भाटिया सेवक समाज ट्रस्ट : संपत्ति के बंटवारे के दावेदारों में सिर फुटव्वल के आसार

भाटिया सेवक समाज ट्रस्ट : संपत्ति के बंटवारे के दावेदारों में सिर फुटव्वल के आसार
December 25 17:34 2023

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। भाटिया सेवक समाज ट्रस्ट मोटी कमाई और अचल संपत्ति पर दावेदारी के विवाद में फंसता जा रहा है। एक ओर ट्रस्ट अध्यक्ष मोहन सिंह भाटिया और उनका परिवार है तो दूसरी ओर कानपुर से आए खुद को ऑल इंडिया बन्नू बिरादरी का महासचिव बताने वाले राजेश भाटिया हैं। राजेश भाटिया का आरोप है कि मोहन सिंह ट्रस्ट की संपत्ति को पैत्रक संपत्ति की तरह इस्तेमाल कर घोटाले कर रहे हैं, इधर मोहन सिंह भाटिया राजेश भाटिया पर ब्लैकमेलिंग और समाज विरोधी काम करने का आरोप लगाते हैं। जानकारों के अनुसार राजेश भाटिया किसी तरह ट्रस्ट में शामिल होना चाह रहे हैं इसलिए वो राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर ट्रस्ट के कार्यों में अड़ंगे डाल रहे हैं।

एनएच दो डी ब्लॉक में भाटिया सेवक समाज ट्रस्ट द्वारा बनाए जा रहे छह मंजिला अस्पताल की इमारत और जमीन विवाद का कारण बनी हुई है। राजेश भाटिया के अनुसार 1983 में तत्कालीन नगर निगम अधिकारियों ने भाटिया समाज को एनएच दो में 2500 गज जमीन लीज पर दी थी। लीज एग्रीमेंट में न तो यह बताया गया कि लीज अवधि क्या है, किस कार्य के लिए है, न ही रेंट की जानकारी दी गई। इस जमीन पर भाटिया सेवक समाज का एक स्कूल चल रहा था। साथ ही करीब पच्चीस साल से राजस्थान में पंजीकृत समाजसेवी संस्था की ओर से इसमें तारा नेत्रालय के नाम से आंख का अस्पताल चलाया जा रहा था। आरोप है कि आंख के अस्पताल की कमाई देख कर ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहन सिंह भाटिया ने उसे हटा दिया और अपना डॉक्टर बैठा दिया। अब इस जगह को अस्पताल बनाने के लिए स्कूल की इमारत भी तोड़ दी गई और यहां छह मंजिला अस्पताल बन रहा है जिसमें गंभीर अनियमितताएं बरती गई हैं।

राजेश भाटिया का आरोप है कि अस्पताल बनाने के लिए खनन विभाग ने केवल आठ फीट तक खुदाई करने की अनुमति दी थी और खुदाई दो गुने से ज्यादा 17 फीट तक की गई। उनकी शिकायत पर खनन विभाग ने छापा मार कर खुदाई बंद करवाई थी। घोटाले का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि खनन का ठेका मोहन सिंह के बेटे को दिया गया, मिट्टी ढुलाई और बेचने का ठेका मोहन सिंह के भाई को दिया गया। निर्माण सामग्री की खरीदारी मोहन सिंह ने पौत्र के यहां से की। यानी खनन से लेकर निर्माण तक सारी कमाई और मुनाफा मोहन सिंह भाटिया के परिवार में बंट गया। तोड़ी गई स्कूल की इमारत का मलबा बेचने से हुई कमाई का भी हिसाब नहीं दिया गया है।

राजेश भाटिया का दावा है कि लीज की जमीन पर छह मंजिला अस्पताल नहीं बन सकता, इस पर अधिकतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही बन सकता है, यह इमारत अवैध रूप से बनाई जा रही है। आरोप लगाया कि ट्रस्ट की प्रॉपर्टी को पारिवारिक संपत्ति की तरह इस्तेमाल कर रहे मोहन सिंह भाटिया ने ट्रस्ट का हिसाब मांगने और विरोध करने पर बाईलॉज का उल्लंघन करते हुए सदस्य अशोक कुमार भाटिया, दिलबाग भाटिया, अनिल भाटिया (इनेलो), विनोद भाटिया, संजय भाटिया, जय भाटिया, दीपक भाटिया और हरीश भाटिया ( बरेली वाले) को बाहर कर दिया। न्यायालय के आदेश पर इनमें से राजेश भाटिया, अनिल भाटिया और हरीश भाटिया की सदस्यता बहाल हो गई है। उनका दावा है कि जल्द ही अन्य की सदस्यता भी बहाल कराई जाएगी। सच्चाई उजागर करने के कारण ही मोहन सिंह परिवार उनको धमकियां दे रहा है लेकिन समाज के सामने ट्रस्ट का लेखा-जोखा नहीं पेश करता।
ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहन सिंह भाटिया राजेश भाटिया पर ब्लैकमेलिंग और उगाही करने का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि ट्रस्ट का सारा काम एकदम साफ है। तारा नेत्रालय से हमारा सात साल का अनुबंध था, इसके तहत हमने उन्हें जन सेवार्थ आंख का अस्पताल चलाने के लिए मुफ्त में जमीन दी थी। अनुबंध समाप्त होने के बाद तारा नेत्रालय एनएच तीन में नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो गया। यहां मरीजों की संख्या देखते हुए छह मंजिला अस्पताल बनाने का निर्णय सर्व सम्मति से लिया गया है। यहां वर्तमान में भी आंख, दांत, स्त्री एवं प्रसूति विशेषज्ञ, फिजीशन रोजाना मरीज देख रहे हैं।

इसके अलावा फिजियो थेरेपी, सोनोग्राफी आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं जल्द ही डायलिसिस की सुविधा भी दी जाएगी। बताया कि कॉर्निया की जांच और इलाज के लिए दो करोड़ रुपये की मशीन भी लगाई जा रही है, ये मशीन एम्स दिल्ली में ही है। इसके लग जाने से बहुत ही कम कीमत पर लोगों को यह सुविधा उपलब्ध होगी। इससे समाज के सभी वर्ग के लोगों को फायदा होगा।

उनके अनुसार राजेश भाटिया समाजसेवा के अनमोल कार्य में रोड़ा डाल समाज का नुकसान कर रहा है। उन्होंने राजेश भाटिया के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ट्रस्ट के लेनदेन, आमद खर्च सबका रिकॉर्ड रखा जाता है जो ट्रस्ट की बैठकों में प्रस्तुत किया जाता है। राजेश भाटिया जब सदस्य ही नहीं है तो उसे न तो ट्रस्ट की बैठकों में बुलाया जा सकता है और न ही वह रिकॉर्ड देखने का अधिकार रखता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि ट्रस्ट पर कब्जेदारी की लड़ाई में समाज का नुकसान हो सकता है, विवाद बढ़ऩे पर सरकार लीज समाप्त कर जमीन वापस भी ले सकती है।

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Mazdoor Morcha
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