बंधवाड़ी की तरह शहर को जहरीला बनाने की तैयारी कर रहे निकम्मे अधिकारी

बंधवाड़ी की तरह शहर को जहरीला बनाने की तैयारी कर रहे निकम्मे अधिकारी
May 13 10:10 2023

कचरे का निस्तारण तो करा नहीं पाए अब पांच जगहों पर कूड़े का पहाड़ खड़ा करने की योजना

रीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) निकम्मी सरकार के चोर अधिकारी कचरा निस्तारण के नाम पर पूरे शहर को बर्बाद करने पर तुल गए हैं। अरबों रुपये बर्बाद करने के बावजूद बंधवाड़ी प्लांट को आज तक ठीक से चला नहीं सके, अब पूरे शहर को बंधवाड़ी बनाना चाह रहे हैं। प्लांट के कारण बंधवाड़ी के आसपास की हवा-पानी खराब होने से कैंसर  जैसी बीमारियां बढ़ी हैं वहीं पेड़-पौधे और जंगली जानवर भी मर रहे हैं।

पर्यावरण संरक्षण के प्रयास में जुटी सेव अरावली संस्था के सदस्यों ने बीते सोमवार को बंधवाड़ी प्लांट के आसपास का दौरा कर वहां के हालात देखे। प्लांट के कारण होने वाले नुकसान को देख कर इनका गुस्सा भ्रष्ट अधिकारियों के प्रति फूट पड़ा। बंधवाड़ी प्लांट के आसपास के इलाके की रिपोर्ट सेव अरावली के सदस्यों की जुबानी।

बंधवाड़ी का नजारा तो ऐसा है कि जैसे जो नर्क है वह यहीं है। यहां कूड़े का जो पहाड़ खड़ा है इसके पिछवाड़े जो हो रहा है वह दिल्ली-एनसीआर के लोग देखें तो शायद यहां रहना ही छोड़ दें। बंधवाड़ी प्लांट का यह अजूबा है कि इसके पीछे स्थित पिंक झील में लीचेट (कचरे से रिसकर निकलने वाला सड़ा, तेजाबी गंदा पानी) प्रवाहित हो रहा है। लीचेट मिलने से इस पिंक झील का पानी गहरे बैंगनी रंग में तब्दील हो गया है। ये वही झीलें हैं जिन्हें भूरेलाल कमेटी ने तुरंत प्रभाव से बंद करवा दिया था, क्योंकि इनका पानी सीधे भूजल से जुड़ा हुआ है। इन झीलों का पानी दिल्ली-एनसीआर को सप्लाई किया जा रहा है। यानी दिल्ली-एनसीआर के लोग जहर पीने को मजबूर हैं।

यह सब कोर्ट, कमिश्रर, डीसी की निगरानी में हो रहा है क्योंकि ये लोग यहां का निरीक्षण करते रहते हैं। दरअसल प्लांट प्रबंधन इन निरीक्षण करने वाले अधिकारियों को यह सब देखने ही नहीं देता, उन्हें इधर आने ही नहीं दिया जाता। प्लांट के अधिकारियों ने अपनी गंदी हरकत छिपाने के लिए झील के चारों ओर दीवार खड़ी कर दी है लेकिन लीचेट इन दीवारों के नीचे से बह कर इस झील के पानी को दूषित कर रहा है। ये अधिकारी आपकी जिंदगियों में जहर भर रहे हैं।

यहां खदानें दो सौ मीटर तक गहरी हैं, इतनी गहरी कि जमीन से प्राकृतिक रूप से पानी निकल रहा है। यदि इनमें कचरे से रिसने वाला तेजाबी, जहरीला और दूषित पानी मिल जाएगा तो इनका पानी भी दूषित होकर इसे इस्तेमाल करने वालों को बीमार कर देगा।

