शेखर दास फऱीदाबाद। स्वच्छता रैंकिंग के लिए शहर की समीक्षा शुरू होते ही नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग प्रतिबंधित पॉलिथीन कैरी बैग की बिक्री रोकने में ‘जी-जान’ से जुटा हुआ है। रिकॉर्ड बेहतर करने के लिए रेेहड़ी-पटरी के दुकानदार पर चालान और जुर्मानें की गाज गिराई जा रही है। चालान के बहाने छापा मार टीम के सदस्य अपनी जेबें भी गर्म करने में जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के साथ ही निर्मल भारत मिशन का नाम स्वच्छ भारत मिशन कर वाहवाही बटोरने के लिए कई योजनाओं का ढिंढोरा पीटा था। इनमें स्मार्ट सिटी की स्वच्छता रैंकिंग का पाखंड भी शामिल था। स्वच्छता रैंकिंग के लिए नवंबर के अंत में ऑडिट होती है। इसीलिए नगर निगम की टीमें नवंबर में प्रतिबंधित पॉलिथीन, आवारा पशु, नालों की सफाई, खुले में शौच आदि की रोकथाम का ड्रामा करती हैं। चालान का रिकॉर्ड पूरा करने के लिए इस बार प्रतिबंधित पॉलिथीन को पकडऩे और जुर्माना वसूलने के लिए 40 टीमें लगाई गई हैं।
बीते बृहस्पतिवार को निगम के एएसआई सुभाषचंद्र अपनी टीम के साथ एनएच पांच स्थित सब्जीमंडी पहुंचे। यहां उन्होंने प्रतिबंधित मोटाई के पॉलिथीन कैरीबैग रखने वाले दुकानदारों के चालान काट कर जुर्माना वसूल किया। अधिकतर दुकानदारों का ऑनलाइन चालान काट कर न्यूनतम पांच सौ रुपये जुर्माना वसूला गया। ऑनलइन चालान होने के कारण पॉलिथीन के नाम पर अवैध कमाई तो वसूल नहीं सकते थे तो कुछ लोगों ने इन दुकानदारों के तराजू-बांट कब्जे में लेने शुरू किए। जब टीमें लौटने लगीं तो दुकानदारों से 300 से 500 रुपये तक सुविधा शुल्क वसूल कर उनके तराजू बांट लौटा दिए गए। तराजू -बांट के बारे में सवाल करने पर सुभाषचंद साफ मुकर गए बोले कि जिन्होंने ये काम किया वे उनकी टीम के सदस्य नहीं थे। उनसे पूछा गया कि दुकानदारों की जगह प्रतिबंधित मोटाई की पॉलिथीन बनाने वाली फैक्टरियों पर कार्रवाई क्यों नहीं करते तो मासूमियत से बोले कि उन्हें फैक्टरियों की जानकारी नहीं है, यदि कोई सूचना देगा तो कार्रवाई जरूर करेंगे। दरअसल, एएसआई भी लूट कमाई और औपचारिकता ही पूरी करते हैं। यदि वह गंभीर होते तो जिन दुकानदारों का चालान किया है उनसे पूछ कर पॉलिथीन थोक में बेचने वाले और उसके जरिए बनाने वाली फैक्टरी तक पहुंच जाते। ऐसा, इसलिए भी नहीं किया जाता क्योंकि ये फैक्टरियां इन्ही अधिकारियों को मोटा सुविधा शुल्क चुका कर चलाई जा रही हैँ।
स्वास्थ्य अधिकारी नीतीश परवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 120 माइक्रॉन से पतली पॉलिथीन कैरीबैग के निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। दूध, पान-मसाले, बिस्कुट-नमकीन की पॉलिथीन पैकिंग पर कार्रवाई करने का अधिकार नगर निगम को नहीं है, उनकी जांच और कार्रवाई एफएसएसएआई विभाग करता है। निगम केवल पैकिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रतिबंधित मानक के खुले पॉलिथीन कैरीबैग पर कार्रवाई कर सकता है।
स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार रिसायकलेबल पॉलिथीन के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। पॉलिथीन पैकिंग में सामान बेचने वाली कंपनियों को 120 माइक्रॉन से कम मोटाई की पॉलिथीन इस्तेमाल करने और दोबारा खरीद कर इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यही कारण है कि अधिकतर कंपनियां पैकिंग पर पॉलिथीन की माइक्रॉन में मोटाई, रिसायकलेबल होने और 10 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बाय बैक करने की सूचना प्रकाशित कर रही हैं। सब्जी या किराना की पैकिंग के लिए मिलने वाले पालिथीन कैरी बैग एक तो मानक से कम माइक्रॉन के यानी पतले होने और इसी कारण सिंगल यूज प्लास्टिक होने की वजह से प्रतिबंधित किए गए हैं। इनके जलाने पर निकलने वाले बिस-फिनोल सहित अन्य जहरीले यौगिक व हाइड्रोकार्बन वातावरण को दूषित करते हैं।