बच्चे तलाशने की पुलिस फीस दस हजार

बच्चे तलाशने की पुलिस फीस दस हजार
March 07 04:40 2022

फरीदाबाद (म.मो.) सेक्टर 45 की झुग्गियों में रहने वाली उर्मिला के दो बच्चे, लडक़ी साढे तीन वर्ष की और लडक़ा छ: वर्ष का, दिनांक 25 फरवरी शाम को लापता हो गये। मामला पुलिस चौकी सेक्टर 46 में पहुंचा। पीडि़त महिला उर्मिला के अनुसार पुलिस चौकी वालों ने बच्चे तलाशने के नाम पर उससे दस हजार रुपये लिये। पुलिसवालों का तर्क था कि वे बच्चों को ढूंढने निकलेंगे तो वाहन आदि का खर्चा तो लगेगा न।
बच्चों के मोह के सामने, घर-घर बर्तन मांज कर जीवन यापन करने वाली महिला के लिये बेशक एक यह बड़ी चुनौती थी। लेकिन बच्चे तो बच्चे ही होते हैं। उसके राज मिस्त्री पति ने अपने ठेकेदार से यह रकम उधार लेकर पुलिस वालों का मुंह फूका, तब जाकर पुलिस हरकत में आई।

बच्चों की मां ने संदेह के आधार पर राजकुमारी नामक महिला का नाम भी पुलिस को दिया था। इसके साथ-साथ राजकुमारी का मोबाइल नम्बर भी पुलिस को बता दिया था। मोबाइल नम्बर को ट्रैकिंग पर लगा कर पुलिस ने राजकुमारी के आवागमन को ट्रेस कर लिया। इसी के आधार पर अगले ही दिन पुलिस ने राजकुमारी को बच्चों सहित बुढिया नाले के आस-पास घेर कर बच्चों को बरामद कर उन्हें उनकी मां को सौंप दिया।

बच्चे तो मिल गये लेकिन खट्टर के इस भ्रष्टाचार मुक्त राज में एक गरीब मां के द्वारा इतनी बड़ी कीमत अदा करना राज्य की कानून व्यवस्था की पोल खोलने के लिये पर्याप्त है।

इस तरह का यह मामला कोई अपवाद नहीं बल्कि रोजमर्रा का चलन है। सक्षम एवं सम्पन्न लोग तो पुलिस को रिश्वत देने के बाद कहीं विलाप करने की जरूरत नहीं समझते जबकि उर्मिला जैसे गरीब दहाड़े मार-मार कर पूरी पुलिस व सरकार को रोती-कोसती हैं।

यह सम्भव नहीं है कि थाने चौकियों में तैनात पुलिस कर्मियों द्वारा की जाने वाली इस लूट से सम्बन्धित सुपरवाइज़री अफसर तथा सीपी अनभिज्ञ हों। यदि वे वास्तव में ही इस तरह की लूट से अनभिज्ञ हैं तो वे अपने इन पदों पर तैनात रहने के लायक ही नहीं हैं। वे जनता के सिर पर बोझ के अतिरिक्त कुछ भी नहीं।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles