मज़दूर मोर्चा ब्यूरो 25 जून को जब लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को बारी-बारी से शपथ दिलाने की कवायद चल रही थी तो बरेली से निर्वाचित भाजपाई सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार ने भी शपथग्रहण की। शपथग्रहण करते ही उन्होंने ‘जय हिन्दू राष्ट्र’ का नारा बुलंद किया। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप सदन में हंगामा मच गया। जाहिर है हंगामा करने वाले भाजपाई तो नहीं हो सकते थे। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इस पर न तो संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने कोई आपत्ति दर्ज की और न ही कोई और मंत्री कुछ बोला।
इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि जिस संविधान की शपथ गंगवार ने खाई थी उसी के विरुद्ध उन्होंने नारा भी लगा दिया। सर्वविदित है कि संविधान में हिन्दू-राष्ट्र की कोई जगह नहीं है। एक ओर तो वे संविधान को अक्षुण्ण रखने की शपथ खा रहे थे और उसी सांस में उसकी धजिज्यां भी उड़ा रहे थे। भारत को हिन्दू-राष्ट्र बनाने का, संघी एवं भाजपाई एजेंडा किसी से छिपा भी नहीं है। उनके इस एजेंडे के सामने रुकावट बने संविधान को हटाने के लिये भाजपा भीतरी तौर पर दृढ़-संकल्प है। यदि कहीं इनका 400 पार का नारा सफल हो जाता तो ये लोग हिन्दू राष्ट्र के मार्ग में बाधा बने संविधान को ही कूड़े में डाल देते।
सत्तारूढ़ दल की इसी मनोदशा को भांपते हुए इंडिया गठबंधन ने समय रहते भारतीय जनता को इससे आगाह कर दिया था। सौभाग्य से जनता के बड़े हिस्से ने इस हकीकत को समझ भी लिया और भाजपा को 240 से आगे नहीं बढऩे दिया। वास्तव में जनता ने तो इन्हें 140 पर ही रोक दिया था, यह तो चुनाव आयोग की मेहरबानी हो गई जो भाजपा 240 तक पहुंच गई। अखंड भारत की बात करने वाले ये भाजपाई जब हिन्दू राष्ट्र का नारा लगाते हैं तो खालिस्तान जिन्दाबाद अथवा ऐसे ही अन्य राष्ट्र विरोधी नारों को कैसे रोक पाएंगे? जिस रिजिजू को हिन्दू-राष्ट्र के नारे से कोई तकलीफ नहीं हुई उन्हें पप्पू यादव के बिहारी नारे पर जब एतराज हुआ तो पप्पू यादव ने भी उन्हें पलट कर जवाब दिया कि आपसे ज्यादा छठा बार सांसद बना हूं आप हमको सिखाइएगा, और आप कृपा पर जीते हैं मैं अकेला लड़ता हूं, ये सुनकर वे अपना सा मुंह लेकर रह गये।