चालान के नाम पर लूट कमाई करने वाला ईएसआई रतन सिंह सिर्फ एक मोहरा है, नाटक के बजाय सही जांच हो तो खेल में आला अधिकारी भी फंसेंगे

चालान के नाम पर लूट कमाई करने वाला ईएसआई रतन सिंह सिर्फ एक मोहरा है, नाटक के बजाय सही जांच हो तो खेल में आला अधिकारी भी फंसेंगे
March 26 05:41 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) हार्डवेयर चौक पर यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए लगाया गया ट्रैफिक ईएसआई रतन सिंह वाहन चालकों को चालान के नाम पर लूटते हुए 14 मार्च को रंगेहाथों पकड़ा गया। वह मशीन से चालान तो काटता लेकिन नकद जुर्माना भरने वालों का डेटा मशीन से उड़ा दिया जाता और राशि की बंदरबांट कर ली जाती। अधिक से अधिक लूट करने के लिए ही वह चालकों पर नकद जुर्माना भरने का दबाव बनाता था। लूट का यह तथाकथित कानूनी धंधा यूं ही चलता रहता अगर रतन सिंह इस काली कमाई का छोटा सा हिस्सा साथी होमगार्ड को भी दे देता। सडक़ पर दौड़ कर वाहन चालकों को पकडऩे का जोखिम तो होमगार्ड उठाता लेकिन उसे हिस्सा नहीं मिलता था, इससे नाराज होकर उसने भांडाफोड़ कर दिया।

दरअसल, रतन सिंह अपने कुछ खास गु्र्गों के साथ ही यह लूट कमाई करता था, हाल ही में एक होमगार्ड भी उसके साथ ड्यूटी पर लगाया गया था। होमगार्ड ने पाया कि रतन सिंह चालान काटने के बाद चालकों पर नकद जुर्माना भरने का जबरदस्त दबाव बनाता। विदित है कि वाहन चालक को यह सुविधा है कि चालान मौके पर भुगते या कोर्ट में जाकर भुगते। यदि कोई चालक कोर्ट में जुर्माना भरने को कहता तो रतन सिंह मारपीट तक उतर आता था। मशीन जमा करवाते समय उसे फार्मेट करके या पूरा एप्लीकेशन अनइंस्टाल कर दोबारा इंस्टाल कर दिया जाता, इससे मशीन का डेटा खत्म हो जाता और पूरे दिन की हुई कमाई की बंदरबांट कर ली जाती। होमगार्ड ने भी रतन सिंह से इस बंदरबांट में हिस्सा मांगा लेकिन बात नहीं बन पाई। बताया जाता है कि होमगार्ड ने इस गोरखधंधे की शिकायत ट्रैफिक इंस्पेटर विनोद कुमार से की लेकिन कार्रवाई की बजाय उसे ही धमका दिया गया। जाहिर है कि वह भी इस लूट में शामिल था। इससे नाराज होमगार्ड ने खेल बिगाडऩे की नीयत से रतन सिंह द्वारा किए गए फर्जी चालानों की मशीन से निकलने वाली पर्चियां इकट्ठी कर लीं।

सीएम फ्लाइंग स्कवायड को पर्चियां दिखा कर कार्रवाई करने को कहा। सीएम फ्लाइंग ने पर्चियों की डिटेल यातायात पुलिस के ऑनलाइन पोर्टल से जांची तो डेटा नदारद था। इसके बाद सीएम फ्लाइंग स्कवायड ने 14 मार्च को हार्ड वेयर चौक से रतन सिंह को रंगेहाथ गिरफ्तार किया। उस दिन भी करीब दस वाहनों के चालान कर रसीदें काटी गईं लेकिन उनका डेटा मशीन से डिलीट कर दिया गया था। पूछताछ में रतन सिंह ने सेंट्रल डेटा सेंटर में तैनात डेटा इंट्री ऑपरेटर होमगार्ड शिवेंद्र के साथ मिलकर धोखाधड़ी करने का खुलासा किया। होमगार्ड शिवेंद्र मशीन को कंप्यूटर से कनेक्ट कर उसका डेटा सेंट्रल डेटा में अपलोड करता था। रतन सिंह के इशारे पर वह उन चालान को अपलोड करने से पहले डिलीट कर देता था जिनका जुर्माना नकद वसूला जाता था। इसके लिए शिवेंद्र को प्रति मशीन पांच सौ रुपये मिलते थे।

