भाजपाइयों के भाषण में स्पष्ट नजर आई हार की बौखलाहट- हुड्डा

भाजपाइयों के भाषण में स्पष्ट नजर आई हार की बौखलाहट- हुड्डा
November 07 14:52 2022

करनाल। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की टिप्पणियों का जवाब दिया है। हुड्डा ने कहा कि आदमपुर रैली के मंच से भाजपा नेताओं में हार की निराशा स्पष्ट नजर आई। भाजपाई रैली से स्पष्ट हो गया कि सरकार के पास आदमपुर में गिनवाने लायक एक भी काम नहीं है। सरकार ने मान लिया कि उसने 8 साल में आदमपुर की घोर अनदेखी की और विकास में भेदभाव किया।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अपने भाषणों में भाजपा नेता खुद मान रहे हैं कि बीजेपी के पास बस 2 साल का कार्यकाल बाकी है। इसलिए वह 2 साल की सरकार का हवाला देकर लोगों से वोट मांग रहे हैं। यानी खुद भाजपाई मान रहे हैं कि वो 2 साल बाद सत्ता से बाहर हो रहे हैं और भविष्य में कांग्रेस सरकार बनने जा रही है। इसलिए आदमपुर से बीजेपी की विदाई की शुरुआत होगी। यहां की जनता आने वाली सरकार में अभी से भागीदारी करेगी। मैंने आदमपुर का हाथ कस के पकड़ लिया है, इसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ूंगा। इसबार आदमपुर की जनता एक वोट से दो विधायक बनाने का काम करेगी- एक जयप्रकाश और दूसरा भूपेंद्र सिंह हुड्डा।

हुड्डा ने कहा कि लगातार कांग्रेस का कुनबा मजबूत होता जा रहा है। आदमपुर से बीजेपी के लगभग तमाम बड़े नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। लेकिन मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि कांग्रेस कमजोर है। हुड्डा ने पूछा कि अगर कांग्रेस कमजोर है तो सत्ता पक्ष को छोडक़र बीजेपी के दर्जनभर पूर्व विधायक कांग्रेस में क्यों शामिल हुए? मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि पिछले चंद महीने में प्रदेशभर से सैंकड़ों भाजपा नेता व कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।

मुख्यमंत्री द्वारा 3सी और 5एस वाले दावे पर बोलते हुए हुड्डा ने कहा कि खुद सरकारी आंकड़े बताते है कि बीजेपी सरकार के 8 साल में क्राइम, कास्ट और करप्शन में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी हुई है। इसी तरह यह सरकार बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, नशा, अपराध और महंगाई को बढ़ाने के 5 सूत्रीय एजेंडा पर आगे बढ़ रही है।

इस सरकार ने अपने कार्यकाल में हर वर्ग को प्रताडि़त करने का काम किया। आदमपुर समेत पूरे हरियाणा को याद है कि मौजूदा सरकार ने एमएसपी मांग रहे किसानों पर लाठियां बरसाई, रोजगार मांग रहे युवाओं पर वाटर कैनन छोड़ी, पेंशन मांग रहे बुजुर्गों को थाने में बैठाया, टीचर मांग रहे बच्चों को खून के आंसू रुलाया, कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के लिए तरसाया और आढ़ती-व्यापारियों को बार-बार हड़ताल करने के लिए मजबूर किया। इसलिए हर तबका वोट के जरिए बीजेपी को सबक सिखाना चाहता है।

नेता प्रतिपक्ष ने आगे पूछा कि अगर बीजेपी दलित और पिछड़ों की शुभचिंतक है तो उसने उन 5000 सरकारी स्कूलों को क्यों बंद किया, जहां पर गरीब, किसान, दलित और पिछड़ों के बच्चे सबसे ज्यादा पढ़ते हैं? बीजेपी सरकार ने गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों का वजीफा क्यों बंद किया? क्यों इस सरकार ने इन वर्गों के लाखों बेसहारा बुजुर्गों की पेंशन खत्म कर दी? क्यों सरकारी नौकरियां खत्म कर कौशल निगम शुरू किया गया? कौशल निगम की नौकरियों में दलित और पिछड़ों को आरक्षण क्यों नहीं दिया गया?

क्यों सरकार ने सत्ता में आते ही कांग्रेस की चलाई गई 100-100 गज के प्लॉट आवंटन की योजना को बंद किया? इस सरकार ने पिछड़ा वर्ग से आरक्षण छीनने के लिए क्रीमी लेयर की लिमिट को 8 से घटाकर 6 लाख क्यों किया?

आखिर बीजेपी जातीय जनगणना से क्यों भाग रही है, जबकि कांग्रेस इसका समर्थन करती है। जाहिर है सरकार के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है इसलिए उसके नेता बेबुनियाद और हवा-हवाई बातों के सहारे जनता को बरगलाना चाहते हैं। लेकिन जनता बीजेपी को वोट की चोट से सबक सिखाने का काम करेगी।

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Mazdoor Morcha
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