फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) पूर्व कैबिनेट मंत्री विपुल मंत्री भाजपा में रहते हुए पार्टी लाइन से अलग चलते हुए फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र में ऑनलाइन जनसंपर्क अभियान में जुट गए हैं। संसदीय क्षेत्र की कई विधानसभाओं में उनके पोस्टर लग चुके हैँ। इन पोस्टरों में भाजपा से नहीं बल्कि विपुल गोयल से जुडऩे के लिए एक नंबर पर मिस कॉल करने की अपील की गई है। इसके अलावा वह सभी विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों के नाम पर जनसंपर्क करने में जुटे हैं। चर्चा है कि वो विधानसभा चुनाव में उनका टिकट कटवाने वाले ‘बड़े भाई’ किशनपाल गूजर को लोकसभा चुनाव में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर और पूर्व कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल में राजनीतिक तल्खियां इतनी बढ़ी थीं कि 2019 के विधानसभा चुनाव में गूजर ने प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में गोयल को टिकट देने का कड़ा विरोध किया था। गूजर ने केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी विपुल का टिकट काटने की भरपूर वकालत की थी। इसी कारण उनका टिकट काट कर नरेंद्र गुप्ता को दिया गया था। मंत्री पद और विधायिकी छिन जाने के कारण विपुल गोयल फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र की राजनीति से लगभग गायब हो गए थे। हालांकि वह खुद को राजनीति में जिंदा रखने के लिए कभी मुख्यमंत्री खट्टर तो कभी अन्य बड़े भाजपा नेताओं के साथ मंच साझा करते नजर आने लगे। अपना कद बढ़ाने के उन्होंने किशन पाल गूजर के विरोधी कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से संपर्क बढ़ाया। गडकरी के फरीदाबाद आने पर विपुल उनसे मिलते।
जवाब देने का सही समय तलाश रहे विपुल गोयल अब लोकसभ चुनाव की सरगर्मियां शुरू होने पर सक्रिय हो गए हैं। अभी जब केंद्रीय मंत्री और अन्य भाजपाई दूसरे प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में जुटे हैँ, विपुल गोयल पोस्टर और कार्यक्रमों के माध्यम से आम जनता को अपने साथ जोडऩे की ऑनलाइन मुहिम शुरू कर चुके हैं।
एनआईटी, बडख़ल, ओल्ड, होडल, बल्लभगढ़ में पोस्टरों के साथ ही उनका सामाजिक धार्मिक कार्यक्रमों में वोट देने की अपील और राजनीतिक भाषणबाजी में सजातीय वर्ग को सक्रिय होने को प्रेरित करना उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को बताता है। भाजपा के जानकार कहते हैँ कि विपुल गोयल को पार्टी से लोकसभा टिकट तो मिलना लगभग नामुमकिन है लेकिन उनका यह दांव लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर को झटका दे सकता है।
पोस्टर में विपुल गोयल से जुडऩे के आह्वान पर राजनीतिक जानकारों का नजरिया है कि यदि भाजपा से टिकट नहीं मिला तो बहुत संभव है कि विपुल कांग्रेस या किसी दूसरी पार्टी से टिकट ले आएं। यदि वे किसी दूसरी पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो किशनपाल गूजर के लिए बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी कर देंगे। पूर्व कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल का टिकट कटवाया जाना वैश्य समाज भी भूला नहीं है, जिस तरह गोयल ग्रेटर फरीदाबाद से लेकर होडल तक समाज के बीच घूमकर उसे राजनीतिक जागरूक होने का पाठ पढ़ा रहे हैं उससे लगता है कि छोटा भाई बड़े भाई को पटखनी देने की कमर कस चुका है।
संदर्भवश, चर्चा यह भी चल रही है कि किशनपाल के काले पीले कारनामों को देखते हुए उनके खुद का टिकट कटना भी तय माना जा रहा है। लोगों का कहना है कि जब भी वे किसी काम के लिए उनके पास जाते हैं तो वे बड़े बेबाक तरीके से कहते हैं कि तुमने वोट मुझे थोड़ी दिया था वोट तो मोदी को दिया था। कुछ लोग यह भी कहते बताए जाते हैं कि जब वे वोट न देने की धमकी देते हैं, गूजर महोदय तो बड़ी बेशर्मी से फटकारते हुए कहते हैं कि मो न चहिए तोरा वोट रख लीजो संभाल के। इन हालात में अव्वल तो किशन पाल का टिकट कटना तय दिख रहा है और दूसरे जिस मोदी की लहर पर सवार होकर आए थे वह लहर भी अब समाप्त हो चुकी है।