पवन कुमार बंसल अब अमित शाह और मनोहर लाल सारा दोष जलेबियों को दे रहे हैं। कह रहे हैं कि लाला मातु राम के बच्चों ने जलेबियां सही नहीं बनाई इसलिए उनका स्वाद नमकीन हो गया। भाई अपन भी रैली में गए थे और डाईबेटिक होने के बावजूद जलेबी का स्वाद लिया था और काफी मजा आया। यह अलग बात है की गोहाना में लाला मातु राम के नाम से दर्जनों दूकान खुल गयी है।
अमित शाह और मनोहर लाल तो जलेबियों को नमकीन बता वही बात कर रहे है की नाच न जाने आँगन टेड़ा। वैसे अमित शाह खुद डायबिटीज के मरीज है। मनोहर लाल को उनका कार्यक्रम गोहाना में रखना ही नहीं था क्योंकि शाह आते तो उनका मन जलेबी खाने को मचल जाता। फिर उनका शुगर लेवल शॉट कर जाता। इसलिए नहीं आये तो ठीक किया। आते तो पता चल जाता कि जिस मनोहर लाल को वो अब तक का सबसे बेहतरीन चीफ मिनिस्टर बता रहे थे उसकी लोगो में लोकप्रियता कितनी है। यह तो ठीक है की उस दिन बारिश हो रही थी और सरपंचों ,आम आदमी पार्टी और नवीन जयहिंद ने रैली में विरोध दर्ज करने की धमकी दी थी।लेकिन हिंदुस्तान के शहंशाह की शान में यह तो बहुत गुस्ताखी है की मनोहर लाल पांच हज़ार लोग भी इकठे नहीं कर सके जबकि रैली में सोनीपत सहित चार जिलों के पार्टी कार्यकर्ताओं का बुलाया गया था। अमित शाह कह रहे हैं कि उनके पार्टी के हरियाणा में लाखों सदस्य हैं। आम जनता की बात छोड़ भी दे यदि पार्टी के कार्यकर्ता ही आ जाते तो पंडाल भर जाता।
रैली के प्रति लोगों के अनदेखी साबित करती है की लोगों में सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ कितना रोष है। लोगों को काशी ,मथुरा और राम मंदिर से ज्यादा लेना -देना नहीं है। भूखे भजन नहीं होय गोपाला। पहले पेट भरना जरूरी है। गोहाना में मंच से गाया जा रहा था जो राम को लाये है हम उनको लाएंगे। राम को लाने की क्या ठेकेदारी भाजपा के पास है।? राममंदिर बनने से पहले राम तो लोगों के दिल में विराजमान है। राम को वोट का जरिया तो न बनाओ।
गोहाना के बजाये रैली रोहतक या बहादुरगढ़ रखते जहा सोम के नमकीन समोसे और बहादुरगढ़ के महशूर पकोड़े खाकर अमित शाह की शुगर भी ठीक हो जाती। और फिर मौसम खराब होने के बाद भी वे कार से आ सकते थे। खैर मौसम को तो खामख्वाह बदनाम कर रहे है ,अपनी नाकामियां छिपाने के लिए।
मौसम तो हमेशा आशिकाना होता है। अमित शाह को इंटेलिजन्स ब्यूरो के अफसरों ने बता दिया होगा की हरियाणा में उनके मनोहर कितने लोकप्रिय है। जब जनता नेता को दिल से चाहती है तो उसे सुनने आने के लिए बारिश, आंधी और तूफान की परवाह नहीं करती। न्याय युद्ध आंदोलन में देवीलाल को सुनने लोग कई घंटे का इंतजार करते थे। कई बार तो रात भी हो जाती थी। मनोहर जी अभी वक्त है अफसरों की चांडाल चौकड़ी के दायरे से बाहर निकलो और जनता से प्यार की पींग डालो।
दुमछल्ला। नसीब अपना-अपना। डायबटिक होने के बावजूद अपन को तो जलेबी के स्वाद का नशा अभी तक है और अमित शाह और मनोहर का मुँह कड़वा हो गया। सभा स्थल में ड्यूटी पर तैनात हमारी बहनों पुलिस कर्मियों को पेशाब करने की बड़ी समस्या आ रही थी। वहा कोई अस्थायी शौचालय नहीं बनाया गया था। दिल्ली से रैली कवर करने गए पत्रकारों को तीन नाके पर तलाशी ली गई मानो टेररिस्ट हों। हालांकि उन्हें लोकसंपर्क महकमे ने पास दिए थे। उनके गले में उनकी नवीनतम फोटो लगे पट्टा भी टंगा था। तलाशी भी ऐसी जैसे के तलाशी लेने वाले पुलिस अफसर मालिश कर रहा हो। धनखड़ और मनोहर फुले नहीं समा रहे होंगे। बिल्ली को देख कबूतर आंख बंद कर ले तो बिल्ली का कोई कसूर नहीं होता।
स्टेट विजिलेंस ब्यूरो का नाम बदल कर हुआ स्टेट एंटी करप्शन ब्यूरो नाम बदलने से कुछ फर्क नहीं पड़ता – कमला हो या निर्मला एक ही बात है। बात तो अधिकार और स्टाफ देने की है। मनोहर लाल ने एलान किया की अब विजिलेंस ब्यूरो का नाम बदल दिया है। नाम बदलने से खास फर्क नहीं पड़ता। गुडगाँव को गुरुग्राम बनाने से क्या फर्क पड़ा? क्या स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं में कोई सुधार आया है। ?
मनोहर जी यदि आप करप्शन पर जीरो टॉलरेंस के प्रति असल में गंभीर है तो ब्यूरो द्वारा जांच के बाद मुकदमा चलाने की अनुमति देने के मामले में तेजी दिखाओ। वैसे तो झट मंगनी पट ब्याह वाली बात के अनुसार ज्योंही विजिलेंस मुकदमा चलाने की अनुमति मांगे उसी दिन अनुमति दे देनी चाहिए। आप को पता होगा की कितने मामले में अभी अनुमति देनी है। स्टाफ की कमी ब्यूरो में स्टाफ की कमी है। गुरुग्राम जहा करप्शन के गंभीर मामले की जांच चल रही है में अब केवल एस पी रैंक का अफसर है। पहले एस टी एफ के सतीश बालन के पास अतिरिक्त चार्ज था लेकिन अब वो भी सोनीपत के पुलिस कमिश्नर बन गए है।