बैल बुद्धि बनाम बाल बुद्धि

बैल बुद्धि बनाम बाल बुद्धि
July 09 06:51 2024

श्रीकांत
मनुष्य को जो एक चीज़ दूसरे जीवों से अलग करती है वह है-बुद्धि। जिसके बूते मनुष्य ने अन्य सभी जीवों की नाक में दम कर दिया। और अंतत: उन पर क़ाबू करके उनका इस्तेमाल अपने प्रयोजनों के लिए करने लगा और आज भी कर रहा है। बुद्धि के अनेक स्वरूप हैं- सात्विकी,राजसी और तामसी।वैसे मति,मेधा,प्रज्ञा,धी:,धृति और स्मृति आदि को भी बुद्धि के पर्याय के रूप में मान लिया जाता है । हालाँकि इन सबका एकदम सटीक मतलब बुद्धि नहीं है। स्मृति की अनुपस्थिति में तो बुद्धि पूरी तरह ही दिशाहीन हो जाती है।

स्मृतिविभ्रम: प्रतिषेधादिस्मृतिनाश:।
या स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाथ:

हमारे व्रज क्षेत्र में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की असंख्य कहानियाँ प्रचलित हैं। ये कहानियाँ आज भी लोकरंजन का अंतहीन खजाना हैं। कंस को मालूम हो चुका था कि अब उसके दिन बस गिने-चुने ही हैं। सो वह हर रोज़ किसी न किसी राक्षस को बालक कृष्ण की हत्या करने के लिए भेज दिया करता था। पौराणिक कहानियों में ऐसे अनेक असुरों का वर्णन है जो वेश बदल-बदलकर अवतारों और देवी-देवताओं को हानि पहुँचाने की कोशिश किया करते थे। लेकिन विजय हमेशा सात्विक शक्तियों यानि सत्य की ही होती थी।

महिषासुर, सरल शब्दों में कहें तो भैंसासुर का वध देवी काली करती हैं तो भगवान राम ने तो ताडक़ा से शुरुआत करते हुए अपने समय के सबसे बड़े असुर रावण समेत अनगिनत असुरों का वध किया। और भगवान कृष्ण का तो कहना ही क्या सकटासुर,बकासुर और न जाने कितने असुर। ये असुर अलग-अलग रूप धारण करके पापी कंस के द्वारा भेजे जाते थे और बालक कृष्ण के हाथों परमगति को प्राप्त होते थे। एक बार वत्सासुर नामक राक्षस बछड़े का रूप धारण करके भगवान कृष्ण की हत्या करने के इरादे से नंदगाँव पहुँचा और बालक कृष्ण के हाथों उसका वध हुआ। व्रज क्षेत्र में गोवर्धन पर्वत से मात्र चार-पाँच किलोमीटर की दूरी पर है गाँव-अडिग यहाँ अरिष्टासुर नामक राक्षस बैल रूप धारण करके बालक कृष्ण की हत्या करने पहुँचा और भगवान के हाथों मृत्यु को प्राप्त हुआ।

बुद्धि को उसके गुणधर्म के अनुसार अन्य अनेक नामों से भी पुकारा जाता है। मसलन बालबुद्धि, बैल बुद्धि आदि। बालबुद्धि और बैल बुद्धि में न जाने कितने संघर्ष हुए और हर बार बाल रूप धारण किए हुए भगवान ही भारी पड़े ।

एक और बात ख़ास ये है कि दुनिया में जितने भी भगवानों, अवतारों, पैगंबरों आदि ने जब भी परमव्योम से उतरकर धरती पर आने की सोची तो उन्हें सबसे सुंदर और अनुकूल जगह भारत ही लगी। और भारत में भी हमारा यूपी। कल्पना कीजिए अगर यूपी जऱा सी देर के लिए अपना हाथ खींच ले तो दुनिया की दो-तिहाई भगवत्ता तमाम हो जाए। इस भगवत्ता को बचाए रखने के लिए यूपी को शत् शत् नमन। शुभमस्तु।

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Mazdoor Morcha
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