बर्बाद हो रहे सीएसआर में मिले नगर निगम के 25 टै्रक्टर, एक साल बीता, न कराया रजिस्ट्रेशन, न ही बीमा

बर्बाद हो रहे सीएसआर में मिले नगर निगम के 25 टै्रक्टर, एक साल बीता, न कराया रजिस्ट्रेशन, न ही बीमा
March 26 15:54 2023

रीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नगर निगम के लापरवाह अफसर मुफ्त में मिले करीब अस्सी लाख रुपये के ट्रैक्टरों को बर्बाद करने में जुटे हैं। एक साल बीतने के बावजूद निगम अधिकारियों ने न तो आरटीओ में इनका रजिस्ट्रेशन कराया और न ही बीमा। चंद हजार रुपये खर्च नहीं किए जाने के कारण यह नए ट्रैक्टर काम में नहीं लगाए जा सके हैं।

इंडियन ऑयल कंपनी ने मार्च-अप्रैल 2022 में कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत नगर निगम को 25 ट्रैक्टर दान दिए थे। 82 लाख रुपये से अधिक कीमत के इन ट्रैक्टरों का निगम अधिकारियों ने न तो रजिस्ट्रेशन कराया और ही बीमा। निगम के इस्तेमाल के लिए दिए गए इन ट्रैक्टरों को भ्रष्ट अधिकारियों ने निजी कंपनी इकोग्रीन के हवाले कर दिया था। कंपनी ने भी सात माह तक इन ट्रैक्टरों का बिना रजिस्ट्रेशन, बीमा और सर्विस कराए जमकर इस्तेमाल किया था। भ्रष्टाचार उजागर होने पर नवंबर 2022 में आनन फानन इको ग्रीन से ट्रैक्टर वापस लिए गए। निगम सूत्रों के मुताबिक आला अधिकारियों के बार बार संज्ञान में लाने के बावजूद इनका आरटीओ में पंजीकरण नहीं कराया गया। अब पंजीकरण कराने पर एक साल की लेट फीस भी भरनी होगी। बीमा कंपनियां एक साल पुराने वाहन में 20 फीसदी टूट-फूट का अनुमान लगाकर उनकी कीमत कम करके 20 फीसदी कम करके आंकती हैं। इन नए ट्रैक्टरों की कीमत तो घटी ही, समय पर बीमा नहीं कराने की पेनाल्टी भी लगेगी। डीजल वाहन होने के कारण एनसीआर मेें इन ट्रैक्टरों का जीवन दस साल है जिसमें से एक वर्ष तो बेकार हो गया। यही नहीं पिछले पांच माह से यार्ड में बिना सर्विस खड़े हुए इन नए ट्रैक्टरों की बैटरी भी डिस्चार्ज हो चुकी है, नहीं चलने के कारण कई पुर्जे भी जाम हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल कि देर से पंजीकरण और बीमा करवाने के कारण निगम को जो अतिरिक्त धनराशि खर्च करनी होगी उसके लिए किस अधिकारी को जिम्मेदार मान कर वसूली की जाएगी?

ट्रैक्टरों के कागजात हुए गुम
दान में मिले इन 25 ट्रैक्टरों के कागजात भी नगर निगम से गायब हो गए। सूत्रों के मुताबिक एस्कॉर्ट कंपनी ने दान किए गए ट्रैक्टरों के साथ ही इनके कागजात भी नगर निगम के सेंट्रल स्टोर को सौंप दिए थे। वहां से यह कागज रहस्यमय ढंग से गायब हो गए। निगमायुक्त को एक साल बाद जब ट्रैक्टरों के रजिस्ट्रेशन का होश आया तो इन कागजों की तलाश की जा रही है। इस संबंंध में इंडियन ऑयल से संपर्क किया गया तो वहां से जवाब मिला कि ट्रैक्टर रोहतक से खरीदे गए थे, डीलर ही कागज देगा। डीलर ने नगर निगम को जवाब दिया है कि अप्रैल से पहले ट्रैक्टरों की खरीद के कागजात उपलब्ध नहीं करा पाएगा। नगर निगम में दस्तावेजों का रिकॉर्ड कितना सुरक्षित है इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि लाखों रुपये की मशीनों के लेनदेन के दस्तावेज भी गुम हो जाते हैं और कोई जिम्मेदार नहीं होता।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles