फरीदाबाद (म.मो.) एनएच तीन स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दिनांक 14 जनवरी को जनमी बच्ची की जान खतरे में है। पिता संदीप व मां मेनका ने अस्पताल पर आरोप लगाया है कि उसके पैदा तो बेटा हुआ था लेकिन अस्पताल वालों ने उसे किसी से बदल कर बेटी बना दिया है। पिता ने डीएनए जांच की मांग करते हुए बच्ची को स्वीकार करने से मना कर दिया है। इसी चक्कर में वह जच्चा-बच्चा यानी मां-बेटी को अस्पताल से घर नहीं ले जा रहा है जबकि अस्पताल बीते कई दिन से प्रसूता को डिस्चार्ज करने का प्रयास कर रहा है।
पिता का कहना है कि उसे इस बात का पूरा भरोसा दिलाया गया था कि उसके यहां लडक़ा ही पैदा होगा। बेशक वह सच्चाई नहीं बता रहा है लेकिन समझा जा सकता है कि उसने संभवत: भू्रण जांच करायी होगी। और चोरी-छिपे भ्रूण जांच का धंधा करने वाले किसी डॉक्टर ने उसे यह बता दिया होगा कि गर्भस्थ शिशु बेटा ही है। बस उसी भरोसे एवं विश्वास पर यह दिग्भ्रमित पिता इतने दिनों से अटका खड़ा है।
अस्पताल द्वारा बार-बार प्रसूता को घर जाने के लिये कहे जाने के बावजूद पिता उसे घर इसलिये नहीं ले जा रहा कि ऐसा करने से उसका केस कमजोर हो जायेगा। लगता है उस जैसे ही किसी सयाने वकील ने उसे पढ़ा रखा है कि अस्पताल वाले या तो उसे बेटी के बदले बेटा ही देंगे अथवा अच्छा-खासा मुआवजा देंगे। अपने केस को मजबूत करने के लिये पिता ने पुलिस में भी इस बावत शिकायत दी है।
नियमानुसार, यदि पुलिस मामले को संज्ञान लेने लायक समझती तो आगे कार्रवाई करते हुए अदालत से डीएनए जांच का आदेश पारित करवाती। लेकिन ऐसा कुछ न पाकर पुलिस द्वारा दरखास्त को दाखिल दफ्तर कर दिया गया है। पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि बच्ची के पैदा होते ही उसे तुरन्त पिता को सौंप दिया गया था जिसका सीसीटीवी फुटेज अस्पताल में मौजूद है। बच्ची के पैदा होने के आधा घंटा आगे-पीछे कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ था।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार संदीप तीन बेटियों व एक बेटे का पिता पहले से ही है, ऐसे में वह एक और बेटी को नहीं ‘झेलना’ चाहेगा। परिस्थिति को देखते हुए समझा जा सकता है कि बच्ची का इस घर में रहना सुरक्षित नहीं है। खबर लिखे जाने तक प्रसूता अस्पताल में ही रह रही है। डॉक्टरों के बार-बार कहने के बावजूद भी वह डिस्चार्ज नहीं हो रही है। डॉक्टरों ने उसे समझाया कि अस्पताल में बच्ची को संक्रमण हो सकता है, तो मां ने कहा घर जाते ही तो इसकी मौत हो जायेगी।