सीएम फ्लाइंग ने रंगेहाथ पकडऩे के बाद ट्रैफिक थाना प्रभारी विनोद कुमार को इसकी सूचना दी। मजबूरी में विनोद कुमार ने थाना सेंट्रल में रतन सिंह और शिवेंद्र के खिलाफ केस दर्ज कराया। इतना पक्के सुबूत होने और सीएम फ्लाइंग का मामला होने के कारण मजबूरी में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। विभागीय सूत्रों के अनुसार पुरानी मशीन केवल रतन सिंह को ही नहीं दी गई थी कई अन्य ईएसआई, एसआई को भी यही मशीनें दी गई थीं। शिवेंद्र सिंह प्रति मशीन पांच सौ रुपये लेता था इसका अर्थ यह हुआ कि इस तरह के कार्य वह अन्य मशीनों में भी करता था, यानी चालान के नाम पर रोजाना लाखों रुपये की आमदनी और बंदरबांट का खेल काफी लंबे समय से चला आ रहा था, जो रतन सिंह के पकड़े जाने पर खुल सका।

ईएसआई रतन सिंह लूट कमाई का यह धन अकेले ही नहीं हज़म कर सकता। सबको मालूम है कि सरकार ने पुरानी मशीन का इस्तेमाल बंद कर दिया है बावजूद इसके यदि इन्हें जारी किया जा रहा था तो लूट कमाई और उसमें हिस्साबांट करने के लिए ही। विभाग में चर्चा है कि पकड़े जाने के एक दिन पहले ही रतन सिंह एसीपी स्तर के एक अधिकारी को 68 हज़ार रुपये का चढ़ावा चढ़ा कर आया था। यह भी चर्चा सरगर्म है कि यदि ठीक से जांच हुई तो घोटाला साढ़े पांच करोड़ रुपये से भी अधिक का निकलेगा और नीचे से लेकर ऊपर तक करीब तीस अधिकारियों की मिलीभगत उजागर होगी। सीएम फ्लाइंग के कारण मजबूरी में पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया लेकिन पूरे प्रकरण पर लीपापोती का प्रयास किया जा रहा है, संभवत: यही कारण है कि सेंट्रल थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 96 पोर्टल पर अपलोड नहीं की जा रही है। माना जा रहा है कि गहराई से जांच करने पर इसमें एसीपी-डीसीपी स्तर तक के अधिकारी शामिल पाए जाएंगेे, ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि जांच की आड़ में मामले को रफादफा कर दिया जाएगा।

चालान के नाम पर वाहन चालकों से लूट कमाई करने का खेल पुलिस विभाग में संगठित ढंग से चल रहा है, यह साबित करने के लिए रतन सिंह का केस काफी है। क्योंकि रतन सिंह को जो मशीन चालान काटने के लिए दी गई थी सरकार उसका इस्तेमाल बंद कर चुकी है। सरकार द्वारा नई चालान मशीनें जारी कर पुरानी लौटाने का आदेश काफी समय पहले दिया जा चुका है। समझा जा सकता है बंद होने के बावजूद पुरानी मशीन क्यों अलॉट की जा रही थी। इस खेल की जानकारी डीसीपी ट्रैफिक से लेकर सीपी तक को न हो यह मुमकिन नहीं है, क्योंकि विभाग में होने वाले छोटे से लेकर बड़े काम इन अधिकारियों की जानकारी के बिना होते ही नहीं हैं।

ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार के पुलिस आयुक्त राकेश आर्य यदि भ्रष्टाचारी मातहतों को सबक सिखाने के लिए सच में गंभीर हैं तो इस एफआईआर की जांच केवल रतन सिंह और शिवेंद्र तक ही सीमित रखने के बजाय उन्हें सभी मशीनों की फोरेंसिक जांच कराने के आदेश देने चाहिए, ताकि सभी मशीनों में हुई छेड़छाड़ और गबन की गई कुल धनराशि की जानकारी हो सके। यदि वे ऐसा नहीं करते तो क्यों न माना जाए कि वे भी काली कमाई के खेल में शामिल हैं।

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Mazdoor Morcha
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