फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। पयार्वरण संरक्षण का ढिंढोरा पीटने वाली मोदी-खट़्टर सरकारें अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए दिल्ली एनसीआर का फेफड़ा कहे जाने वाले अरावली संरक्षित वन क्षेत्र से करीब छह सौ एकड़ रकबा बाहर निकालने में लगी हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित सेक्टर 21 सी, 44, 45 और 47 की करीब छह सौ एकड़ बेशकीमती जमीन पीएलपीए से निकालने के लिए खट्टर और मोदी सरकारों ने वन विभाग को आदेश दिए हैं। चहेतों को लाभ पहुंचाने में फांस यह है कि सरकार के पास बदले में वन विभाग को देने के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है। इसलिए फिलहाल सेक्टर 21 सी पार्ट थर्ड की 145 एकड़ बेशकीमती संरक्षित वन भूमि को पीएलपीए से बाहर निकालने की तैयारी चल रही है।
हूडा ने करीब तीन दशक पहले अरावली पहाडिय़ों के बीच सेक्टर 21, 44, 45, 47 स्कीम शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने काफी बड़े इलाके को पीएलपीए संरक्षित घोषित कर प्रोजेक्ट रोकने का आदेश जारी किया था। इन सेक्टरों में जिन लोगों को प्लॉट अलॉट किए गए थे उन सबको हूडा ने वैकल्पिक जगहों पर प्लॉट दे दिए थे। तब से इन सेक्टरों में हूडा की जमीन पीएलपीए संरक्षित वन के रूप में सुरक्षित थी।
हूडा की इस खाली पड़ी बेशकीमती जमीन पर भूमाफिया और प्रॉपर्टी डीलरों की नजर काफी पहले से है। इस जमीन को सरकार ही वन क्षेत्र से बाहर निकलवा सकती है यह बात जानने वाले भूमाफिया राजनेता से प्रॉपर्टी डीलर बने किशनपाल गूजर और खट्टर के कलेक्शन एजेंट अजय गौड़ की परिक्रमा करने में जुटे थे।
भाजपा के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार खट्टर के कलेक्शन एजेंट ने इस जमीन को मुक्त कराने के लिए करीब आठ महीने पहले ठेका लिया था। इसके तुरंत बाद ही खट्टर सरकार ने फरीदाबाद, गुडग़ांव में अरावली संरक्षित क्षेत्र का कुछ हिस्सा पीएलपीए मुक्त कराने संबंधी नोटिफिकेशन जारी किया था। सरकार ने हूडा सहित संबंधित विभागों से इस संबंध में रिपोर्ट भी तलब की थी।
सत्ता-भूमाफिया गठजोड़ के असर में हूडा अधिकारियों ने उसी समय रिपोर्ट बना कर सरकार को भेज दी थी। इसके तहत सेक्टर 21 सी पार्ट थर्ड में करीब 145 एकड़, 44 व 47 में 457 एकड़ और सेक्टर 45 में 14.5 एकड़ यानी कुल छह सौ एकड़ जमीन मुक्त कराने का प्रपोजल बना कर भेज दिया।
यदि ये जमीन मुक्त हो गई तो 21 सी पार्ट थर्ड में 166 प्लॉट व सेक्टर 45 में 110 प्लॉट निकलेंगे। इसी तरह सेक्टर 44 व 47 मेंं करीब पांच सौ प्लॉट निकल सकते हैं। यानी इस बेशकीमती जमीन के प्लॉटों की खरीद फरोख्त में करोड़ों रुपये बन सकते हैं। खट्टर सरकार ने इस प्रपोजल को केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय से अनुमति दिलाने के लिए यह रिपोर्ट तुरंत मोदी सरकार को भेज दी थी। जिला वन अधिकारी राजकुमार के अनुसार वन संरक्षण अधिनियम की धारा दो के तहत सरकार यदि किसी वन क्षेत्र को मुक्त कराना चाहती है तो मुक्त कराए जाने वाले रकबे का दोग़ुना रकबा वन विभाग को देना होता है। यानी छह सौ एकड़ के बदले बारह सौ एकड़ जमीन वन विभाग को सौंपनी होगी। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार हूडा के पास जोड़-घटाव और खींचतान करके करीब 290 एकड़ जमीन ही बची हुई है। यह जमीन धौज, अनखीर व अन्य जगहों की मिलाकर हो रही है।
खट्टर का कलेक्शन एजेंट अब हूडा की बची खुची जमीन भी वन विभाग को दिलवा कर भूमाफिया को फायदा पहुुंचवाने के लिए तगड़ी पैरवी कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि हूडा अधिकारी अपनी बची हुई करीब 290 एकड़ जमीन वन विभाग को सौंप कर सेक्टर 21सी पार्ट थर्ड की 145 एकड़ और सेक्टर 45 की 14.5 एकड़ जमीन संरक्षित वन क्षेत्र से मुक्त किए जाने का प्रपोजल तैयार कर रहे हैं। भू माफिया चुनाव से पहले ही यह काम कराए जाने का दबाव सरकार पर बना रहे हैं इसके लिए कलेक्शन एजेंट के जरिए मोटा चढ़ावा भी चढ़ाया गया है।