावायिक भवन बनाए हैं। पूरे प्रदेश में इस तरह के अवैध मकान बनाने वाले सत्ता संरक्षित बिल्डरों का अरबों रुपये का काला कारोबार है। इस पॉलिसी का फायदा सबसे पहले वही बिल्डर अपने निर्माण को रेगुलराइज करा कर उठाने वाले हैं। आम आदमी तो एक मंजिला मकान बनाने में अपनी जीवन भर की कमाई लगा देता है। हां, पॉलिसी लागू होने से इतना ही होगा कि सत्ता संरक्षित बिल्डरों के अलावा अन्य भी इस धंधे में कूद पड़े हैं। बिल्डर सेक्टरों में बने बनाए मकान खरीदने की तैयारी में जुट गए हैं। यानी इन सेक्टरों में बने बनाए मकान तोड़ कर चार मंजिला इमारतें खड़ी की जाएंगी।
महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि यदि सरकार को पांच मंजिला भवन बनाने का इतना ही शौक है तो इसके लिए नए विकसित होने वाले सेक्टरों में सडक़, सीवर, पानी, बिजली आदि की व्यवस्था उसके हिसाब से की जाए। क्योंकि इनमें उसी आधार पर सीवर सडक़ पेयजल आपूर्ती व्यवस्था भी विकसित की जा सकती है। पुराने बसे सेक्टरों में मकान तो टूट कर बन जाएंगे बिजली, सीवर, पानी लाइनें तो पुरानी ही रहेंगी, जो पहले से ही संकटग्रस्त हैं।