बंधवाड़ी प्लांट से महज सौ मीटर दूरी पर मांगर बनी है जहां पर सीएम खट्टर साहब बार-बार आते हैं और उन्होंने इसको बफर जोन घोषित कर रखा है। लेकिन मांगर बनी के ठीक पीछे चंद कदमों की दूरी पर बनी इन नीली झीलों में जहर भरा हुआ है। इन झीलों का पानी पीने से बंधवाड़ी इलाके में कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। यही नहीं लीचेट का पानी पीने से एक तेंदुए की भी मौत हो चुकी है। इस दूषित तेजाबी पानी के कारण आसपास की वनस्पति भी मर रही है।

सेव अरावली के मुताबिक कुछ समय पहले आयोजित हुए गूजर महोत्सव में बंधवाड़ी की एक महिला ने अपनी समस्या बताई थी कि उनके गांव में लाल-काला रंग का पानी सप्लाई किया जा रहा है। उसने सभी को चैलेंज किया था कि यह पानी कोई भी नेता, अधिकारी पीकर दिखाए, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

अब अधिकारी कह रहे हैं कि ऐसा ही प्लांट, प्रतापगढ़, पाली, प्रह्लादपुर, रिवाजपुर में भी बनेगा। सेव अरावली के सदस्य गुस्से में कहते हैं कि इन अधिकारियों को जूते मार कर भगाना चाहिए, यह कोई अधिकारी नहीं बल्कि देश और नागरिकों के दुश्मन हैं। पूरे फरीदाबाद, दिल्ली-एनसीआर को नर्क बना दिया है इन लोगों ने। इन्हें तो चंडीगढ़ जाकर बैठ जाना है और यहां के जो लोग हैं वो कैंसर से मरें इन्हें कोई मतलब नहीं, आम आदमी को मारे जाओ।

बंधवाड़ी क्षेत्र की बर्बादी के लिए जिम्मेदार है भ्रष्ट अधिकारी एवं उनकी पालनहार सरकार
मुख्यमंत्री खट्टर ने कूड़े से बिजली, खाद आदि उत्पाद बना कर इससे सरकार की आय बढ़ाने की घोषणा की थी। इसके लिए ईको ग्रीन कंपनी से करोड़ों रुपये का समझौता किया गया। बिजली खाद तो क्या बननी थी बंधवाड़ी प्लांट में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया। ऐसा इसलिए कि कंपनी ने घरों से निकलने वाले सूखे और गीले कचरे को अलग ही नहीं किया। करीब अस्सी फीसदी कूड़ा ऐसे ही बंधवाड़ी प्लांट में डंप किया जाता रहा। कंपनी को तो एक हजार रुपये टन की दर से भुगतान मिलता रहा। शहर से प्रतिदिन औसतन सोलह सौ टन कचरा बंधवाड़ी प्लांट पहुुंचता है यानी कंपनी को प्रतिदिन सोलह लाख रुपये का भुगतान किया जाता है।
सच्चाई यह है कि बंधवाड़ी में कूड़े का पहाड़ खड़ा करने में निकम्मे और भ्रष्ट अधिकारी जिम्मेदार हैं। यदि घरों से निकलने वाले कूड़े की हाथोंहाथ छंटाई हो जाती तो बिजली भी बनती और कूड़े का पहाड़ भी न खड़ा होता। लेकिन निकम्मे अधिकारी बिना मेहनत के समस्या का समाधान तलाशते हैं। यही कारण है कि बंधवाड़ी की तर्ज पर पांच विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक प्लांट बनाने की तैयारी की जा रही है। संवेदनहीन अधिकारियों ने जो जगहें चुनी हैं वह खेती और आबादी वाले इलाकों में, या उनके पास स्थित है। बंधवाड़ी के पहाड़ और उनसे निकलने वाले जहरीले तत्व गवाह हैं कि यह इलाके के लिए कितने खतरनाक हैं, यदि पांच विधानसभा क्षेत्रों में भी इसी तरह के प्लांट बनाए गए तो पूरा शहर दूषित और जहरीली आबोहवा वाले इलाके में तब्दील हो जाएगा।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles