बेरोजगारी, गरीबी और असमानता पर भडक़े संघ के दत्तात्रेय होसबाले भी, मोदी सरकार को दी समय रहते चेत जाने की नसीहत

बेरोजगारी, गरीबी और असमानता पर भडक़े संघ के दत्तात्रेय होसबाले भी, मोदी सरकार  को दी समय रहते चेत जाने की नसीहत
October 08 14:52 2022

देश में मोदी के अंधभक्तों या फिर भगवा समर्थकों को युवाओं में फैली बेरोजगारी पर बात करना अच्छा नहीं लगता, लेकिन सच्चाई यह है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान देश में बेरोजगारी चरम पर है। अब तो विपक्षी दलों के साथ आरएसएस के नेता भी इस बात को खुलकर स्वीकार करने लगे हैं। आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने दो दिन पहले देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। इस पर समय रहते चेत जाने की जरूरत है।

बेरोजगारी, गरीबी असमानता सबसे बड़ी समस्या
दत्तात्रेय होसबोले ने स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा कि हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि भारत में 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करते हैं। 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपए से भी कम कमा रहे हैं। गरीबी हमारे सामने एक राक्षस-जैसी चुनौती है। बेरोजगारी के इस दानव को काबू करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के साथ गरीबी और असमानता से पार पाना की भी आवश्यकता है।

मोदी राज में चार करोड़ लोग बेरोजगार
आरएसएस नेता होसबोले के मुताबिक देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 2.2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं। श्रम बल सर्वेक्षण में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत आंकी गई है। हमें रोजगार पैदा करने के लिए न केवल राष्ट्रीय और स्थानीय दोनों स्तरों पर योजनाओं पर अमल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि श्रम बल सर्वेक्षण में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत है। इसके अलावा उन्होंने नौकरियों को लेकर मानसिकता बदलने पर भी जोर दिया है। केवल ह्वाइट कॉलर वाली नौकरियां ही सम्मानजनक हैं। किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। क्या केवल अधिकारी और उद्यमी बनना संभव है। अगर लोग सोच के स्तर नजरिया बदल लें तो लोग मेहनती कामों में भी रुचि लेंगे।

उन्होंने कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कौशल विकास क्षेत्र में और अधिक पहल करने का भी सुझाव दिया। कौशल प्रशिक्षण की जरूरत सिर्फ शहरी लोगों को नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों के कौशल प्रशिक्षण पर जोर देने की जरूरत है।

सरकार को आर्थिक नीतियों पर दी नसीहत
दत्त़ात्रेय होसबोले ने सरकार पर अपनी आर्थिक नीतियों पर पुनर्विचार की नसीहत देते हुए कहा कि घरेलू उत्पादन बढ़ाने और स्थानीय व्यापार और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आयात में कटौती करें। उन्होंने कहा कि एक समय था जब हम अपनी खाद्य आवश्यकताओं के लिए दूसरे देशों पर निर्भर थे। आज हम उस स्थिति में नहीं हैं। लोगों के बीच आय की असमानता को लेकर होसबाले ने सवाल किया कि क्या यह अच्छा है कि शीर्ष छह अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद देश की आधी आबादी को कुल आय का केवल 13 प्रतिशत ही मिलता है।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles