बडख़ल क्षेत्र में 153 करोड़ की सीवर लाइन

बडख़ल क्षेत्र में 153 करोड़ की सीवर लाइन
January 17 01:39 2023

फरीदाबाद (म.मो.) पुराना बसा एनआईटी शहर हो या नये नवेले ‘हूडा’ निर्मित सेक्टर हों, सभी जगह सीवर व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है। बडखल विधानसभा क्षेत्र, जिसकी सीवर व्यवस्था का नवनिर्माण कराने का दावा स्थानीय विधायक सीमा त्रिखा कर रही हैं, उसमें एनआईटी के एनएच 1,2,3,4,5 के अलावा सेक्टर 21,45,46,48,49 आदि के अलावा अनेकों कालोनी भी पड़ती हैं। इनकी सीवर व्यवस्था के जीर्णोद्धार पर सरकार द्वारा 153 करोड़ रुपये खर्च किये जाने का दावा किया जा रहा है।

विदित है कि उक्त एनएच एक से पांच तक का निर्माण तो 50 के दशक में ही हो गया था। लेकिन ‘हूडा’ निर्मित सेक्टरों का निर्माण 70 के दशक में हुआ था। नवनिर्मित ‘हूडा’ सेक्टरों की सीवर व्यवस्था की बदहाली का मूल कारण भ्रष्ट एवं निकृष्ट निर्माण प्रक्रिया रहा है। सेक्टर 21 में तो कई सीवर लाइन ऐसी भी हैं जो कहीं आगे जुड़ी हुई नहीं हैं, उनका पानी खुले में सूखने के लिये छोड़ दिया जाता है।

दूसरी ओर एनआईटी क्षेत्र के एक से पांच वाली सीवर लाईन काफी बेहतर बनाई गई थीं। लेकिन बेहिसाब एवं अवैध कब्जों एवं निर्माणों ने सीवर पर इतना बोझ डाल दिया कि वे ओवरफ्लो होने लगे। इसके अलावा इन लाइनों के डिस्पोजल एवं नियमित रख-रखाव की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई। खुले मैनहोलों में गिरकर राहगीर तो मरते ही हैं साथ में मलबा आदि गिरने से लाईन भी जाम हो जाती हैं। कुल मिलाकर प्रशासनिक भ्रष्टाचार एवं लापरवाहियों के चलते ही सीवर लाइन फेल हो रही हैं। कोई भी सीवर लाइन 10-20 साल के लिये नहीं बनाई जाती। एक बार बना दी गई सीवर लाइन सैंकड़ों साल चलती है। बशर्ते कि उसके निर्माणकर्ता इंजीनियर अनपढ़ व चोर न हों। कोई भी नया शहर बनाते वक्त सबसे पहले सीवर, सडक़ तथा वाटर सप्लाई डाली जाती है। सडक़ व वाटर लाइन का इस्तेमाल तो तुरन्त ही शुरू हो जाता है जबकि सीवर लाइन का इस्तेमाल दसियों-बीसियों साल बाद शुरू होता है। जब शहर पूरा बस जाता है और उस पर पूरा दबाव पड़ता है तो उसकी पोल खुलने लगती है। लेकिन उस वक्त तक ठेकेदार तथा सम्बन्धित अफसर कहीं के कहीं जा चुके होते हैं। लिहाजा जनता भुगतती और चिल्लाती रहती है।

अब दावा किया जा रहा है कि उक्त क्षेत्र में सीवरेज व्यवस्था सुधारने के नाम पर 153 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। व्यवस्था सुधरने की तो कोई सम्भावना फिलहाल  नजर आती नही आतीं, हां, 153 करोड़ रुपये की बंदर बांट जरूर हो जायेगी। इस क्षेत्र के अलावा इससे करीब चार गुणा क्षेत्र और भी इसी शहर में सीवर व्यवस्था को भुगत रहा है। इसी हिसाब से यदि वहां भी खर्च किया जाय तो मामला 600 करोड़ से ऊपर का हो जायेगा। यदि इसकी स्वीकृति मिल जाये तो सम्बन्धित अफसरों, ठेकेदारों व नेताओं की बल्ले-बल्ले हो जायेगी।

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Mazdoor Morcha
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