फरीदाबाद (म.मो.) एनएच तीन स्थित ईएसआई मेडिकल कॉलेज को चालू हुए अभी मात्र सात वर्ष ही हुए हैं। दूरदर्शिता के आभाव में यहां अभी से स्थाना-भाव भारी पडऩे लगा है। केवल 100 छात्रों के लिये बने इस मेडिकल कॉलेज में अब 150 छात्रों को एमबीबीएस में दाखिला दिया जा रहा है। इसके साथ-साथ 49 छात्र पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में भी दाखिला ले चुके हैं। जाहिर है छात्रों की इस बढती संख्या के लिये छात्रावास तो कम पडऩा ही था।
इस समस्या का हल निकालने के लिये मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सूरजकुंड रोड स्थित एनएचपीसी व एक अन्य कम्पलेक्स में 125 छात्रों के रहने की व्यवस्था की है। इसके लिये कॉलेज प्रशासन करीब 13 लाख रुपये मासिक किराया अदा करेगा। छात्रों को लाने-ले जाने के लिये दो बसों को भी भाड़े पर लिया गया है। इस पर भी कॉलेज का करीब सवा लाख मासिक खर्च आयेगा।
जीएसटी आदि मिला कर तकरीबन 15 लाख रुपये मासिक का यह खर्च बैठेगा। साल भर में यह खर्च डेढ से पौने दो करोड़ तक कुछ भी बैठ सकता है और न जाने कितने साल तक यह खर्च बैठता रहेगा। इतना ही नहीं आने-जाने में छात्रों का जो कीमती समय बर्बाद होगा वह अलग से।
यदि शासन-प्रशासन में बैठे लोगों की जनता व अक्ल से दुश्मनी न होती तो यह सारा खर्चा बचाया जा सकता था। मेडिकल कॉलेज में अभी भी करीब आठ एकड़ ज़मीन खाली पड़ी है और ईएसआई कार्पोरेशन के बाद पैसे की कोई कमी नहीं है।
यदि कॉलेज में सीटें बढ़ाने का निर्णय लेने के साथ-साथ छात्रावास व अन्य आवश्यक इमारतें बनाने का निर्णय भी ले लिया गया होता तो मज़दूरों की मेहनत का पैसा इस तरह से किराये-भाड़ों में न फूंकना पड़ता। अभी भी भरोसा नहीं कि कार्पोरेशन के प्रशासकों को यह बात कब तक समझ में आ पायेगी और कब तक मज़दूरों का पैसा इस तरह से बर्बाद किया जाता रहेगा?