मुख्य हत्यारोपी को घटना के बारह दिन बाद भी नहीं गिरफ्तार किया गया फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) हमलावरों ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी, उसकी बेटियों को पीटा, निर्वस्त्र कर अश्लील फोटो खींचीं, कमीशन खाऊ 112 एंबुलेंस का चालक घायल को सरकारी अस्पताल ले जाने के बजाय निजी अस्पतपाल पहुुंचा आया और पुलिस मुख्य हत्यारोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है। पुलिस और सरकारी तंत्र की बजबजाती सच्चाई बताती यह घटना एक अक्तूबर को मंझावली गांव में अंजाम दी गई। मुख्य हत्यारोपी राकेश शर्मा गांव में खुलेआम युवकों से हत्या का आरोप अपने सिर लेने की सौदेबाजी कर रहा है, पुलिस जांच में बेगुनाह निकालने और कई लाख रुपये देने का ऑफर भी दे रहा है लेकिन पुलिस उस तक पहुंच नहीं पाई।
मूल रूप से गांव बहुवारा, जिला बलिया, उत्तर प्रदेश की गुडिय़ा मंझावली गांव स्थित भाटी फार्म हाउस में परिवार के साथ रहकर खेती-बाड़ी करती हैं। गुडिय़ा के मुताबिक 29 सितंबर को गांव के पूर्व सरपंच राकेश के परिवार के सदस्यों ने उनके खेत में अपने पशु चरने के लिए छोड़ दिए। पशुओं ने फसल बर्बाद की तो गुडिय़ा और उनके पति प्रभुनाथ ने विरोध किया। आरोप है कि तब राकेश ने मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी। पीडि़ता ने तुरंत ही थाने पर इंस्पेक्टर दलबीर को फोन कर घटना की सूचना दी और सुरक्षा मांगी लेकिन पुलिस ने एक न सुनी।
गांव के ही दिनेश कुमार का आरोप है कि 30 सितंबर की रात सरपंच राजेश उर्फ राजबीर और चेतन सहित करीब तीस लोगों की पंचायत हुई थी। इसमें राजेश उर्फ राजबीर और चेतन अगली सुबह प्रभुनाथ और उसके परिवार को रास्ते से हटाने की साजिश रच रहे थे। दिनेश का यह भी आरोप है कि चेतन बार बार यह दावा कर रहा था धर्मबीर एएसआई हम सबकी मदद करेगा जो कि यहीं तैनात है।
1 अक्तूबर की सुबह राकेश शर्मा उसके भाई राजेश शर्मा, रमेश, धनेश व भतीजे संदीप, कल्लू सहित सोनू, मोहित, गजेंद्र नवीन, कर्नल ओर कर्मबीर शर्मा सहित अन्य लोगों ने गुडिय़ा के परिवार पर हमला कर दिया। आरोप है कि हमलावरों ने नाबालिग लड़कियों को पीटा, उन्हें निर्वस्त्र कर आपत्तिजनक फोटो खींचे। हमले में प्रभुनाथ, दो बेटियों, गुडिय़ा सहित परिवार के अन्य सदस्य घायल हो गए।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने 112 एंबुलेंस से घायलों को इलाज के लिए भिजवाया। आरोप है कि 112 एंबुलेंस का चालक घायल प्रभुनाथ को सरकारी अस्पताल न ले जाकर बल्लभगढ़ स्थित व्यापारिक सेंटर हॉस्पिटल ले गया। जहां डॉक्टरों ने प्रभुनाथ के इलाज के नाम पर डेढ़ लाख रुपये लूट लिए लेकिन उनकी जान बचाने के कोई प्रयत्न नहीं किए, प्रभुनाथ की मौत हो गई।
पीडि़त गुडिय़ा का आरोप है कि हत्यारोपी पक्ष का तिगांव थाने में काफी रसूख है। इंस्पेक्टर दलबीर को हालात की जानकारी थी बावजूद इसके उसने पेशबंदी की कोई कार्रवाई नहीं की, आरोपियों को पाबंद नहीं किया।
यह भी आरोप है कि तिगांव पुलिस ने आरोपियों को बचाने की नीयत से एफआईआर में यौन उत्पीडऩ की धाराएं नहीं लगाईं जबकि लड़कियों का यौन उत्पीडऩ हुआ था। इसी तरह पुलिस मुख्य आरोपी राजेश और कर्मबीर को तफ्तीश में बाहर करने की साजिश रच रही है, यही कारण है कि उन्हें आज तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
हालांकि पुलिस आयुक्त ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच डीएलएफ को सौंप दी है लेकिन इसने भी अभी तक मुख्य आरोपी कर्मबीर और राजेश को नहीं पकड़ा है। पीडि़त महिला का कहना है कि सीएआईए में वीरेंद्र नागर नाम का कोई थानेदार है जो हत्यारोपियों की पूरी पैरवी कर रहा है। सरपंच होने के कारण हत्यारोपी के परिवार की प्रशासन और राजनेताओं में भी अच्छी पैठ है इसी वजह से कार्रवाई हो ही नहीं रही है।
पीडि़त परिवार का दावा है कि आरोपी राजेश और कर्मबीर गांव के लडक़ों से कह रहे हैं कि प्रभुनाथ की हत्या का जिम्मा अपने सिर ले लो, लाखों रुपये दूंगा, पुलिस जांच में साफ निकलवाने की भी गारंटी दी जा रही है। हत्या और यौन उत्पीडऩ जैसे गंभीर अपराध में पुलिस का आरोपियों के हक में काम करना कानून-व्यवस्था की सड़ती गलती व्यवस्था को ही दर्शाता है।