बेटी से छेड़छाड़ करने को रोका तो कर दी हत्या

बेटी से छेड़छाड़ करने को रोका तो कर दी हत्या
October 30 11:43 2023

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) दिनांक 24 अक्टूबर की रात को सेक्टर 86 की प्रिंसेस पार्क सोसायटी के निवासी अपनी सोसायटी में ही एक धार्मिक आयोजन के दौरान डांडिया नृत्य कर रहे थे। इसी दौरान सोसायटी में ही किराये पर नये-नये आकर बसे लक्की व संदीप खटाना एडवोकेट अपने एक अन्य दोस्त के साथ पूजा पंडाल में आ घुसे। आते ही इन्होंने एक परिवार की महिलाओं से छेडख़ानी शुरू की, लेकिन उनके कड़े विरोध के कारण पीछे हट कर ये तीनों लफंटर प्रेम मेहता परिवार की ओर लपके। इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढऩे वाली मेहता की बेटी कनिका को पकड़ कर खींचा, उसका मोबाइल नम्बर मांगते हुए अपने साथ नाचने को कहा। बेटी के साथ होती अभद्रता को देख कर मां ज्योति ने विरोध किया तो इन गुंडों ने उन्हें भी धमका दिया। वहीं मौजूद कनिका का छोटे भाई विरोध करने आया तो उसकी भी न केवल अच्छी-खासी पिटाई कर दी बल्कि उसके कपड़े भी फाड़ दिये। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप जब कनिका के पिता इन गुंडों को समझाने आये तो बेखौ$फ गुंडों ने उनके साथ भी हाथापाई करते हुए ऐसा धक्का मारा कि उनकी मृत्यु हो गई।

सुधी पाठक समझ चुके होंगे कि यह वारदात किसी सुनसान जगह पर न होकर सोसायटी के उस पंडाल में हुई जहां उस वक्त सैंकड़ों परिवार मौजूद थे। किसी ने भी इन गुंडों को रोकने एवं उनसे निपटने की जरूरत नहीं समझी। इस भीड़ के बीच में प्रेम मेहता की हत्या होना तो दुखदायी है ही लेकिन इससे भी बड़ा दुखदायी सोसायटी निवासियों का उदासीन होना है। यदि सोसायटी के लोग एकजुट होते तो तीन गुंडों की क्या मजाल जो पहले एक परिवार की महिला और फिर मेहता परिवार की महिला पर हाथ डाल पाते? सोसायटी निवासियों की यह उदासीनता न केवल शर्मनाक है बल्कि बहुत ही खतरनाक भी है। गुंडों द्वारा इस तरह की छेड़छाड़ अब बहुत आम बात हो चुकी है। यदि प्रेम मेहता की मौत न हुई होती तो इस वारदात का किसी को पता भी न चलता। पुलिस एवं प्रशासन का यही लचर रवैया गुंडों को इस तरह की हरकतें करने के लिये प्रेरित करता है।

गुंडों की इस बेखौ$फ गुंडागर्दी के पीछे एक और बड़ा कारण आरडब्लूए के प्रधान छाबडिय़ा व महासचिव चहल के साथ इनके मधुर संबंधों को भी समझा जाता है। छाबडिय़ा को केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर का निकट सम्बन्धी बताया जाता है। इस नाते संदीप खटाना व छाबडिय़ा बिरादरी भाई तो हो ही गये, फिर डर काहे का? यही रिश्ता उनके घटनास्थल से फरार हो जाने व पुलिस की ढिलाई के रूप में सामने आया। सोसायटी वासियों के हौसले देख कर तो नहीं लगता है कि कोई गवाही देने को भी तैयार होगा। प्रेम मेहता भी इसी समाज के अंग थे। ये लोग अपने सामने एक-एक कर दूसरों को मरता तो देख सकते हैं लेकिन एकजुट होकर गलत का विरोध नहीं कर सकते।

रात के करीब एक बजे हुई इस वारदात की एफआईआर थाना खेड़ी पुलिस द्वारा सुबह करीब छ: बजे दर्ज की गई। इसमें केवल गैर इरादतन हत्या की धारा 304 लगाई गई। पुलिस ने कनिका की मां, भाई व खुद उसके साथ हुई वारदात से सम्बन्धित कोई धारा लगाने की जरूरत नहीं समझी। जाहिर है कि इससे अपराधियों को फरार होने के लिये पर्याप्त समय मिल गया जो खबर लिखे जाने तक गिरफ्तार नहीं किये जा सके।

मिली जानकारी के अनुसार मेहता परिवार के साथ थाने गये अन्य पीडि़त ने पुलिस को उनके परिवार के साथ उन्हीं गुंडों द्वारा की गई हरकतों की भी जानकारी दी थी जिसे पुलिस ने न केवल अनसुना कर दिया बल्कि उस पीडि़त को अकेले में ले जा कर कुछ समझा भी दिया। यहीं से अपराधियों के प्रति पुलिस की नीयत को समझा जा सकता है।

दरअसल पुलिस एवं प्रशासन स्वत: कभी भी नाकारा नहीं होता। इसे राजनेताओं एवं उनके चापलूस उच्चाधिकारियों द्वारा नाकारा बना दिया जाता है। ऐसी ही कुछ गंध इस केस में भी महसूस की जा रही है। सर्वविदित है कि नहर पार यानी कि ग्रेटर $फरीदाबाद के पूरे इलाके पर केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर का वर्चस्व छाया है।

पुलिस हो या कोई अन्य महकमा, सब उन्हीं के इशारों पर भरतनाट्यम करते हैं। लगभग तमाम सोसायटियों पर गूजर सेना का नियंत्रण बना हुआ है। उनके सामने वहां रहने वाले नागरिकों की कोई हैसियत नहीं समझी जाती। लगभग तमाम सोसायटियों में इन्हीं के गुंडे बतौर सिक्योरिटी गार्ड तैनात हैं। इसके एवज में सोयायटी वासियों से ही इस या उस नाम पर वसूली की जाती है। जरा भी मुंह खोलने वालों का ‘इलाज’ ये लोग तुरन्त कर देते हैं। पीडि़तों की कोई सुनवाई कहीं होती नहीं यदि यही हाल चलता रहा तो यह पूरा क्षेत्र अपराधगढ़ बनकर रह जायेगा। अपहरण व फिरौतियों का बड़ा धंधा यहां चल निकलेगा।

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Mazdoor Morcha
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