बैठकों व घोषणाओं से आगे बढऩा होगा, सीपी साहब

बैठकों व घोषणाओं से आगे बढऩा होगा, सीपी साहब
December 11 15:22 2021

फरीदाबाद (म.मो.) 27 नवम्बर को पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा द्वारा विभागीय मीटिंग उपरांत जारी किये गये प्रेसनोट में सडक़ दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि प्रत्येक दुर्घटना का मौका मुआयना डीसीपी व एसीपी द्वारा किया जायेगा, जो दुर्घटना के कारणों की रिपोर्ट उन्हें देंगे। इसके बाद जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्यवाही की जायेगी।
लगभग ऐसी ही कुछ घोषणाएं सीपी ने यहां का चार्य सम्भालते वक्त की थी। लेकिन अमल दरामद होता हुआ कहीं नज़र नहीं आया। इस दौरान कम से कम दो दुर्घटनाएं खुले मैनहोल में गिरने से हुईं तथा एक मौत आवारा सांड के द्वारा अंजाम दी गई। इनके अलावा दर्जनों ऐसे मामले हैं जो मीडिया में कहीं रिपोर्ट न हो सके। शहर की सडक़ों पर बने गड्ढों से कई दुपहिया चालक घायल हो चुके हैं। लेकिन किसी भी दुर्घटना के लिये पुलिस ने किसी को भी दोषी ठहरा कर कोई कार्यवाही करने की जरूरत नहीं समझी।

कायदे से इन तमाम दुर्घटनाओं के लिये नगर निगम, स्मार्ट सिटी कम्पनी लिमिटेड, ‘हूडा’, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण आदि पूरी तरह से जिम्मेवार हैं। लेकिन ये सब सरकारी उपक्रम होने के चलते, सरकारी अधिकारियों द्वारा संचालित होते हैं।

यदि कहीें ये उपक्रम किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा संचालित होते तो पुलिस तुर्त-फुर्त उनके द्वारे जा पहुंचती, लेकिन जब मामला सरकारी अधिकारियों का हो तो भला पुलिस की क्या मजाल जो किसी को पूछ भी सके। बीते दिनों ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन के निकट बने अंडरपास में गिरने से एक व्यक्ति की मौत होने के बावजूद पुलिस ने किसी को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश नहीं की।

और महकमों की क्या बात करें खुद पुलिस महकमा यातायत नियमों को लागू करने में कोई विशेष रुचि लेता नज़र नहीं आता। रौंग साइड चलना, दुपहिया पर तीन सवारियों का चलना, खतरनाक ढंग से लदे ट्रैक्टर ट्रौले, ट्रैक्टर टेंकर खुलेआम बेरोक-टोक सडक़ों पर दौड़ते नज़र आते हैं। ट्रैक्टरों में तो अक्सर हेडलाइट व पीछे की साइड पर लाल बत्ती तक नहीं होती। शहर के भीतर राष्ट्रीय राजमार्ग की तमाम सर्विस सडक़ों सहित भीतरी इलाकों में वाहन अवैध पार्किंग द्वारा सडक़ों को घेरे रहते हैं। इन सब में महत्वपूर्ण बाटा चौक से हार्डवेयर चौक तक, राजमार्ग पर बाटा मोड़ से दिल्ली की ओर जाने वाली सडक़ पर, सेक्टर 14 व नौ को जोड़ऩे वाली सडक़ जिस पर स्कॉट ट्रैक्टर कंपनी व इंडियन ऑयल स्थित हैं, पर सदैव विभिन्न प्रकार के वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है। क्या ट्राफिक पुलिस केवल उगाही के लिये ही है?

दुर्घटनाओं का तो यह अनकहा कानून ही बन चुका है कि किसी न किसी वाहन चालक को दोषी ठहरा कर कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली जाय। कभी भी उन अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जाती जिनकी लापरवाही, बेईमानी आदि के चलते व सडक़ में उत्पन्न हुई खामियों के चलते दुर्घटना होती है।

अब समय बतायेगा कि डीसीपी व एसीपी दुर्घटना-स्थलों का मुआयना करके क्या नया तीर चलायेंगे?

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Mazdoor Morcha
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