फरीदाबाद (म.मो.) थाना एनआईटी क्षेत्र में स्थित गांधी कॉलोनी निवासी करीब 40 वर्षीय सुशीला 9 फरवरी को प्रात: 6 बजे काम पर जा रही थी तो गली किनारे धरती पर रखा एक बिजली का उपकरण छू जाने से उसे करंट लगा और मौके पर ही मारी गई। मौके पर पहुंचे इस संवाददाता ने देखा कि उस उपकरण में जाने वाली बिजली की तारें नंगी थी जिनसे करंट लगना स्वाभाविक था।
मौका-ए-वारदात पर तुरंत पुलिस के बड़े अधिकारी तो पहुंच गये लेकिन सूचना देने व बुलाने के बावजूद भी कई घंटों तक बिजली विभाग का कोई कर्मचारी नहीं पहुंचा। शायद बिजली वाले भीड़ की पिटाई से डर के मारे वहां नहीं पहुंचे होंगे। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिये बीके अस्पताल पहुंचवाया तथा धारा 304 ए आईपीसी के तहत मुकदमा नम्बर 67 दर्ज कर लिया।
अब देखने वाली बात यह है कि बिजली विभाग के किसी अधिकारी को इस अपराध के लिये कैद होती है या नहीं? इस तरह के बीते अनेकों केसों का इतिहास बताता है कि कभी किसी का कुछ नहीं बिगड़ा। यदि इस तरह के मामलों में जिम्मेवारी तय करके सम्बन्धित अधिकारियों को कड़ी सजा दी गयी होती तो आज सुशीला न मारी जाती।