चार दिन की बरसात में सारा सरकारी तंत्र फेल शहर के तीनों अंडरपास डूबे, सडक़ें हुई जाम

चार दिन की बरसात में सारा सरकारी तंत्र फेल  शहर के तीनों अंडरपास डूबे, सडक़ें हुई जाम
October 17 17:19 2022

फरीदाबाद (म.मो.) शुक्रवार दिनांक 7 अक्टूबर को शुरू हुई बरसात में, खट्टर सरकार द्वारा शहरवासियों पर लादी गई, नगर निगम, ‘हूडा’, स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड व एफएमडीए जैसी एजेंसियां पूरी तरह से फ्लॉप-शो साबित हुई हैं। पहले तो जनता का लहू पीने के लिये नगर निगम व ‘हूडा’ ही थे परन्तु इनसे भाजपा सरकार की तसल्ली नहीं हुई तो स्मार्ट सिटी कंपनी तथा एफएमडीए भी शहरवासियों की छाती पर मूंग दलने को बैठा दी।

विकास के नाम पर जगह-जगह शहर को खोद कर डाल रखा है। एफएमडीए वाले खुदाई करते समय किसी से भी, कहीं से भी यह जानने तक का प्रयास नहीं करते कि सीवर लाइन कहां है और पेय जल की लाइन कहां है। इसी तरह से स्मार्ट सिटी कंपनी भी कोई काम शुरू करने से पहले यह जानने का कोई प्रयास नहीं करते कि उनसे पहले एमसीए$फ एवं ‘हूडा’ ने कहां क्या कर रखा है? बस आंख मिच कर खुदाइ व तोड़-फोड़ करके पेमेंट वसूली का जुगाड़ बनाये जा रहे हैं।

हर बरसात की तरह इस बार भी शहर के तीनों अंडरपास पानी से इस कदर डूब गये मानो जैसे कि स्वीमिंग पूल होंं। पहले तो एक-दो दिन में इनका पानी निकाल कर इन्हें चालू कर दिया जाता था, परन्तु इस बार तो चार दिन से भी अधिक समय ये तीनों अंडरपास पूरी तरह से बंद रहे। कहने की जरूरत नहीं कि शहर के बीचों-बीच बने तीन रेलवे ओवरब्रिज तथा तीन रेलवे अंडरपास शहर को जोडऩे के लिये अति महत्वपूर्ण हैं। तीन अंडरपास बंद होने के चलते यातायात का सारा भार तीन रेलवे ओवरब्रिजों पर पडऩा ही था। जाहिर है ऐसे में ट्रैफीक जाम की स्थिति को रोका नहीं जा सकता था। सडक़ों पर बने गड्ढों व उनमें भरे पानी ने जाम की स्थिति को और भी विकट बना दिया।

अंडरपासों को जलभराव से बचाने की बजाय प्रशासन को इन पर पुलिस का पहरा बैठाना आसान प्रतीत हुआ। लिहाजा तीनों अंडरपासों के दोनों ओर पुलिस तैनात कर दी गई ताकि जाने अनजाने कोई इनमें फंस कर प्रशासन के लिये मुसीबत खड़ी न कर दे। विदित है कि 10 दिन पूर्व ही ग्रीन फील्ड वाले अंडरपास में मानव रचना स्कूल की एक बस फंस गई थी जिसमें से बड़ी मुश्किल से बच्चों को निकाला गया था। इससे पहले भी ऐसी कई दुर्घटनायेंं हो चुकी थी। सरकारी एजेंसियों को जल निकासी की अपेक्षा पुलिस का पहरा लगाना अधिक सुविधाजनक लगा।

इन अंडरपासों के बंद होने से वाहनचालक तो जैसे-तैसे कई किलोमीटर के चक्कर काट कर निकलते रहे, लेकिन पैदल पथिक जान जोखिम में डालकर रेल पटरियां पार करते रहे। मेवला महाराजपुर निवासी उपेन्द्र तिवारी अंडरपास बंद होने के चलते बडखल रेलवे ओवरब्रिज के जरिये घर जाते समय 21 सी की टूटी-फूटी सडक़ पर अपनी प्राणों की आहूती दे बैठा। लेकिन शासन-प्रशासन को लेस मात्र भी शर्म नहीं।
ट्रैफिक पुलिस खड्डे भरने में जुटी सडक़े बनाने व मुरम्मत करने के नाम पर करोड़ों, अरबों डकारने वाले तमाम महकमे जब संकट की इस घड़ी में बड़े आराम से मुंह ढक कर सो रहे थे, उस वक्त ट्रैफिक पुलिस वाले पुलिसिंग का काम छोड़ कर किसी भी तरह ट्रैफिक को चलाये रखने में जुटे रहे। ये लोग कहीं पानी में फंसी गाडिय़ों को धक्का लगा कर निकालने का प्रयास कर रहे थे तो कहीं सडक़ों में बने गड्ढों को भरने में जुटे थे। ये गड्ढे कोई आज या कल में नहीं बने थे, ये तो स्थाइ रूप से शहर की सडक़ों में बने ही रहते हैं। हाईवे पर बाटा मोड़, अजरोंदा मोड़ जैसे महत्वपूर्ण स्थानों से जल निकासी के लिये सकर मशीनों को ठेके जरूर दे दिये जाते हैं जिससे सम्बन्धित अधिकारियों को ठीक-ठाक कमीशन मिल जाता है।

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Mazdoor Morcha
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