फरीदाबाद (म.मो.) बहुत समय नहीं हुआ जब इस पुल की मरम्मत के लिये इसे यातायात के लिये बंद कर दिया था। उस वक्त पुल के तमाम सस्पेंशन ज्वाइंट खडख़ड़ा गये थे। इन्हें बदलने एवं ठीक करने के लिये करीब चार सप्ताह के लिये यातायात बंद कर दिया गया था। वही पुरानी समस्या आज फिर उभरकर सामने आने लगी है।
हाईवे की ओर से पुल पर चढते वक्त सड़क में बने गड्ढे बताते हैं कि रिश्वतखोरी के चलते कितनी घटिया सामग्री इसके सड़क निर्माण में लगाई गई होगी। यदि सामग्री ठीक लगाई गई होती तो कंक्रीट लेंटर के ऊपर बनी सड़क में खड्डे पडऩे का कोई मतलब नहीं बनता। इन खड्डों से आगे निकलने के बाद सस्पेंशन ज्वाइंट खडख़ड़ाने लगते हैं। चौथा ज्वाइंट तो खडख़ड़ा कर इस कदर उखड़ गया कि दिनांक 8 नवम्बर से उसकी मरम्मत का कार्य चल रहा है। 10-12 दिन में यह काम तो पूरा हो जायेगा।
जिसकी वजह से वाहन चालक जाम को भी भुगत लेंगे, लेकिन बाकी ज्वाइंटों का क्या होगा? वे भी बहुत जल्दी उखडऩे को तैयार हैं। जाहिर है शीघ्र ही पुल को एक बार फिर से बंद किया जा सकता है। लाखों रुपया मरम्मत पर खर्च कर दिया जायेगा। परन्तु यह पूछने वाला कोई नहीं है कि ये ज्वाइंट इतनी जल्दी खडख़ड़ा कैसे गये? किस-किस ने इस धंधे में कितना माल डकारा है? दरअसल पूछे कौन, जब पूछने वालों ने पहले ही अपना हिस्सा बटोर लिया हो।
ऐसा ही दूसरा उदाहरण बाईपास रोड से नहर पार जाने वाले पुल का भी है। सेक्टर 17 के पीछे बाईपास पर स्थित पेट्रोल पंप के सामने से गुडग़ांव नहर व आगरा नहर को पार करने वाला जो पुल मात्र डेढ साल पहले ही बनकर तैयार हुआ था उसकी भी हालत कुछ ऐसी ही है। नहरों की ओर से बाईपास की तरफ आने वाली सार्ईड की हालत भी खराब है। जब ये साईड बाईपास से मिलती है तो ऐसा लगता है कि जैसे वाहन गड्ढे में जा रहा हो।