बेदाग नहीं था सुखदेव सिंह गोगामेड़ी, लूट, हत्या, अपहरण जैसे जघन्य अपराध में दर्ज हैं 21 केस

बेदाग नहीं था सुखदेव सिंह गोगामेड़ी, लूट, हत्या,  अपहरण जैसे जघन्य अपराध में दर्ज हैं 21 केस
December 16 07:13 2023

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) लारेंस बिश्नोई गैंग का शिकार हुआ राजपूत करणी सेना का राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी किसी गैंगस्टर से कम नहीं था। राजस्थान के दुर्दांत गैंगस्टर आनंदपाल के करीबी रहे गोगामेड़ी के खिलाफ विभिन्न थानों में हत्या, हत्या का प्रयास, बंधक बनाने, अवैध कब्जा, मारपीट आदि गंभीर धाराओं में 21 मुकदमे दर्ज है। अपने आपराधिक कॅरियर के संरक्षण के लिए वह राजनीति में भी कूदा लेकिन सफलता नहीं मिली तो राजपूत समाज का ‘मसीहा’ बन रहा था। अपराध, जमीनों पर अवैध कब्जे के कारण उसके दुश्मनों की संख्या बढ़ती गई। गैंगस्टर आनंदपाल की मौत के बाद गैंग संचालन को लेकर आनंदपाल की बेटी चीनू से उसकी दुश्मनी हुई। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की आनंदपाल से दुश्मनी चलती ही थी, आनंदपाल के बाद उसकी जगह सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने ले ली थी। बताया जा रहा है कि जिस मकान में उसकी हत्या की गई उस पर उसने कब्जा कर रखा था।

साधारण परिवार से आने वाला सुखदेव सिंह गोगामेड़ी 2013 में लोकेंद्र सिंह कालवी की राजपूत करणी सेना से जुड़ा। राजपूत जाति का दंभ लिए तेजतर्रार होने के कारण गोगामेड़ी तेजी से उभरा, संगठन का संरक्षण मिला तो अपराध में भी कूद पड़ा। समाज में दबंग नेता की पहचान बनते ही 2013 में विधानसभा चुनाव में हनुमानगढ़ की से बसपा का टिकट ले आया लेकिन हार का सामना करना पड़ा। सेना संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी से संगठन के नेतृत्व को लेकर विवाद हुआ तो अपनी राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना बना डाली। इस दौरान गैंगस्टर आनंदपाल के संपर्क में आया और जमीनों पर कब्जा, वसूली आदि के धंधे में भी उतर गया। इस दौरान जमीनों की कब्जेदारी आदि में हत्या, हत्या का प्रयास, मारपीट, अपहरण जैसी वारदात अंजाम दीं। 2017 में गैंगस्टर आनंदपाल पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। गैंग की अगुवाई को लेकर आनंदपाल की बेटी चीनू और गोगामेड़ी के बीच इतना गंभीर विवाद हुआ कि चीनू देश छोड़ कर चली गई, विदेश से ही वह गैंग के सदस्यों के संपर्क में है। 2018 में गोगामेड़ी हनुमानगढ़ विधानसभा का चुनाव भाजपा प्रत्याशी के रूप में लडऩा चाह रहा था लेकिन उसे टिकट ही नहीं मिला। हालांकि वह संघ-भाजपा के इशारे पर सवर्णों के समर्थन करने वाले आंदोलन करता रहा। इस विधानसभा चुनाव में वो कांग्रेस से हनुमानगढ़ की भादरा सीट से चुनाव लडऩा चाहता था।

फासीवादी संगठन संघ, विहिप का संरक्षण मिलने के कारण जातीय-धार्मिक श्रेष्ठता साबित करने के लिए करणी सेना प्रमुख के रूप में गोगामेड़ी ने कभी पदमावत का विरोध किया और निर्देशक संजय लीला भंसाली को पीटा तो कभी सरकारी नौकरी मे सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने के लिए आंदोलन किया। एट्रोसिटीज एक्ट में संशोधन करने के लिए प्रदर्शन किया। राजपूतों के नायक के रूप में खुद को पेश कर उसे समाज के लोगों को जातीय श्रेष्ठता की घुट्टी पिला कर अपनी काली करतूत से बचने वाले आवरण की तरह उन्हें इस्तेमाल किया। इस संगठन ने और न ही इससे जुड़े लोगों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सडक़, कानून-व्यवस्था जैसे जनहित के मुद्दों पर कोई आंदोलन नहीं किया, बल्कि संघ जैसे फासीवादी संगठनों के इशारों पर हिंदुत्व के नाम पर सामाजिक समरसता तोडऩे में जुटे रहे। जिस समाज मेें न्याय सुलभ न हो वहां लोग अपने झगड़े ऐसे ही निपटाते हैं।

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Mazdoor Morcha
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